सोने के आयात पर रोक के साथ पेट्रोल-डीजल के भाव फिर बढ़ेंगे

विदेशी मुद्रा भंडार पर बढ़ रहे दबाव के चलते सरकार उठा रही है कई कदम

नई दिल्ली (ब्यूरो)। सरकार और रिजर्व बैंक के तमाम प्रयास के बाद भी रुपये की हालत दयनीय होती जा रही है। इसका सबसे ज्यादा असर अब आयात पर दिखाई देने वाला है। सरकार का बड़ा खर्च खाद और कच्चे तेल पर होता है और दोनों ही भुगतान डॉलर में ही करना पड़ रहे हैं। सरकार अब कई बड़े कदम उठाने जा रही है, जिसमें सोने के आयात पर रोक से लेकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को बढ़ाने का निर्णय भी शामिल है। दूसरी ओर भारत के अन्य देशों के साथ रुपये में व्यवहार किए जाने को बड़ा झटका लगा है। रूस ने कच्चे तेल के अपने भुगतान यूएई की करंसी दिहरम में करने को कहा है। दूसरी ओर कोयले का भुगतान कंपनियों को चीनी करंसी येन में करने के लिए कहा है।

रुपये की लगातार गिरती कीमतों को छोड़कर अब सरकार की सारी ताकत तेजी से घट रहे विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने की शुरू हो गई है। इसके लिए सरकार दो बड़े कदम उठाने जा रही है। दो दिन पहले भारत की रिफायनरी कंपनियों पर लगाए गए विंड फॉल टेक्स को कम करना है, दूसरी ओर अब इस घाटे को पूरा करने के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक बार फिर बढ़ाना शुरू कर रही है। अब यह कीमतें साप्ताहिक या पाक्षिक स्थिति में बढ़ाई जाएगी।

वहीं डॉलर को बचाने के लिए सोने सहित कई आयात पर बड़ी रोक लगाने की तैयारी कर रही है। भारत को विदेशी मुद्रा बचाने के प्रयास को एक बड़ा झटका लगा है।

रूस ने रुपये में भुगतान लेने से इनकार करते हुए सउदी अरब की करंसी दिहरम में देने को कहा है, वहीं सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक कंपनी द्वारा रूस से मंगाया कोयले का भुगतान चीनी कंपनी येन में करने को कहा है। रुपये में रूस भुगतान नहीं लेगा। आने वाले दिनों में सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य आयात के कारण आ रही महंगाई से लड़ने और विदेशी मुद्रा के तेजी से कम होने को रोकने की रहेगी। भारत के पास अब केवल पांच माह के आयात के लिए ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा हुआ है।

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