जीएसटी के अब तीन स्लैब होंगे, 12 और 18 प्रतिशत खत्म कर 15 प्रतिशत होगा

ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी, डोमेन पर भी सुझाव मांगे

नई दिल्ली (ब्यूरो)। एक ओर जहां लोगों का ध्यान पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बना हुआ है, वहीं दूसरी और जीएसटी के नए स्लेब लाए जाने को लेकर कवायत शुरू हो गई है। इसी के साथ जीएसटी में बड़े बदलाव होने जा रहे है, इसमें 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के 2 स्लैब समाप्त कर 15 प्रतिशत का नया स्लेब बनाया जा रहा है। इसमें जिस सामान पर 12 प्रतिशत पर टैक्स लगता था उन पर अब 3 प्रतिशत की वृद्धि टैक्स में हो जाएगी। इसमें अधिकांश सामान घरेलू खपत के लिए ही लगता है दूसरी और 18 प्रतिशत का स्लैब 3 प्रतिशत कम हो जाएगा। इसमें इलेक्ट्रिानिक आइटम आते है दूसरी और देश की बड़ी आबादी सीमेंट को 28 प्रतिशत के स्लेब से हटाने की मांग कर रही है। क्योंकि 10 लाख का मकान बनाने में 2 लाख की सीमेंट में 56 हजार रुपए टैक्स चला जाता है।
1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के 5 साल बाद भी जीएसटी ना अधिकारियों की समझ में आ रहा है और न ही कारोबारियों की 400 से ज्यादा संशोधन के बाद भी इसमें कई तकनीकी खामियां बनी हुई है। अब एक बार फिर जीएसटी में बड़े बदलाव को लेकर ग्रुप ऑफ मिनिस्टर की बैठक के बाद दिए गए सुझाव पर सरकार आगे बढ़ने जा रही है। सुझाव को लेकर पब्लिक डोमेन पर भी सूचना जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि 12 और 18 प्रतिशत के स्लैब समाप्त कर अब 3 स्लैब बनाए जा रहे है। इसमें 5 प्रतिशत 15 प्रतिशत और 28 प्रतिशत रहेंगे, इन स्लैब को लेकर कारोबारियों ने फिर कड़े एतराज दर्ज कराए है। कारोबारियों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि 12 प्रतिशत के सामान 9 प्रतिशत के टैक्स में शामिल किया जाना चाहिए । इससे टैक्स का राजस्व और बढ़ेगा वहीं 18 प्रतिशत वाले टैक्स के सामान 15 प्रतिशत के दायरे में कर दिए जाए इससे मंहगाई भी नहीं बढ़ेगी आम लोगों को कुछ राहत तो मिलेगी। यदि ऐसा नहीं किया तो 6 प्रतिशत से ज्यादा मंहगाई कई सामानों पर दिखाई देगी। यह भी सुझाव दिया गया है कि सीमेंट को 15 प्रतिशत के टैक्स दायरे में लाया जाए इससे मकानों की लागत कम होगी। वहीं 28 प्रतिशत टैक्स के दायरे में शराब महंगी कारें और सिगरेट को लाया जाए, इससे राजस्व का नुकसान नहीं होगा। उल्लेखनीय है जीएसटी में अभी भी रेस्टोरेन्ट के खाने से लेकर पीज्जा से लेकर आइस्क्रीम तक उलझे हुए है कई जगह इनमें विवाद भी है रोटी और पराठे में भी अभी तक निराकरण नहीं हो पाया है। इसके अलावा कई और संशोधन भी अलग-अलग राज्यों की कमेटियों ने दे रखे हैं। कई राज्यों ने जीएसटी के अलावा सेस को लेकर भी अपनी शिकायत दर्ज करवा रखी है। जीएसटी काउंसिल की बैठक अगले पखवाड़े होना है।

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