विकास के दावे के बीच भारत तीन पायदान और पीछे खिसका भूटान और बांग्लादेश भी आगे, 120 वें स्थान पर जा पहुंचा

बेहतर जिंदगी के मुद्दों पर भारत का खराब प्रदर्शन

वॉशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र के 192 सदस्य देशों द्वारा सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने का एजेंडा 2030 अपनाने के बाद भारत इस सूची में पिछले साल के मुकाबले तीन पायदान फिसलकर 120वें स्थान पर पहुंच गया। संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में इस प्रस्ताव को अपनाया था, जिसकी ताजा रैंकिंग के मुताबिक भारत पड़ोसी पाकिस्तान (129वीं रैंक) को छोड़कर अपने सभी पड़ोसी देशों से पीछे है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सतत विकास के लक्ष्य हासिल करने के मामले में भारत सभी दक्षिण एशियाई देशों से पीछे है। इस सूची में भूटान 75वें, श्रीलंका 87वें, नेपाल 96वें और बांग्लादेश 109वें पायदान पर है। भारत का कुल सतत विकास लक्ष्य का अंक 100 में से 66 है। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा जारी भारत की पर्यावरण रिपोर्ट 2022 के अनुसार, देश की रैंकिंग में गिरावट की वजह मुख्य रूप से भूख, अच्छे स्वास्थ्य, खुशहाली, लैंगिक समानता की चुनौतियां हैं। रिपोर्ट के मुताबिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर जिंदगी के मुद्दों पर भी भारत का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल भारत भूख को समाप्त करने, खाद्य सुरक्षा हासिल करने, लैंगिक समानता, लचीला बुनियादी ढांचा, समावेशी और टिकाऊ औद्योगीकरण का लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रहा।
केरल अव्वल, हिमाचल दूसरे स्थान पर, बिहार और झारखंड सबसे पीछे : रिपोर्ट के मुताबिक यदि राज्यवार तैयारियों की बात करें तो 2030 तक सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त करने के मामले में झारखंड और बिहार सबसे कम तैयार हैं। इस मामले में केरल अव्वल है। वहीं, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे पायदान पर गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड हैं।
केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ अव्वल : इस लक्ष्य को हासिल करने की तैयारियों के मामले में केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ पहले स्थान पर है। दिल्ली, लक्षद्वीप और पुड्डुचेरी दूसरे स्थान पर हैं, वहीं अंडमान निकोबार तीसरे स्थान पर है।

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