इंदौर के लिए मंथन से नहीं निकला महापौरी अमृत

-आज भोपाल में होगी इंदौर महापौर पर बैठक, लेकिन फैसला दिल्ली से -आम सहमति का ही नाम आगे लाने पर विचार, कई नाम दरकिनार

इंदौर। बुधवार को इंदौर में अगले महापौर को लेकर बैठक थी लेकिन किसी भी नाम पर फैसला नही हो सका आज भोपाल में संगठन फिर बैठेगा लेकिन अब ये मामला दिल्ली ही जायेगा केउकी इंदौर का महापौर प्रत्याशी बड़े पेच में उलझ गया है वर्तमान चल रहे नाम दरकिनार हो चुके है अब वही महापौर होगा जो मुख्यमंत्री के साथ दिल्ली की भी पसंद का होगा। दूसरी ओर तेजी से उभरे दो नाम अब दौड़ से बाहर हो गए हंै। इसमें निशांत खरे और पुष्पमित्र भार्गव को बैठक में पहली लाइन में ही दरकिनार कर दिया गया। दोनों को ही न राजनैतिक अनुभव है और न ही नगर निगम के संचालन को लेकर कोई चिंतन है।
जब से इंदौर सफाई में 5 बार नम्बर वन आया है तब से इंदौर महापौर बनना सभी नेताओं का सपना हो गया है साथ ही ये दिल्ली संगठन की नज़र में भी आ गया है अब इसका फैसला दिल्ली से होगा साथ ही वर्तमान में जो नाम दौड़ में थे, उसको भाजपा संगठन ने ही दरकिनार कर दिए है संघ की राजनीति से लाभ के पद पर बैठे नेता अब दूर कर दिये गए है वही महापौर होगा जो जनता के बीच होगा और मुख्यमंत्री की पसंद के साथ ही दिल्ली में भी मजबूत पकड़ वाला होगा। इस उम्मीदवार को लेकर कहीं पर भी बड़े नेताओं में कोई नाराजगी नहीं होगी। यानी

समन्वय के साथ इस क्रम को आगे बढ़ाया जाए।
वर्तमान में डॉ निशांत खरे, पुष्पमित्र भार्गव दौड़ से बाहर हो गए है दोनो का भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ साथ जनता का मास्क लीडर नही होना भी इस दौड़ से बाहर कर रहा है साथ अन्य नाम भी दौड़ से बाहर कर दिए गए है संगठन मुख्यमंत्री की पसंद के साथ साथ उस नाम पर ही विचार कर रहा है जिसका सीधे जनता से संपर्क होगा। कल हुई संगठन की बैठक में कोई भी फैसला तो दूर विचार भी नही हो पाया अब ये बैठक आज भोपाल में हो रही है जहाँ इंदौर को लेकर गहन विचार विमर्श होगा। हालांकि राजनीति के जानकारों के साथ साथ संगठन सूत्र भी यही कह रहे है कि महापौर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद का ही होगा।

विजयवर्गीय व लालवानी का बिगड़ा तालमेल
राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय व सांसद शंकर लालवानी का आपसी तालमेल बिगड़ गया है दोनो ही एक दूसरे की पसंद को दरकिनार कर रहे हैं। लालवानी चाहते है कि उनका निगम की राजनीति में वर्चस्व बना रहे इसलिए उनकी पसन्द का उम्मीदवार हो वही विजयवर्गीय अपना वर्चस्व चाह रहे है अब देखना है कि दोनों की बिगड़ी बात को संगठन कैसे सम्भालता है। इंदौर के स्थापित नेताओं के बीच उम्मीदवारों को लेकर भारी खींचतान भी दिखाई दे रही है। दो नंबर के नामों को लेकर अन्य विधानसभा में सहमति नहंीं है तो अन्य नामों को लेकर दो नंबर और चार नंबर में भी सहमति नहीं है।

जातीय समीकरण का विशेष ध्यान
कांग्रेस प्रत्याशी ब्राह्मण वर्ग का होने से भाजपा भी इसी जातीय समीकरण का ध्यान रखते हुए फैसला लेगी। केउकी इंदौर में 3 लाख से अधिक ब्राह्मण मतदाता है साथ ही इंदौर निगम का स्तर राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच गया है, ऐसे में ऐसे चेहरे की तलाश हो रही है जो इस पहचान को कायम रखे जो पूरे मध्यप्रदेश का नाम ऊँचा रख सके। साथ ही गुटीय राजनीति का भी ध्यान रखा जाएगा।

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