कई सालों में भी नहीं बने मास्टर प्लान के चारों दिशा में ट्रांसपोर्ट हब

600 एकड़ भूमि सुरक्षित थी ट्रांसपोर्ट हब के लिए

इंदौर। महानगर को सपनों का शहर बनाने के तमाम दावे-वादे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि वर्षों से प्रशासन की लापरवाही एवं जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते बस प्रस्ताव पर प्रस्ताव बनते हैं, लेकिन शहर में रोजाना आने वाले दस हजार से अधिक ट्रकों की पार्किंग के लिए कोई इंतजाम नहीं हो सके। यही वजह है कि मास्टर प्लान में शहर के चारों और ट्रांसपोर्ट हब की अनिवार्यता है, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई काम ही नहीं हो सका। इसी के चलते, अब लोग यह सवाल उठाने लगे हैं कि न जाने बनेगा कब, महानगर में ट्रांसपोर्ट हब…

उल्लेखनीय है कि महानगर में ट्रेफिक सबसे बड़ी समस्या है। लोहा मंडी हो या छावनी अनाज मंडी, मैकेनिक नगर हो या फिर ट्रांसपोर्ट नगर यहां आने वाले हजारों भारवाहक वाहनों के कारण अक्सर यातायात बाधित होता है। इसे देखते हुए, वर्षों पहले मास्टर प्लान में शहर के चारों ओर ट्रांसपोर्ट हब बनाए जाने का प्रस्ताव था। बावजूद इसके, यह प्रस्ताव फाइलों में ही दफन होकर रह गए। इंदौर केे चौतरफा विकास और तेजी से बढते व्यापार-व्यवसाय की सख्त जरूरत बन चुके ट्रांसपोर्ट हब की योजना इंदौर विकास प्राधिकरण व्दारा ग्राम लसूड़िया में बनाई थी, लेकिन वह भी पूरी नहीं हो सकी। ट्रांसपोर्ट के अनियंत्रित दबाव को सह नहीं पा रहे शहर के देवास नाके पर ही आने वाले १० हजार से अधिक ट्रक यातायात के लिए गंभीर चुनौती बन गए हैं।

मास्टर प्लान में कहां-कहां बनाए जाने थे ट्रांसपोर्ट हब
देखा जाए तो पिछले मास्टर प्लान में शहर की चारों दिशाओं में ट्रांसपोर्ट हब बनाए जाने की अनिवार्यता प्रस्तावित थी। इसके चलते, शहर के पूर्वी क्षेत्र में उज्जैन रोड पर बारोली ग्राम में १०० एकड़ भूमि पर ट्रांसपोर्ट हब के लिए प्रस्तावित की गई थी। इसी प्रकार, पश्चिम दिशा में धार रोड पर श्रीराम तलावली में २०० एकड़ भूमि ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के लिए प्रस्तावित की गई थी। दूसरी ओर, उत्तर दिशा में लसूड़िया मोरी में आईडीए व्दारा १५१ हेक्टेयर भूमि प्रस्तावित करने के साथ ही मांगलिया में भी भूमि सुरक्षित की गई थी। इधर, दक्षिण दिशा में आगरा-बाम्बे मार्ग पर महू की ओर ग्राम उमरिया में १५० एकड़ भूमि को ट्रांसपोर्ट हब के लिए सुरक्षित किया गया था। बावजूद इसके, कहीं भी ट्रांसपोर्ट हब आकार नहीं ले पाया।

भारी दबाव वाले नेशनल और स्टेट हाई-वे से जुड़ा है महानगर का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय
देखा जाए तो इंदौर महानगर का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय विभिन्न नेशनल एवं स्टेट हाई-वे से जुड़ा हुआ है। इसमें मुख्य तौर पर फोरलेन, एनएच-३ है, जो देवास, ग्वालियर, आगरा, नासिक और मुम्बई को जोड़ता है। इसी प्रकार, फोरलेन एनएच-५९ है, लगभग ४८० किलोमीटर लम्बा यह मार्ग इंदौर को अहमदाबाद से जोड़ता है। इसके अलावा, एनएच-७९ रतलाम से होते हुए राजस्थान को जोड़ता है। दूसरी ओर एनएच-८६ भोपाल-देवास होते हुए गुजरता है, जबकि एनएच-५९ एवं ६९ बैतूल से सीधे नागपुर को जोड़ता है। इसके अतिरिक्त, स्टेट हाई-वे १८ देवास, उज्जैन, बदनावर को जोड़ता है तो स्टेट हाई-वे २७ खंडवा, इंदौर, उज्जैन को जोड़ता है। इसी प्रकार, स्टेट हाई-वे ३१ गुजरी-धार से गुजरता है। इन्ही प्रमुख मार्गों से इंदौर का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबद्ध है।

एक बार फिर आईडीए ने टीपीएस-३ में ट्रांसपोर्ट हब की योजना प्रस्तुत की
शहर में यातायात के दबाव को कम करने की दृष्टि से एक बार फिर अपने बजट में टीपीएस-३ में ट्रांसपोर्ट हब के साथ ट्रांसपोर्ट पार्क बनाए जाने की योजना प्रस्तावित की है। इस पार्क में १००० ट्रकों की पार्किंग हो सकेगी। दरअसल मास्टर प्लान में एमआर-११ से लगी इस जमीन का उपयोग व्यवसायिक व ट्रांसपोर्ट है। इसी आधार पर प्राधिकरण ने यहां ट्रांसपोर्ट हब की योजना को तैयार किया था, लेकिन जमीन मालिकों से बात नहीं बन पाने की वजह से यह योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही थी। इसी के चलते, लैंड पूलिंग नीति के तहत बायपास एबी रोड के बीच प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट हब के स्थान पर टीपीएस -३ तैयार की गई है। आईडीए का ट्रांसपोर्ट पार्क करीब १२.५ एकड़ में बनानो की योजना है। देखना है, यह योजना भी साकार होती है या नहीं।

कैसे फ्लाप हो गई आईडीए की ट्रांसपोर्ट हब योजना
आईडीए ने एबी रोड पर ग्राम लसूड़िया मोरी में ट्रांसपोर्ट हब के लिए योजना बनाई थी, लेकिन शासन की बैरुखी व निहित स्वार्थों केे चलते सैकड़ों एकड़ पर अवैध गोडाउन, गैरेज, ढाबे आदि बिना किसी अनुमति के बन गए। शेष बची ४०० एकड़ भूमि पर ट्रासपोर्ट हब हेतु प्राधिकरण व्दारा योजना क्रं.१६७ घोषित की और यह भी लापरवाही की भेट चढ गई। इसके बाद एक बार फिर योजना क्रमांक १७४ घोषित की गई, जो १५० हेक्टेयर में ३५० करोड़ की लागत से बननी थी। इस घोषणा को भी वर्षों गुजर चुके हैं, लेकिन प्राधिकरण इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा सका।

फैक्ट फाइल…
-शहर में ८० प्रतिशत माल ढुलाई व परिवहन सड़क मार्ग से होता है।
-प्रदेश के १८ राष्ट्रीय मार्ग महानगर से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ते हैं।
-इंदौर में प्रतिदिन ३२ हजार टन कमोडिटी माल का परिवहन हो रहा है।
-शहर के बीच जर्जर स्थिति में ट्रांसपोर्ट नगर, टिम्बर मार्केट, पंचकुइया, सियागंज, लोहामंडी, हाथीपाला, लक्ष्मीबाई नगर, संयोगितागंज मंडी, देवास नाका, रेत मंडी, सब्जी मंडी आदि के चलते यातायात चौपट होता है।
-डीएमआयसी ट्रांसपोर्ट हब पीथमपुर में बनेगा। इससे धार, महू, पीथमपुर क्षेत्र के साथ इंदौर में भी माल परिवहन व्यवसाय में वृद्धि होगी।

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