19 राज्यों के अधिकारियों का शहर में समागम, सीखेंगे कैसे इस अभियान को अपने राज्य में शुरु किया जाए

अब इन्दौर बनेगा विश्वस्तरीय स्वच्छता मॉडल, पीएमओ ने चार घंटे निगमायुक्त प्रतिभा पाल से समझा कचरे से सीएनजी मॉडल को...

इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी महानगर इंदौर अब विश्वस्तरीय स्वच्छता मॉडल बनने जा रहा है। इसके साथ ही यह देश ही नहीं बल्कि एशिया में गीले कचरे से सीएनजी बनाने वाला पहला शहर होगा। इसके लिए तैयार संयंत्र का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा १९ फरवरी को वर्चुअल उदघाटन किया जाएगा। इससे एक दिन पहले १९ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के ढाई सौ से अधिक अधिकारियों का इंदौर में समागम होगा और वे इंदौर के स्वच्छता मॉडल को समझने के साथ अपने राज्य में लागू करने की कोशिश करेंगे। इस प्लांट के लागू होने से जहां विदेशी मुद्रा की बचत होगी वहीं वायु प्रदूषण पर भी अंकूश लगेगा। इधर, मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय से निगमायुक्त प्रतिभा पाल के साथ वीडियो कान्फ्रेंस कर गीले कचरे से सीएनजी बनाये जाने की कार्यप्रणाली को भी समझा गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 19 फरवरी को कचरे से सीएनजी बनाने वाले प्लांट का उदघाटन करेंगे। वे एक बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में जुड़ेंगे और इंदौर-भोपाल के साथ देवास के स्वच्छता उद्यमियों से संवाद भी करेंगे। इंदौर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा की। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी 407 नगरीय निकायों में सीधा प्रसारण किया जाए। इंदौर नगर में 10 स्थानों पर एवं प्रदेश के सभी 407 निकायों के प्रमुख स्थानों पर एलइडी के माध्यम से एक लाख, इंटरनेट मीडिया और सभी इलेक्ट्रानिक चैनल पर एक करोड़ से अधिक लोग सीधा प्रसारण देख सकेंगे। कार्यक्रम में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य एवं पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पूरी भी शामिल होंगे।कार्यक्रम के दौरान संयंत्र पर निर्मित फिल्म का प्रदर्शन भी किया जाएगा।यहां यह प्रासंगिक है कि इंदौर में प्रतिदिन लगभग छह सौ टन गीला कचरा घरों से निकलता है। इसके लिए बायो सीएनजी बनाने के लिए संयंत्र लगाया गया है। इससे प्रतिदिन 18 हजार किलोग्राम गैस का उत्पादन होगा। वहीं, सौ टन कम्पोस्ट खाद का उत्पादन होगा।


स्वच्छता अभियान के जनक है मनीष सिंह
देखा जाए तो तत्कालिन निगमायुक्त मनीष सिंह इंदौर के स्वच्छता अभियान के जनक है। उनके कार्यकाल में ही पहली बार इंदौर नगर निगम स्वच्छता में देशभर में अव्वल आया था। इसके बाद से लगातार पांचवी बार इंदौर स्वच्छता अभियान में नंबर वन रहा है। मनीष सिंह के प्रयासों से ही इंदौर का स्वच्छता अभियान अब पूरे देश में एक मॉडल के रुप में देखा जा रहा है और यही वजह है कि अब देशभर के विभिन्न नगर पालिक निगमों और विभिन्न राज्यों के अधिकारियों द्वारा इंदौर का दौरा कर यहां के स्वच्छता मॉडल को अपने यहां लागू किया जा रहा है।
निगमायुक्त प्रतिभा पाल की भी रही अहम भूमिका
स्वच्छता में पंच लगाने वाले महानगर इंदौर की निगमायुक्त प्रतिभा पाल की भी स्वच्छता अभियान में अहम भूमिका रही है उनके कार्यकाल में न केवल नाला टेपिंग कार्य शुरु हुआ बल्कि कान्ह, सरस्वती नदी सफाई अभियान भी सफल रहा। श्रीमती प्रतिभा पाल की कर्तव्यनिष्ठा उस वक्त देखने को मिली जब प्रसूति के आठवें दिन ही उन्होंने पुन: कार्यभार संभाल लिया और वे सड़कों पर उतर आई। इसी के चलते गत दिवस पीएमओ कार्यालय से भी वीडियो कान्फ्र्रेंसिंग कर श्रीमती पाल से इंदौर के स्वच्छता मॉडल को जाना और कचरे से सीएनजी बनाने की कार्यप्रणाली को समझा।
पूर्व महापौर मालिनी गौड़ ने दी स्वच्छता अभियान को गति
इंदौर के स्वच्छता अभियान को पूर्व महापौर श्रीमती मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़ ने अपने कार्यकाल में गति प्रदान की। उनके कार्यकाल में जहां कचरा पेटियां हटी वहीं घर घर कचरा कलेक्शन की शुरुआत भी हुई। उनके इस प्रयास को बेहतर प्रतिसाद मिला और इंदौर स्वच्छता अभियान की दृष्टि से एक माडल बन गया।
एक दिन पहले ही पहुंच जाएंगे देशभर के विभिन्न राज्यों के अधिकारी
गीले कचरे से सीएनजी गैस का उत्पादन करने वाला इंदौर देश के साथ ही एशिया का पहला शहर है। इससे न केवल शहर कार्बन फ्री होगा वहीं विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। स्वच्छता अभियान के तहत लगाया गये इस प्लांट की कार्यप्रणाली को समझने और इंदौर के स्वच्छता मॉडल को अपनाने के लिए देशभर के विभिन्न राज्यों के ढाई सौ से अधिक अधिकारी एवं प्रतिनिधि एक दिन पहले ही इंदौर में जुटेंगे। वे यहां स्वच्छता के मॉडल और उसकी कार्यप्रणाली को समझने के साथ ही कबीटखेड़ी स्थित प्लांट के साथ ही ट्रेचिंग ग्राउंड का भी अवलोकन करेंगे।
यूरोपीय देशों से बेहतर इंदौर का सफाई मॉडल
गौरतलब है कि इंदौर का सफाई मॉडल यूरोपीय देशों से भी बेहतर है। यहां कचरे का सही तरह से निपटान किया जा रहा है। गीले और सूखे कचरे के लिए अलग अलग प्लांट स्थापित कर जहां खाद बनाई जा रही है वहीं अब बायो सीएनजी गैस उत्पादन की भी शुरुआत हो रही है।

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