महापौर मुकाबला…ब्राह्मण V/s ब्राह्मण

कांग्रेस के संजय शुक्ला से मुकाबले के लिए भाजपा में नेताओं की कतार

इंदौर।
ओबीसी वर्ग के साथ चुनाव कराने की मंजूरी मिलने के बाद भले ही वार्डों की तस्वीर फिर से तैयार की गई है, लेकिन महापौर के मामले में दो साल पहले जो तय किया गया था उसी पर मुकाबला होना है। कांग्रेस की ओर से पहले दिन से विधायक शुक्ला के सिर साफा बांध दिया गया है। शुक्ला भी लड़ने का ऐलान कर चुके है कि शहर के चार लाख से ज्यादा ब्राह्मण वोटरों का साथ है। बाकि के लिए जिस तरह एक नंबर में लोगों को साधा गया है। शहर में भी ऐसा ही कुछ करने की मंशा रखते हैं। महापौर के लिए सामान्य वर्ग के शुक्ला से मुकाबला करने के लिए भाजपा के पास ब्राह्मण नेताओं की कमी नहीं हैं, लेकिन जो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का चहेता होगा वही चुनाव लड़ेगा।

२३ साल से नगर निगम पर भाजपाई महापौरों का कब्जा रहा है। शुक्ला के ब्राह्मण वोटों में सेंध लगाने के लिए सबसे बड़ा नाम विधायक रमेश मेंदोला का है। मेंदोला की ब्राह्मण सियासत भी उतनी ही मजबूत है जितनी शुक्ला परिवार की। हालांकि मेंदोला को लेकर नाम तो आगे किया जा रहा है, लेकिन टिकट मिलेगा या नहीं तय नहीं है। मेंदोला के मामले में मुख्यमंत्री कभी राजी होते नजर नहीं आते हैं। वर्ना मेंदोला कब के मंत्री बन चुके होते। इस बार भी मेंदोला को महापौर बनना है तो शिवराज की मंजूरी मिलना जरुरी है जो आसान नजर आती नहीं। इंदौर नगर निगम के महापौर की कुर्सी दो नंबरी खेमे के मुखिया कैलाश विजयवर्गीय ने ही कांग्रेस के मधुकर वर्मा से हासिल की थी। उसके बाद भाजपाईयों ने इस कुर्सी पर कभी कांग्रेसियों को काबिज होने ही नहीं दिया। पार्षद रह चुके विजयवर्गीय के कामकाज को दूसरी पारी में उमाशशि शर्मा ने आगे बढ़ाया विजयवर्गीय ने सड़कों की सुध ली थी तो, उमा शशि के समय बगीचों का ख्याल रखा गया। कृष्ण मुरारी मोघे के महापौर रहते नगर निगम की माली हालत मजबूत हुई और विकास की जो रफ्तार चल रही थी आगे बढ़ी। मालिनी गौड़ ने सफाई के मामले में जो किया उसकी बात आज भी देशभर के शहरों में होती है। पांच बार से नंबर वन चल रहे शहर को देखने देशभर से लोग आ रहे हैं। इंदौर पर्यटन स्थल की तरह विकसित हो गया है। अब लगातार पांचवी बार महापौर के लिए भाजपा की ओर से कई नेता सामने हो गये हैं। लेकिन टिकट किसे मिलेगा इसको लेकर अभी तय नहीं है। पिछड़े आरक्षण के मामले में सरकार की मंशा पूरी होने के बाद माना जा रहा है कि सामान्य वर्ग के नेता को ही चुनाव लड़ाया जाएगा। कांग्रेस से संजय शुक्ला का नाम फाइनल है। जिस पर कमलनाथ भी राजी है। बस ऐलान बाकि है, संजय ने जमावट भी शुरु कर दी है। जिसका दायरा एक नंबर से निकलकर हर विधानसभा तक पहुंच रहा है। शुक्ला के महापौर लड़ने से कांग्रेस के पार्षद दावेदारों में भी जोश आ गया है कि शुक्ला के सहारे वे भी चुनाव लड़ लेंगे। पैसों की दिक्कत जो ना आनी है। वही भाजपा में उमेश शर्मा, पुष्पमित्र भार्गव जैसे ब्राह्मण चेहरे भी हैं जिन पर विचार हो सकता है। सामान्य सीट पर संगठन की मंशा भी इसी कोटे से चुनाव लड़ाने की है। ब्राह्मण फैक्टर इसलिए हावी है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी ब्राह्मण है।

हार्डिया कर रहे मुख्यमंत्री को राजी…
इधर भाजपा में संजय से मुकाबले के लिए मेंदोला को मजबूत माना जा रहा है। मेंदोला पर रजामंदी नहीं मिलती है तो दिलीप शर्मा के नाम पर विचार होगा। शर्मा पांच नंबर विधानसभा से है और दो बार नगर निगम में एमआईसी सदस्य रह चुके है। निगम के कामकाज के माहिर है। प्रदेश की पहली आदर्श रोड़ इन्हीं के नाम है जिस तरह शहर की सफाई और खाऊ ठियो पर बाहर से लोग आते हैं। आदर्श रोड़ भी देखने जाते हैं। शर्मा के साथ दिक्कत यह है कि इनका नाम भोपाल में कौन रखेगा तय नहीं है। कृष्णमुरारी मोघे से जुड़े हैं, लेकिन मोघे को लेकर हमेशा आशंका बनी रहती है कि वे दूसरों के लिए टिकट तय करते समय कभी भी खुद के लिए टिकट मांगने लग जाते है। मोघे को जिस तरह से प्रदेश कोर कमेटी से बाहर किया गया है उसके बाद उनकी चलत कम होती नजर आ रही है। ऐसे में वे खुद का टिकट तो नहीं मांगेगे, लेकिन शर्मा की मदद कर सकते हैं। शर्मा के लिए सबसे मजबूती से जो नाम रखने के लिए आगे आये हैं वे विधायक महेंद्र हार्डिया है। हार्डिया मुख्यमंत्री के चहेते विधायक है। हार्डिया को लेकर मुख्यमंत्री कई बार मंच से कह चुके हैं कि बाबा जो मांगते है उन्हें मना नहीं कर पाता। शर्मा के मामले में हार्डिया मुख्यमंत्री को कितना राजी कर पायेंगे। यह तो वक्त बतायेगा, लेकिन शर्मा को लेकर पांच नंबर से ताकत लगाई जा रही है जिसे हार्डिया दम दे रहे हैं। शर्मा भी ब्राह्मण लाबी में अच्छी पैठ रखते है। और इसी लाबी के नेताओं को भरोसे महापौर की दौड़ में शामिल होने की कोशिश में है।

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