कोरोना से ठीक हुए लोगों को गठिया-ऑटोइम्यून डिसऑर्डर का खतरा

इंदौर में भी अचानक बढ़ने लगे नई बीमारियों के मरीज

इंदौर। अनलॉक होने के बाद लोग धीरे-धीरे कोरोना को भूलने लगे हैं, लेकिन कोरोना से प्रभावित हुए लोगों में ठीक होने के बाद भी वह अपनी निशानिया छोड़ रहा है।ेेेे शहर के अस्पतालों में अचानक ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है, जिनके शरीर में कई तरह के बदलाव हो रहा है, इनमें शरीर की नसें भी डैमेज होने, जोड़ों में दर्द के साथ डाइजेस्टिव सिस्टम बिगड़ना व गठिया जैसे रोग शामिल है। वहीं कोरोना से प्रभावित लोगों में अब कम सुनाई देना और तेजी से बाल झड़ने के मामले भी सामने आ रहे है।चिकित्सकों की भाषा में इसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर या पोस्ट कोविड सिन्ड्रोम के लक्षण कहते है।
विशेषज्ञों की मानें तो जिन बुजुर्गों को दोनों लहर में कोरोना संक्रमण हुआ है, उनमें अब गठिया की शिकायतें होने लगी है। गठिया होने से घुटनों में दर्द होता है और चलने-फिरने में परेशानी आती है। कुछ अन्य लोग भी कई परेशानी से जूझ रहे हैं। देश में कोरोना से ठीक हुए लोगों और हाइपरटेंशन के मरीजों में ऑटोइम्यून डिसऑर्डर का खतरा अब बढ़ रहा है। यह समस्या पोस्ट कोविड सिन्ड्रोम भी कहलाती है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मनना है, की कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज नेगेटिव होने के बाद भी कई दिनों या महिनों तक उससे जुड़े लक्षणों या दुष्प्रभावों का अनुभव करता रहता है। इंदौर में भी इन दिनों ऐसे मरीज ज्यादा संख्या में इलाज के लिए अस्पताल आ रहे है, जिनके शरीर की नसें डैमेज होने, जोड़ों में दर्द के साथ डाइजेस्टिव सिस्टम बिगड़ना व गठिया जैसे रोग लक्षण ज्यादा दिखाई दे रहे है। कोरोना के चपेट में आए लोगों यह भी देखने को मिल रहा है, उनका इम्यून सिस्टम अचानक कमजोर हो गया था। अब उनके शरीर में इम्यून सेल डेवलप हो रहे हैं। डॉक्टरों की एक स्टडी में पाया गया कि कुछ लोगों में डैमेज सेल भी बन रहे हैं, जो बाद में कई बीमारियों की वजह बन सकते हैं। इन सबके बीच यह बात भी सामने आ रही है, की कोरोना वायरस सबसे पहले फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन इसके साथ यह किडनी, लिवर, हृदय और रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित कर सकता है। कोरोना संक्रमण पश्चात् कई मरीजों में नसों में सुन्नपन्न, अवसाद, भूलने की बीमारी जैसे लक्षण देखें गये है, जो यह दर्शाता है कि कोरोना वायरस ब्रेन एवं तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है।
क्या होता है ऑटोइम्यून डिसऑर्डर?
ऑटोइम्यून डिजीज के बारे में लोगों को बहुत कम पता होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह लोगों में कई साल से रहती है, लेकिन उन्हें पता नहीं होता। इस बीमारी में शरीर अपने ही इम्यून सिस्टम और शरीर की सेहतमंद कोशिकाओं पर अटैक करने लगता है। कोरोना से ठीक हुए लोगों में इसका खतरा रहता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोना के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। शरीर इसे रिकवर करने के लिए इम्यून सेल्स डेवलप करता है। कभी-कभी इस प्रोसेस में कुछ डिफेक्टिव सेल्स भी बन जाते हैं। इन्हें डैमेज सेल कहते हैं। डैमेज सेल बनने की गुंजाइश तब ज्यादा हो जाती है, जब शरीर नॉर्मल से ज्यादा इम्यून सेल डेवलप करता है। शरीर ऐसा तभी डेवलप करता है, जब इम्यून सिस्टम अचानक जरूरत से ज्यादा कमजोर हो जाए।
इनका कहना है…
पोस्ट कोविड के बाद ऐसे मरीज ज्यादा सामने आ रहे है, जिनमें ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से जुड़ी समस्या के लक्षण देखे जा रहे है, इनमें कम सुनाई देना और तेजी से बाल झड़ना आम लक्षण बनकर सामने आए हैं। ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के कारण कोरोना प्रभावितों में गठिया रोग भी बढ़ रहा है।
-डॉ. सतीश नीमा, ईएनटी,
मेडिकल ऑफिसर, जिला अस्पताल

महिलाएं ज्यादा होने लगीं प्रभावित
नई दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने ऑटोइम्युन रोगियों पर वैक्सीन का कम असर होने के तथ्य सामने आने पर शोध किया था। 30 और 50 की उम्र के बीच होने वाली यह बीमारी महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है।ऑटोइम्युन से जुड़ीं ऐसी अलग-अलग बीमारियों के लाखों मरीज अस्पतालों में इलाज ले रहे हैं। अब पोस्ट कोविड मरीजों में गठिया के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे है। इंदौर के असप्तालों में भी पिछले कुछ दिनों से ऐसे मरीजों की संख्या अचानक बढ़ी है, हालांकि गठिया से जुड़े एक करोड़ से अधिक मरीज सालाना अस्पतालों में इलाज ले रहे हैं।

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