कोयले का भारी संकट, राज्यों ने विदेशी कोयला खरीदना शुरू किया, बिजली की कीमतें अब तेजी से बढ़ेंगी

देश की कोयला नीति दो साल में ही औंधे मुंह खड़ी हो गई

नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश में कोयले का भारी संकट पैदा हो गया है। केन्द्र सरकार की दो साल पहले बनाई गई ऊर्जा कोयला नीति पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है, जबकि केन्द्र सरकार का दावा था कि अब भारत आने वाले समय में कोयले का निर्यात शुरू करने जा रहा है। विदेशी कोयला अब भारत में नहीं आएगा। राज्यों में बिजली का भारी संकट बढ़ने के बाद तीन राज्यों ने सीधे विदेशों से कोयला आयात करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कोयला लगभग 1.5 करोड़ टन होता है। अन्य राज्य भी अब विदेशों से कोयला आयात की तैयारी कर रहे हैं। पहले से ही विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी हो रही है, राज्यों के नए कदम से और तेजी से विदेशी मुद्रा जाना शुरू हो जाएगी। पूरी कोयला नीति अब सिर के बल खड़ी हो गई है।
देशभर में इस समय भारी बिजली संकट खड़ा होना शुरू हो गया है। कई राज्यों में बिजली कटौती भी शुरू हो गई है। कोयले की भारी किल्लत के कारण अब मई माह में हर राज्य को बिजली कटौती के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। राज्यों पर बिजली उत्पादन कंपनियों का 90 लाख करोड़ रुपया बकाया हो गया है। केन्द्र से राज्यों को पैसा नहीं मिल पा रहा है। बिजली उत्पादन कंपनियों ने कोयला कंपनियों का पैसा रोक दिया है। इसके चलते कोयला कंपनियों की देनदारी भारी बढ़ गई है और उन्होंने कोयला खरीदना बंद कर दिया है। कल भी एक लाख करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन मांग के अनुरूप कम हुआ है। हर साल गर्मी के सीजन में देश में बिजली की मांग चरम पर होती है, लेकिन कोयले की कमी के कारण कई राज्यों में संकट गहरा गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गोवा व कर्नाटक में मध्य मार्च से ही गर्मी बढ़ गई थी। इस कारण इन राज्यों में बिजली की मांग एकदम बढ़ गई। गुजरात के बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र और हरियाणा ने भी कोयले का आयात करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसका सबसे ज्यादा असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर तो पड़ेगा ही अर्थव्यवस्था जो पहले से ही नीचे जा रही है उसे और नुकसान होगा। राज्यों पर भी आने वाले समय में नए कर्ज का बोझ पड़ना शुरू हो जाएगा।
राज्य अब कोयले की कीमतों के आधार पर बिजली दरें बढ़ाएंगे
कोयले का आयात करने वाले राज्यों को अब अपना घाटा पूरा करने के लिए बिजली दरों को ही बढ़ाना होगा। इसका सारा भार आम लोगों पर आने वाले दिनों में दिखाई देने लगेगा। पांच राज्यों में दरें बढ़ाने को लेकर सहमति भी दे दी है। बिजली की दरें भी पेट्रोल-डीजल की दरों जैसी ही कोयले की कीमतों के आधार पर बढ़ती रहेगी।
बिजली की मांग 38 सालों की सर्वाधिक
देश में अप्रैल के पहले पखवाड़े में बिजली की मांग पिछले 38 सालों के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। इसी बीच यूक्रेन संकट के कारण आयातित कोयले की आपूर्ति पर असर पड़ने लगा। यही कारण देश के ताप बिजली घरों में कोयला का स्टॉक तेजी से घटने लगा।
राज्य मांग रहे केंद्र से अतिरिक्त बिजली, हरियाणा करेगा कोयला आयात
देश में पीक अवर में बिजली की फिलहाल कुल मांग 1,88,576 मेगावाट की बताई जा रही है। इसमें 3,002 मेगावाट की ही कमी बताई जा रही है, लेकिन दूसरी ओर कई राज्य भारी कमी झेल रहे हैं। उन्हें कटौती पर मजबूर होना पड़ रहा है। यही कारण है कि राज्य केंद्र से अतिरिक्त बिजली मांग रहे हैं। मध्य प्रदेश व पंजाब भी केंद्र से ज्यादा बिजली मांग रहे हैं। वहीं, हरियाणा ने पहली बार अपने ताप बिजली घरों के लिए 10 सालों में पहली बार कोयले के आयात का फैसला किया है।
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