प्रदेश का पहला स्लज हाईजीनेशन प्लांट तैयार

अब गाद से बनाई जाएगी खाद, जनवरी से शुरु हो जाएगा उत्पादन

इंदौर। देशभर में स्वच्छता का पंच लगाने के बाद नगर निगम अब एक और नवाचार करने जा रही है। इसके तहत अब शहर की सीवरेज लाइनों से निकलने वाली गाद से खाद बनाई जाएगी। इसके लिए प्रदेश का पहला और देश का दूसरा स्लज हाईजीनेशन प्लांट तैयार हो गया है। इसे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्रने एनओसी भी जारी कर दी है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में टेस्टिंग के बाद जनवरी से इस प्लांट में खाद का उत्पादन शुरु हो जाएगा।

दरअसल, शहर में कबीटखेड़ी स्थित २४५ एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास ही २० करोड़ रुपए की लागत से २० हजार वर्गफीट में स्लज हाईजीनेशन प्लांट तैयार किया गया है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में रोजाना २४५ एमएलडी पानी को साफ करने पर १५ टन गीली गाद निकलती है। इससे वर्तमान प्रक्रिया में २ टन खाद बनाई जाती है, लेकिन स्लज हाईजीनेशन प्लांट में गाद को खाद में बदलने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र(बार्क) के कोबाल्ट सोर्स का इस्तेमाल कर खाद बनाई जाएगी। इसके चलते यहां प्लांट की बिल्डिंग बनाने के साथ ही उसमें मशीने लगाने का काम पूरा हो गया है।

१५०० किलो क्यूरी यूनिट है प्लांट की क्षमता
देखा जाए तो अभी कबीटखेड़ी स्थित एसटीपी में गाद सुखाकर खाद बनाई जाती है, लेकिन इसमें न केवल काफी समय लगता है, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी कम होती है। वजह यह कि एसटीपी परिसर में अभी ४ टन क्षमता के ड्रायिंग बेड (गाद सुखाने वाली प्लेटे) है, लेकिन अब १०० टन क्षमता के ड्रायिंग बेड स्थापित किए गए है। इस पर रखकर पहले गाद को धूप में सुखाया जाएगा और २० प्रतिशत नमी शेष रहने पर इसे आटोमेटिक मशीनों के माध्यम से कोबाल्ट सोर्स के सामने से गुजारा जाएगा। कोबाल्ट सोर्स के रेडिएशन से चंद मिनटों में गाद में मौजूद खराब बैक्टीरिया नष्ट हो जाएगा। इसके बाद बायो एनपीके नामक यूनिट में माइक्रो बायोलाजिस्ट सूखी गाद में पोटेशियम व नाइट्रोजन मिलकर उच्च गुणवत्ता की खाद तैयार होगी, जिसे २५-५० एवं १०० किलो पैकिंग में नर्सरी संचालकों एवं किसानों को न्यूनतम दर पर बेचा जाएगा। निगम सूत्रों के अनुसार, इस प्लांट की रेडिएशन क्षमता १५०० किलो क्यूरी (केसीआई) है, लेकिन प्लांट की शुरुआत ५०० किलो क्यूरी यूनिट रेडिएशन से होगी, जिसे बाद में बढ$़ाया जाएगा।

बार्क नेजारी की एनओसी…
निगम सूत्रों के मुताबिक, इस नवनिर्मित प्लांट का भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) की टीम ने निरीक्षण कर एनओसी भी जारी कर दी है। बार्क से कोबाल्ट-६० मिलते ही इसे स्थापित कर दिया जाएगा। पश्चात एक बार फिर बार्क की टीम प्लांट का निरीक्षण करने के साथ टेस्टिंग लेगी। इसके बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलते ही प्लांट में उत्पादन शुरु हो जाएगा, जिसके तहत परमाणु ऊर्जा रेडिएशन के माध्यम से गाद से खाद बनाई जाएगी।

आखिर क्याहोता है कोबाल्ट ६० सोर्स
इंदौर में स्थापित स्लज हाईजीनेशनल प्लांट देश का दूसरा और प्रदेश का पहला प्लांट है जो बार्क की मदद से स्थापित किया गया है। सबसे पहले अहमदाबाद में यह प्लांट स्थापित किया गया था। इंदौर में जो प्लांट लगाया गया है वह अहमदाबाद प्लांट की तुलना में कहीं ज्यादा अत्याधुनिक है। इस प्लांट में जिस कोबाल्ट सोर्स का इस्तेमाल किया जाएगा वह मानव निर्मित रेडियों आइसोटोप है। इसे व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए तैयार किया जाता है। यह एक बाय प्रोडक्ट है, जिसका उपयोग औद्योगिक रेडियोग्राफी, रेडियोथैरेपी एवं कैंसर जैसीअसाध्य बीमार के इलाज में भी किया जाता है।

२०१७ में हुआ था करार, ५ करोड़ का कोबाल्ट सोर्स नि:शुल्क मिल रहा
बताया जाता है कि सन् २०१७ में इसके लिए नगर निगम और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के बीच करार हुआ था। उस वक्त बार्क नेप्लांट लगाने के लिए मदद का आश्वासन देने के साथ ही पांच करोड़ की लागत वाला कोबाल्ट ६० सोर्स नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाने ही स्वीकृति भी दी थी।

You might also like