महंगाई 19 माह के सर्वोच्च स्तर पर पहुंची

खाद्यान्न, कपड़े, जूते की महंगाई ने 8 साल के सभी रिकार्ड तोड़े

नई दिल्ली (दोपहर आर्थिक डेस्क)। कल केन्द्र सरकार ने एक बार फिर उपभोक्ता महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं। जो बता रहे हैं कि खाद्य उत्पादकों की महंगाई 19 माह के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी है तो कपड़ों की महंगाई 8 साल के उच्च स्तर पर बन चुकी है। जूते-चप्पलों की महंगाई भी 111 महीनों के उच्च स्तर पर बनी हुई है। इसके अलावा सर्विस क्षेत्र यानी घरेलू सेवाओं में 102 माह के सर्वोच्च स्तर पर महंगाई पहुंच चुकी है। इसमें अब केवल सब्जी-भाजी के अलावा सभी महंगाई भविष्य के लिए स्थायी रूप से बनी रहेगी। नींबू की महंगाई तो थोड़े समय में समाप्त हो जाएगी पर भविष्य में बाकी सभी महंगाईयां ढांचागत महंगाई का रूप ले चुकी रहेंगी। इसके अलावा सीमेंट, एल्युमिनियम, कच्चा सामान, बिजली की महंगाई लगातार बढ़ती रहेगी। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई राहत की संभावना नहीं है। कच्चा तेल 100 रुपए के पार ही बना रहेगा। यानी घर चलाने के लिए जो काम पिछले साल 100 रुपए में होता था वह इस साल बढ़कर 108 रुपए में और कई जगह 120 रुपए में भी पहुंच चुका है।

 

उपभोक्ता महंगाई के लिए कल जारी किए गए आंकड़ों में बताया गया है कि इस साल यह महंगाई 69 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है जो 17 महीने के उच्च स्तर पर है। खाद्य, सब्जी, तेल, कपड़े और जूते-चप्पल तीनों महंगाई का आंकड़ा दहाई को पार कर चुका है। पिछले समय घरेलू सामानों को बनाने वाली कम्पनियों ने लगातार तीन बार कीमतों में वृद्धि की है। यह 15 प्रतिशत तक बढ़ गई है। दिल्ली में सीएनजी 13 रुपए और 800 दवाएं की कीमतें भी बाजार में बढ़ चुकी हैं। 19 किलो का कमर्शियल सिलेंडर 250 रुपए और घरेलू सिलेंडर 50 रुपए महंगा हो गया है।
खाद्य उत्पादकों की महंगाई सर्वोच्च स्तर पर
पिछले 19 माह में धीरे-धीरे बढ़ती महंगाई ने अब 19 माह का सर्वोच्च स्तर प्राप्त कर लिया है। सब्जी जो पिछले साल अक्टूबर में -19 प्रतिशत सस्ती थी, बढ़कर 11 फीसदी महंगी हो गई है और अभी यह भाव लगातार बने रहेंगे।
जूते-चप्पल 111 महीने के रिकार्ड पर
महंगाई की मार का असर खाने-पीने के सामान पर ही नहीं, जूते-चप्पलों पर भी पड़ा है। बाजार में जूते-चप्पलों की महंगाई 111 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, जो अब तक का सर्वाधिक महंगा होने का रिकार्ड बना रही है। कम्पनियों का कहना है कि लागत ही 30 प्रतिशत तक बढ़ रही है।
कपड़ा बाजार ने रिकार्ड तोड़ा
बाजार में उठाव नहीं होने के बाद भी कपड़ों की महंगाई 100 महिनों के उच्च स्तर को पार कर चुकी है। यानी 8 साल पहले जो कीमतें थीं उसमें रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गई है। 100 रुपए मीटर का कपड़ा 160 रुपए मीटर तक न्यूनतम पहुंच है। कई कपड़ों के भाव और रेडिमेड भी कच्चे माल के कारण बढ़ चुके हैं जो अब वापस नहीं होंगे।
कुछ अन्य भी
इधर दूसरी ओर खुदरा महंगाई को इसमें कहीं नहीं जोड़ा गया है। सीमेंट, सरिया सहित पेट्रोल-डीजल के भाव अब अगले पूरे वर्ष यही बने रहेंगे यानी महंगाई की मार में अब राहत की संभावना नहीं रहेगी। कारोबारी बढ़ी हुई महंगाई को अब ढांचागत महंगाई मानने लगे हैं। उनका कहना है कि उद्योगों को चलाने की लागत और बिजली के खर्च के बाद अब बढ़ी हुई कीमतें वापस होना संभव नहीं होगा। कार से लेकर स्कूटर तक बेहद कम राहत उपभोक्ता को दे पाएंगे।

 

जीने की लागत महंगी
-ओला-उबेर ने किराया 12-15 प्रतिशत तक बढ़ाया।
– मर्फ-साबुन, तेल, मंजन समेत सभी एफएमसीजी उत्पाद 10-15 प्रतिशत तक महंगे।
– दिल्ली में सीएनी की कीमत एक महीने में 13.1 रुपए प्रति किलो बढ़ी।
– अप्रैल में ही मुंबई में पीएनजी 9.50 रुपए प्रति यूनिट महंगा।
– 1 अप्रैल से 800 जरूरी दवाओं की कीमतें 10.76 महंगी।
– एमपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र समेत आधा दर्जन राज्यों में बिजली महंगी।
– 13 अप्रैल से 19 किलो का कमर्शियल गैस सिलेंडर 250 रुपए महंगा।
– मार्च महीने में घरेलू एलपीजी सिलेंडर 50 रुपए महंगा।

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