मालवा-निमाड़ की कला-संस्कृति पर कुल्हाड़ी चलाने की तैयारी

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी को लेकर उठ रहे कई गंभीर सवाल

इंदौर (आशीष साकल्ले )।
क्षेत्रीय भाषा-बोली, कला-संस्कृति को बढावा देने का ढोल पीटने वाली केन्द्र सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है, इसका ताजा उदाहरण प्रसार भारती व्दारा लिया गया मनमाना निर्णय है, जिसमें उसने एक मई से मध्यभारत के सबसे पुराने रेडियो स्टेशन मालवा हाउस से प्रसारित होने वाले मालवी-निमाड़ी के सारे कार्यक्रमों को खत्म कर सिर्फ हिन्दी में भोपाल से कार्यक्रम प्रसारित करने के निर्देश दिए हैं और वह भी सप्ताह में सिर्फ एक दिन। मजेदार बात तो यह है, कि मालवा-निमाड़ की बोली, कला-संस्कृति पर कुल्हाड़ी चलाने की तैयारी हो गई, लेकिन स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने चुप्पी साध रखी है। अब इसको लेकर कई सवाल उठने लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि मालवा हाउस मध्यभारत के सबसे पुराने रेडियो स्टेशनों में शुमार है और इसके कार्यक्रम देश ही नहीं दुनिया के कई देशों मे सुने जाते हैं। यहां से प्रसारित होने वाले स्थानीय कार्यक्रमों की अपनी अलग ही पहचान है और ये काफी लोकप्रिय भी हैं। स्थानीय भाषा, बोली, संस्कृति, कला, परंपरा और त्योहारों को संरक्षण प्रदान करने में इस रेडियो स्टेशन की अहम भूमिका रही है। बावजूद इसके, हाल ही में प्रसार भारती व्दारा जारी किए गए नए निर्देशों के चलते इस केन्द्र की भूमिका सीमित कर दी है। इस मामले में यदि यह कहा जाए कि मालवा हाउस का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है तो कोई अतिशयोक्ति नहीें होगी। वजह यह कि मालवी-निमाड़ी के वे सारे कार्य क्रम अपनी आवाज खो देंगे, जो सैकड़ों लोक कलाकारों और लोक संस्कृति के वाहक श्रोताओं की पहचान हुआ करते थे।
कौन-कौन से कार्यक्रम प्रसारित होते हैं इंदौर आकाशवाणी से
इंदौर आकाशवाणी बनाम मालवा हाउस से प्रसारित होने वाले स्थानीय कार्यक्रमोंकी प्रदेश और देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी ख्याति रही है। इनमें महिला सभा, कोपल, ग्राम लक्ष्मी, खेती-गृहस्थी, बाल सभा, नाटक, सुगम संगीत, युववाणी व लोकगीत, कबीर वाणी आदि प्रमुख हैं। चूंकि इंदौर मध्यप्रदेश की व्यवसायिक राजधानी होने के साथ ही कला और संस्कृति का प्रमुख केन्द्र भी है, इसलिए यहां से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम देश के कोने-कोने और नेपाल, भूटान, श्रीलंका जैसे देशों में भी सुने जाते हैं।
सैकड़ों अस्थायी कर्मचारी हो जाएंगे बेरोजगार, सूत्रधार और कलाकार भी खो देंगे पहचान
देखा जाए तो इंदौर आकाशवाणी से कई अस्थाई कर्मचारी, सूत्रधार और कलाकार विगत ६५-७० वर्षों से जुड़े हुए हैं। इन्होंने यहां पर कई कार्यक्रम तैयार किए जो देश-दुनिया में काफी लोकप्रिय भी हुए । अब जबकि, प्रसार भारती व्दारा आगामी एक मई से यहां से स्थानीय कार्यक्रम खत्म किए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं तो सैकड़ों अस्थायी कर्मचारी न केवल बेरोजगार हो जाएंगे, बल्कि सूत्रधार और कलाकार भी अपनी पहचान खो देंगे। इतना ही नहीं, मालवा हाउस का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा।
शिकायत के बाद भी जनप्रतिनिधि नहीं ले रहे सुध
यहां पर यह भी प्रासंगिक है कि मालवा हाउस से जुड़े अस्थायी कर्मचारियों के साथ ही स्थानीय कार्यक्रम तैयार करने वाले सूत्रधार और कलाकारों ने प्रसार भारती व्दारा लिए जा रहे इस निर्णय की खिलाफत की है। इस संबंध में उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, स्थानीय सांसद शंकर ललवानी सहित विभिन्न जनप्रतिनिधियों और नेताओं से न्याय करने की गुहार लगाई, लेकिन सभी ने महज आश्वासन देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। अब एक मईर् यानी मजदूर दिवस से मालवा हाउस का अस्तित्व भी एक प्रकार से आकाशवाणी की दुनिया में खत्म हो जाएगा।
इंदौर सहित प्रदेश के पांच आकाशवाणी केंद्रों पर छाया संकट
आकाशवाणी से जुड़े कर्मचारियों एवं अधिकारियों के अनुसार यह संकट इंदौर सहित रीवा, छतरपुर, ग्वालियर और जबलपुर केंद्र पर छाया है। इन सभी केंद्रों के सारे कार्यक्रमों को भोपाल आकाशवाणी केंद्र में समाहित किया जा रहा है। भोपाल केन्द्र से ही सभी केन्द्रों के कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे और वह भी सप्ताह में सिर्फ एक दिन। इस प्रकार, मालवा-निमाड़ की कला-संस्कृति पर खुले आम कुल्हाड़ी चलाई जा रही है।
इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से स्थानीय स्तर पर तैयार होने वाले सुबह-दोपहर और शाम के कार्यक्रमअब इंदौर से प्रसारित नहीं होंगे। इंदौर से प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रम अब भोपाल केन्द्र से हीप्रसारित किए जाएंगे। इस संबंध में प्रसार भारती व्दारा निर्देश जारी किए गए हैं और इसके चलते इंदौर को सप्ताह में एक दिन ही कार्यक्रम प्रसारित करने का अवसर मिलेगा।
-के.के.वर्मा, सहायक निदेशक इंदौर आकाशवाणी केन्द्र
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