अब काले धन की जानकारी भारत को नहीं मिल सकेगी
स्विट्जरलैंड की बैंकें सरकार के खिलाफ अदालत में गईं
नई दिल्ली (ब्यूरो)। स्विट्जरलैंड और भारत के बीच हुए काले धन की जानकारी को लेकर समझौते में अब पेंच आ गया है। स्विट्जरलैंड की 6 बड़ी बैंकों ने सरकार के इस फैसले को वहां की सबसे बड़ी अदालत में चुनौती दी है। बैंकों का कहना है कि इससे उनकी साख को नुकसान होगा और बैंकों में जमा भी लगातार कम होगा। हालांकि अदालत का यह फैसला पूरे विश्व के देशों के लिए नजीर बनेगा। भविष्य में सरकारों के बीच समझौते में इसे कोट किया जाए।
भारत सरकार द्वारा बनाए गए ब्लैक मनी कानून के तहत सरकार कई देशों के साथ काले धन की जानकारी को लेकर समझौते कर रही थी। इस बीच स्विट्जरलैंड की बैंकों में जमा भारतीयों के अरबों रुपए के काले धन का मामला भी उठता रहता था। दोनों देशों के सरकार के बीच पिछले समय यह समझौता हुआ था कि जमा काले धन की जानकार सरकारों को दी जाएगी परंतु अब स्विट्जरलैंड की सबसे बड़ी बैंकों ने इस कानून को चुनौती दी है । जब तक अदालत में यह मामला विचाराधीन रहेगा तब तक बैंक कोई भी जानकारी काले धन संबंधी नहीं देगी। इसके चलते अब काले धन की जानकारी सरकार को मिलना बंद हो जाएगी।उल्लेखनीय है कि भारत के कारोबारियों और राजनेताओं को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि स्विस बैंकों में जमा धन 2020 में 13 साल में सबसे अधिक 2.55 अरब स्विस फ्रेंक या 20 हजार 700 करोड़ रुपए हो गया है। उल्लेखनीय है कि काले धन के मामले में भारत विश्व के 5 देशों में चौथे नंबर पर आता है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काले धन को ही लेकर सबके खाते में 15-15 लाख रुपए जमा होने का दावा किया था। 7 सालों में अभी तक काले धन आने की कोई संभावना नहीं बनी है और अब अदालती कार्रवाई के कारण यह लम्बे समय तक उलझी रहेगी।