15 लाख से भी ज्यादा ग्राहकों की जानकारी एकत्र करने की तैयारी

ठेले वाले से लेकर रेहड़ी, होटल संचालक और कारोबारी ले रहे हैं डिजीटल पेमेंट

मुंबई (ब्यूरो)। देशभर में छोटी छोटी दुकानों पर डिजीटल पेमेंट किए जाने को लेकर चलाए गये अभियान के बाद अब रिजर्व बैंक का ध्यान इस ओर गया है इसका मुख्य कारण यह है कि डिजीटल पेमेंट एकत्र करने वाली कंपनियों के पास किसी भी प्रकार का लाइसेंस नहीं है। इन कंपनियों के पास हर दिन एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा एकत्र हो रहे हैं। दूसरी ओर जिन उपभोक्ताओं से कंपनी पेमेंट एकत्र कर रही है उनकी कोई ठोस जानकारी भी नहीं है और इसी के चलते यूपीआई को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। अब रिजर्व बैंक के नये नियम में इन सभी कंपनियों को अपने ग्राहकों के पूरे नाम पते का भौतिक सत्यापन करवाना होगा। इस पर इन कंपनियों को भारी खर्च उठाना होगा अभी पंद्रह लाख से अधिक ग्राहक इस सेवा का उपयोग कर रहे हैं। इसमे ठेलेवाले से लेकर छोटे व्यापारी चाय वाले रेहड़ी वाले तक अपने स्टाल पर क्यूआर कोड लगाकर पैसे जमा करवा रहे हैं।

रिजर्व बैंक के बनाये गये ताजा नियम का ड्राफ्ट जारी कर दिया गया है इसमे अब डिजीटल पेमेंट लेने वाली सभी कंपनियों को अपने यहां भुगतान लेने के पहले अपने ग्राहक का पूरा भौतिक सत्यापन करवाना होगा एक ग्राहक के भौतिक सत्यापन पर लगभग पांच सौ रुपये का खर्च आयेगा। पंद्रह लाख से अधिक ग्राहक अभी डिजीटल पेमेंट ले रहे हैं। रिजर्व बैंक का कहना है कि डिजीटल लेनदेन को और सुरक्षित एवं मजबूत बनाने के लिए यह नियम लागू किए गए हैं। इसके अंतर्गत अब इसमे काम कर रही कंपनियों को 25 करोड़ रुपये का भुगतान भी सुरक्षित करना होगा। आजकल छोटे छोटे ठेले से लेकर बड़ी बड़ी दुकानों तक क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान लिया जा रहा है। अभी इस प्रकार के भुगतान एकत्र करने वाले कंपनियों में गुगल पे, फोन पे, भारत पे, इनोवेट, भीम यूपीआई सहित कई कंपनियां है। इन कंपनियों ने अपने क्यूआर कोड दे रखे हैं। अभी तक छोटे बड़े व्यापारी इन कंपनियों ने एप पर आनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाकर भुगतान प्रक्रिया में शामिल हो जाते हैं। अब उन्हें इसमे रजिस्ट्रेशन के लिए भौतिक सत्यापन करवाना होगा जिसमें पूरी जानकारी देना होगी। सवाल उठ रहा है कि इस भौतिक सत्यापन का खर्च कौन उठायेगा क्योकि छोटे कारोबारी को यदि इसके सत्यापन पर राशि खर्च करना पड़ी तो वे डिजीटल भुगतान से बाहर हो जाएंगे। रिजर्व बैंक अब इन कंपनियों पर सख्त नजर रखना चाहती है क्योंकि हर दिन इन कंपनियों के पास हजारों करोड़ों रुपये जमा हो रहे हैं। इनमे से कई लोगों की कोई जानकारी पूरी नहीं है और इसी कारण इसमे जालसाजी भी हो रही है। वहीं हर व्यक्ति का डाटा भी कंपनी के पास पहुंच रहा है जिसमें बैंकिंग जानकारी और कोड भी शामिल है।

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