अवतारों एवं तीज त्योहारों का महीना भाद्र मास

29 दिनों में छोटे बड़े 34 पर्व, 20 सितम्बर को होगा माह होगा समाप्त

इंदौर। तीस दिनों में चौतीस व्रत पर्व,,हमारी परंपरा में आदिकाल से व्रत पर्वों का अधिक महत्व रहा है। इनके अनुपालन से शारीरिक व मानसिक संतुलन बना रहता है जो आज की महती आवश्यकता भी है। सत्कर्म ही व्रत है।उपनिषदों की मान्यता है की जीवन मे व्रत,पर्व व उत्सव के अतिरिक्त सुख शांति का की प्राप्ति का कोई मार्ग ही नही हैं। अत: व्रत पर्व उत्सव की साधना अत्यावश्यक है।
आचार्य पण्डित रसमचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कि हिन्दू के अनुसार भादों का महीना छठे नंबर पर अंग्रेजी माह के अगस्त सितम्बर माह में वर्षा ऋतु में आता है। संवत 2078 राक्षस नामक सम्वत्सर में भाद्र कृष्ण पक्ष का 29 दिनों का है ।23 अगस्त सोमवार से प्रारम्भ इस माह का समापन20 सितम्बर सोमवार को होगा। इस मास के 29 दिनों में छोटे बड़े 34 पर्व आ रहे है।साथ ही यह माह अवतारों का महिना भी है। भारतीय पंचांगों की माने तो इस माह में श्रीकृष्ण, वराह,बलराम,राधाजी ,प्रथम पूज्य श्री गणेशजी, चन्द्रमा ,आद्य माँ काली,भुवनेश्वरी व वामन भगवान के अवतार से सम्बंधित व्रत पर्व आदि है। आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वेदी ने बताया कि यदि हम इस माह में व्रत पर्वो की जाने तो सातुड़ी तीज,विशालाक्षी यात्रा, बहुला चतुर्थी, हल चन्दन (चन्द्रमा ) षष्ठी,पुत्र व्रत सप्तमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, कालाष्टमी, आद्य काली जयंती, गोगा नवमी, गोवत्स द्वादशी(बछ बारस ), युगादि तिथि,कुशोत्पाटिनी अमावश्या, अग्र वंशे सती पूजा, महत्त माख्य शिव व्रत,मौनव्रत, श्री रामदेव बीज, हरितालिका तीज,वराह जयंती, श्री गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी,गर्ग अंगिरा जयंती, बलदेव षष्ठी, सन्तान सप्तमी,दधीचि जयंती, राधा अष्टमि,अदु:ख नवमी(चन्द्र नवमी)तेजा दशमी,दशावतार व्रत,डोल ग्यारस,वामन द्वादशी, भुवनेश्वरी प्राकट्य दिवस,सरस्वती नदी उद्गम दिवस ,अनन्त चतुर्दशी के साथ ही भाद्र मास का समापन होता है।पूर्णिमा से 16 श्राद्ध प्रारंभ होते है। इस प्रकार भादों मास के 29 दीनो में 34 से भी अधिक व्रत पर्व व उपवास हमारे धार्मिक अनुष्ठान तो है ही साथ ही शारीरिक व मानसिक तप की वृद्धि कर आत्मबल को बढ़ाते है।यह व्रत पर्व मनसा वाचा कर्मणा में सत्य को प्रतिष्टित कर आचार विचार में भी सत्य को धारण कराते है,सत्य ही व्रतों का मूल है।

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