सिंधिया को रोकने के लिए मालिनी को आगे बढ़ाने की कवायद शुरु

गौड़ के राजनीतिक कद का फायदा उठाने की कोशिश में विरोधी

इंदौर (धर्मेन्द्र सिंह चौहान)। कांग्रेस से भाजपा में आकर सांसद बनने के बाद मंत्री पद संभालने के बाद ज्योतिरिादित्य सिंधिया ने इंदौर में जनआशीर्वाद यात्रा निकाली। जिसको लेकर इंदौर शहर में ही नहीं पूरे प्रदेश में राजनीतिक हलचलें बढ़ गई है। भाजपा संगठन सिंधिया के हर कदम पर पैनी नजर रखा हुआ है। सिंधिया को जहां तवज्जौ दी जा रही है वहीं संगठन का नुकसान न हो इस पर भी नजर रखी जा रही है। इंदौर में जिस तरह से सिंधिया की जनआशीर्वाद यात्रा में जहां उनके समर्थर्कों के साथ साथ भाजपाईयों ने भी पलक पावड़े बिछाकर उनका स्वागत किया है वहीं यह कवायद भी शुरु हो गई है कि सिंधिया की नजर इंदौर की संसदीय सीट पर लग गई है जिसके कारण वर्तमान सांसद से लेकर उनके पुराने विरोधी भी परेशान हो गये हैं। सिंधिया को इंदौर में पैर जमाने से रोकने के लिए भाजपा को विरोधी दिग्गज एक जाजम पर आते जा रहे हैं।
गुना संसदीय सीट हारने के बाद सिंधिया के गुना से लड़ने में कई पैंच सामने हैं। यहां के सांसद को भाजपा का आश्वासन है कि उन्हें प्रभावित नहीं किया जाएगा। ऐसे में वहीं सिंधिया राज घराने की परंपरागत सीट ग्वालियर में नरेंद्र सिंह तोमर अपने पांव जमा चुके हैं। जिसके कारण सिंधिया अब इंदौर संसदीय सीट पर अपना भाग्य आजमाना चाह रहे हैं। कांग्रेस के समय से ही सिंधिया समर्थक शहर में बड़ी संख्या में है। वहीं अब भाजपा में भी उनके समर्थकों की संख्या बढ़ने लगी है। भाजपा के गलियारों के साथ साथ अब राजनीतिक गलियारों में भी यह चर्चा आम हो चली है कि सिंधिया इंदौर संसदीय सीट से उम्मीदवार होने की तैयारी कर सकते हैं। इसको लेकर वर्तमान सांसद शंकर ललवानी से लेकर कांग्रेस के समय के भाजपा में सिंधिया के घोर विरोधी खेमा भी सक्रिय हो गया है। सिंधिया की जनआशीर्वाद यात्रा में दो नंबर विधानसभा में जबर्रदस्त हुए स्वागत को लेकर भी चर्चा है क्योंकि सिंधिया और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का खेमा शुरु से ही आमने सामने है। इनकी एमपीसीए चुनाव से लेकर आजतक विजयवर्गीय की सिंधिया से पटरी नहीं बैठी है चूंकि इस समय कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय राजनीति में अपना स्थान बना चुके हैं उनके समर्थक भी कई कारणों से ज्योतिरादित्य सिंधिया को इंदौर संसदीय सीट पर आने को लेकर कुछ हद तक विचलित है। अब सिंधिया विरोधी पूर्व महापौर व विधायक मालिनी गौड़ को चुप रहकर समर्थन कर आगे बढाने की कवायद में लग गया है। क्योंकि सिंधिया को चुनौती देना आसान काम नहीं है। हालांकि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन मालिनी गौड़ के महापौर कार्यकाल में बड़े कद में दिल्ली में उनकी पहचान जरुर बना दी है। ऐसे में मालिनी ही सिंधिया को चुनौती दे सकती है। प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान में जिस तरह से मालिनी गौड़ ने पूरे देश में अपनी पहचान बनाई है उससे दिल्ली में गौड़ परिचय की मोहताज नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर की इंदौर में सबसे विश्वसनीय विधायक गौड़ ही है। ऐसे में गौड़ का नाम आगे बढ़ाना विरोधियों की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। क्योंकि गौड़ को लेकर विरोध के स्वर नहीं उठेंगे। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी गौड़ के विरोध में नहीं है ऐसे में सिंधिया को चुनौती देने के लिए मालिनी गौड़ ही विरोधी खेमे को उपयुक्त नाम नजर आ रहा है। सिंधिया जहां सांवेर विधानसभा के विधायक तुलसी सिलावट के अलावा किसी विधायक को अपना नहीं बना पाये थे। जबकि गौड़ को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक कोई विरोधी नहीं है। सिंधिया की नजर संसदीय सीट पर लगते से ही शंकर लालवानी की बैचेनी बढ़ गई है। क्योंकि सिंधिया को इंदौर शहर ही सबसे सुरक्षित सीट नजर आ रही है। ललवानी के विवादास्पद बयान उनकी राह में रोड़ा बन गये हैं वहीं सांसद बनने के बाद वे अपने समर्थकों की एक फौज भी खड़ी नहीं कर पाये हैं। चुनिंदा समर्थकों के सहारे ही ललवानी राजनीति में अपने भाग्य से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में ललवानी का टिकट काटने के लिए व सिंधिया को रोकने के लिए विरोधियों को मालिनी गौड़ सबसे मजबूत नाम नजर आ रहा है। यह भी माना जा रहा है कि गौड़ समनवय और संगठन की राजनीति में परिपक्व है अत: उनसे किसी भी भाजपाई धड़े को कोई नुकसान नहीं होगा। बल्कि एक फायदा यह हो सकता है चार नंबर सीट शंकर लालवानी को मिल सकती है। इससे उनकी सहमति भी आसानी से बन जाएगी।

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