दो लाख से ज्यादा चुनावी नौकरियां लटक गई

71 हजार पद समाप्त, 81 हजार और समाप्त होंगे

नई दिल्ली (ब्यूरो)। लोकसभा चुनाव के पहले 2019 में जब पूरे देश में बेरोजगारी को लेकर हंगामा मचा था, उस दौरान रेल विभाग ने दो लाख से अधिक पदों के लिए नौकरियों के आवेदन आमंत्रित किए थे, जिसमें सवा दो करोड़ लोगों ने नौकरी की उम्मीद में फार्म भरे थे। रेलवे द्वारा दिए गए विज्ञापन में नौकरियां ही नौकरियां बताकर इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में गिनाया जा रहा था। यह परीक्षा आज तक नहीं हो पाई। दूसरी ओर रेलवे विभाग ने अपने यहां सी और डी कैटेगरी के 72 हजार पदों को समाप्त कर दिया। इसी के साथ 81 हजार और पद रेलवे अपने यहां समाप्त करने जा रहा है।
देश में रेल विभाग ही सर्वाधिक रोजगार देने वाला मंत्रालय कहलाता है, जिसमें चार ग्रुप में नियुक्तियां होती हैं। सबसे छोटे पदों में टिकट क्लर्क, गुड गार्ड्स जैसी नौकरियां सी और डी क्रम में दी जाती हैं। 2014 के बाद 2019 तक रेल विभाग ने किसी भी प्रकार की नियुक्तियां नहीं होने के बाद जब 2019 में लोकसभा चुनाव के पहले बेरोजगारों ने सोशल मीडिया पर जमकर हंगामा मचाया तो फरवरी 2019 में रेल मंत्रालय ने नौकरियां ही नौकरियां के नाम से दो लाख से अधिक सी और डी कैटेगरी के पदों के लिए आवेदन मंगाए। जून में होने वाली परीक्षा, जिसमें ग्रुप डी के लिए एक लाख तीन हजार सात सौ दो पदों पर नियुक्ति होना थी, उसके लिए एक करोड़ पंद्रह लाख आवेदन आए। इसके बाद होने वाली दूसरी परीक्षा के लिए भी एक करोड़ छब्बीस लाख आवेदन आए। इसमें पैंतीस हजार दो सौ आठ पद छोटे कर्मचारियों के लिए आरक्षित थे। इन परीक्षाओं को लेकर करोड़ों छात्रों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दीं। यह परीक्षा तो आज तक नहीं हुई, दूसरी ओर 2015 से 2021 के बीच रेलवे के सोलह झोन पर 56,898 पद खत्म कर दिए गए। पंद्रह हजार और पद खत्म करने को लेकर प्रस्ताव बना दिया गया। रेलवे के ही वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि रेलवे इक्यासी हजार और पद समाप्त करने जा रहा है, यानी भविष्य में भी अब रेल मंत्रालय बेरोजगारों को नौकरी देने में अपनी भूमिका नहीं निभाएगा। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने रेलवे में जब डिजिटल कार्यक्रम शुरू किया था, उस वक्त ऐलान किया था कि इसके कारण रेलवे में नौकरियां और बढ़ेंगी।
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