प्रदोष,शिवरात्रि व हरियाली अमावस्या महादेव के साथ पितृ कृपा भी होगी प्राप्त
इंदौर। सावन का माह भोले की भक्ति का माह है। इन दिनों जब भगवान विष्णु चार माह तक शयन करते है बाबा जागरण करते है। वैसे तो सावन का पूरा माह शिव आराधना का है, किन्तु कृष्ण पक्षक के ये तीन दिन शिवकृपा हेतु कुछ विशेष है, 5 अगस्त गुरुवार को शाम 5 बजकर 8 मिनिट से त्रयोदशी तिथि आरम्भ होगी जो 6 अगस्त शुक्रवार को शाम 6 बजकर 27 मिनिट तक रहेगी। प्रदोष पर्व सर्व अरिष्ट विनाशक माना जाता है। सावन के महीने में प्रदोष का महत्व 100 गुना और बढ़ जाता है। प्रदोषो वै रजनिमुखम, शिव आराधना के क्रम में प्रदोष काल परम् पवित्र माना जाता है। दिन की समाप्ति व रात्रि के समागम का समय प्रदोषकाल के नाम से प्रसिद्ध है,इस काल मे शिवजी के सम्मुख दीपदान का विशेष महत्व है। इस दिन उपवास के साथ शिवार्चना व रुद्राभिषेक से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ती होती है।इस समय महामृत्युंजय मन्त्र जप से मनुष्य आरोग्यता को प्राप्त होता है।ऐसी मान्यता है कि में प्रदोष काल समस्त देवगण शिव पूजन हेतु कैलाश पर्वत पर पधारते है। शिवरात्रि वर्ष में कुल बारह शिव रात्रियां होती है। उसमें सावन व फाल्गुन माह की शिवरात्रि का विशेष महत्व है। फाल्गुन माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी महा शिव रात्रि के नाम से प्रसिद्ध है। सावन माह की शिवरात्रि 6 अगस्त शुक वार को है। 6 अगस्त को त्रयोदशी शाम 6 .27 बजे तक है बाद में चतुर्दशी प्रारंभ होगी जो 7 अगस्त को शाम 7.11 बजे तक रहेगी। शिवरात्रि में चारों प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है। इस तिथि के स्वामी स्वयं शिव है।चतुर्दशी को चन्द्रमा सूर्य के समीप आ जाता है।
हरियाली अमावस्या- सावन कृष्ण पक्ष की अमावस्या हरियाली के नाम से जानी जाती है। 8 अगस्त रविवार को शाम 7.19 बजे तक दर्श अमावस्या है। यह विशेष है।इस दिन शिवजी की कृपा के साथ साथ पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा।यह स्नान,दान व पूण्य के साथ अपने पितरों की स्मृति को चिर स्थायी बनाने का दिन भी है।इस दिन प्रत्येक शिव भक्त को पांच पौधे अवश्य लगाना चाहिए।जरूरत मन्द लोगों को अन्न वस्त्र आदि का दान भी करना चाहिए।