मतदाता सूची में नाम जुड़वाने को लेकर अब लगेंगे कई दस्तावेज, बिहार से शुरूआत

जन्म दिनांक और स्थान के अलावा अब लगेंगे माता-पिता के भी दस्तावेज

Now many documents will be required to add name in voter list, starting from Bihar
Now many documents will be required to add name in voter list, starting from Bihar

नई दिल्ली (ब्यूरो)। महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस द्वारा 4 महीने में बड़े वोटों को लेकर की गई शिकायत और इसे वोटों की चोरी बताए जाने के बाद लगातार विपक्ष के हमलों से परेशान चुनाव आयोग ने अब मतदाता सूची में नाम जोड़े जाने को लेकर कई सख्त नियम बनाते हुए इसे पहले बिहार में लागू किया और इसके बाद यह पूरे देश भर में मतदाता सूची नाम जुडवाने को लेकर लागू किया जाएगा। मतदाता सूची में अब नाम जोडे जाने को लेकर अलग-अलग प्रावधान करते हुए नई व्यवस्था में जन्म स्थान, जन्म तारीखके प्रमाण के साथ मां-बाप के जन्म तारीख का प्रमाण भी देना होगा। आयोग ने नए नियम अब सिटीजन एक्ट 1995 की गाइड लाइन के आधार पर लागू कर दिए है। बिहार में 30 सितम्बर को मतदाता सूची जारी होगी। अक्टूबर में चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने यह आरोप लगाया था कि जहां पर चुनाव होते है वहां पर अन्य राज्यों से फर्जी मतदाता सूची के आधार पर नाम जोडक़र मतदान करवा लिया जाता है।

बिहार चुनाव 2025 से पहले भारतीय चुनाव आयोग ने एक बड़ी मुहिम शुरू कर दी है। ईसीआई ने बिहार में निर्वाचन सूची का स्पेशल इंटेन्सिव रिवीजन शुरू किया है, जिसमें वोटर वेरीफिकेशन किया जाएगा. इसमें ऐसे सभी वोटर्स से दोबारा दस्तावेज दाखिल कराने के लिए कहा जाएगा, जिनका नाम साल 2003 की वोटर लिस्ट में शामिल नहीं था। इसके अलावा जो वोटर्स 1 जुलाई, 1987 से पहले पैदा हुए हैं, उन्हें भी एक खास फॉर्म भरना होगा, जो उनकी जन्म तिथि और जन्म स्थान को सत्यापित करेगा. इतना ही नहीं 1 जुलाई, 1987 से 2 दिसंबर, 2004 के बीच पैदा हुए वोटर्स को भी माता या पिता की जन्म तिथि और जन्म स्थान का प्रमाण देना होगा. जिनका जन्म 2 दिसंबर 2004 के बाद हुआ है, उन्हें अपने माता-पिता, दोनों की जन्म तिथि और जन्म स्थान का प्रमाण चुनाव आयोग को उपलब्ध कराना होगा, इसका मकसद फर्जी वोटर्स को लिस्ट से बाहर करना है.

यह मुहिम ऐसे समय में शुरू की जा रही है, जब लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कई राज्यों में चुनावों के बाद वहां की वोटर लिस्ट को लेकर सवाल उठाए हैं। अपने आदेश में चुनाव आयोग ने यह भी बताया है कि इससे पहले 1952-56 से 2004 के बीच 13 बार इस पॉवर का उपयोग किया गया है। आखिरी बार बिहार में साल 2003 में इंटेन्सिव रिवीजन किया गया था, जिसकी मतदाता उम्र 1 जनवरी 2003 रखी गई थी। इस ड्राइव के लिए बिहार में निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी वोटर्स से योग्यता के प्रमाणिक साक्ष्य लेंगे।

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