नहीं बढ़ेगी अब पेट्रोल-डीजल की कीमतें

आरबीआई ने भी माना था महंगाई बढ़ने का कारण बढ़ती कीमतें

नई दिल्ली (ब्यूरो)। सरकार अब कुछ समय के लिए पेट्रोल डीजल की कीमते स्थिर करने के लिए कंपनियों को निर्देशित कर चुकी हैं, हालांकि कंपनियां अभी भी पेट्रोल पर पंद्रह रुपए और डीजल पर 22 रुपए और बढ़ाने के लिए निरंतर दबाव बनाये हुए हैं। सरकार कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते आम लोगों को राहत देने के लिए एक्साइज ड्यूटी में भी कटौती करने का बड़ा प्लान बना रही है। इसका कारण यह है कि आने वाले महीनों में महंगाई चरम पर होगी। पेट्रोल डीजल की कीमतों से जहां आर्थिक तेजी की रफ्तार में रोक लगेगी वहीं छोटे उद्योगों का उत्पादन घटना भी देश के लिए घातक होगा। अभी पूरे विश्व में सबसे महंगी गैस भारत में ही बिक रही है।
22 मार्च से पेट्रोल डीजल की कीमतों में शुरु हुई वृद्धि पिछले पांच दिनों से रुकी हुई है। सूत्र बता रहे हैं कि सरकार ने तेल कंपनियों को निर्देशित कर दिया है कि वह अब कीमते नहीं बढ़ाये इसी के चलते फिलहाल कीमते स्थिर है लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतों का असर हर कारोबार पर दिखाई देने लगा है। सीमेंट फैक्ट्रियों से लेकर सरिया फैक्ट्री के अलावा छोटे उत्पादन करने वाली ने भी उत्पादन कम कर दिया है।

दूसरी ओर कीमतों में बीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी है। किसानों ने भी मंडी तक पहुंचने वाली फसल की कीमते भाड़े के कारण बढ़ा दी है इसी कारण सब्जी भाजी के भाव भी तेजी से बढ़ रहे है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि सरकार भी मान रही है कि आने वाले छह महीनों में महंगाई से कोई राहत मिलने की संभावना नहीं है जब तक सरकार टैक्स में राहत देकर कीमते कम नहीं करे। दूसरी ओर रुस और यूक्रेन का युद्ध समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है इसके कारण भी लगातार भाव बढ़ रहे हैं पर अभी राहत वाली खबर यह है कि अगले पंद्रह दिनों तक पेट्रोल डीजल की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगा यदि कच्चे तेल के भाव सौ डालर के आसपास ही बने रहे तो। दूसरी ओर आने वाले महीने देश में भारी महंगाई और बेरोजगारी से भरे होंगे। दूसरी ओर यह भी उल्लेखनीय है कि इस समय दुनिया में सबसे महंगी प्राकृतिक गैस एलपीजी सीएनजी, पीएनजी के भाव भारत में सबसे महंगे है जबकि पेट्रोल विश्व में तीसरे नंबर पर और डीजल आठवे नंबर पर महंगा है।

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