छात्रों को लाने-ले जाने सहित कई संकट स्कूलों के सामने
1 सितंबर से स्कूल खुलने की संभावनाएं कम, शासन और प्रशासन की गाइड लाइन पर देंगे सुझाव
इंदौर। एक सितम्बर से छोटी कक्षाएं खोलने को लेकर आज जिला शिक्षा विभाग में बैठक होगी। बैठक में संचालकों व पालकों को बुलाकर उनके सुझाव लिए जाएंगे। इसके साथ ही शासन और प्रशासन की कोरोना संक्रमण को लेकर गाइड लाइन का पालन कराने पर जोर दिया जाएगा। शासन के आदेश के बाद स्कूलों में तैयारियां शुरू होने लगी है। शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्कूल आने के निर्देश दिए जा रहे हैं।
दो साल बाद अब जाकर छोटी क्लासों को खोलने की तैयारी की गई है। इस दौरान बच्चों ने आनलाइन पढ़ाई की। आनलाइन पढ़ाई के चलते कई बच्चों को आंख संबंधी बीमारी भी हुई। पालकों को भी इंटरनेट और मोबाइल पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ा। स्कूल संचालकों ने ट्यूशन फीस के नाम पर जमकर वसूली की। तमाम विरोध के बाद भी संचालकों पर प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पाया। दो दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा दिए गए आदेश के परिपालन में स्कूल शिक्षा विभाग ने भी तैयारियों का खाका बना लिया है। स्कूल कैसे खोले जाएं, बच्चों की संख्या क्या रहेगी, पालकों के विचार को लेकर बैठक में होगी। बैठक में स्कूल संचालक, पालक और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की सहमति बनाई जाएगी।
बच्चों को लाने का संकट
दो साल से तालाबंदी के शिकार रहे स्कूल संचालकों के मुरझाए चेहरे पर सीएम के आदेश के बाद खुशियां दौड़ पड़ी। लेकिन, खुशी ज्यादा देर तक नहीं रही। बच्चों को स्कूल तक कैसे लाए, यह बड़ी चिंता का विषय है। स्कूलों की बसें बंद पड़ी है। उन्हें सुधरवाने के लिए गैरेज तक ले जाना मुश्किल हो रहा है। जो बसें सुधर गई है, उनके चालक नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में दूरस्थ स्थानों पर रहने वाले बच्चे स्कूल कैसे पहुंचेंगे, यह बड़ा सवाल है।
पालकों में संक्रमण का भय
वर्तमान में कोरोना तो लगभग समाप्त हो चुका है, लेकिन डेंगू, मलेरिया और वायरल ने पैर पसार लिए हैं। पालकों को इन बीमारियों के संक्रमण का भय भी सता रहा है। कुछ पालकों ने तो अभी बच्चों को स्कूल भेजने का मन नहीं बनाया है। वे कुछ दिन बाद स्कूल भेजने को लेकर निर्णय लेंगे।