Sulemani Chai – अपनों पे करम गैरो पर सितम…फिरके मे फिरका, फिरकनी हुई आवाम…
अपनों पे करम गैरो पर सितम…
डॉ सनवर पटेल की डिस्पेंसरी मे अच्छा इलाज चल रहा है, लेकिन क्या डॉ साहब गैरो के इलाज मे ही मशगुल रहेंगे अपनी पार्टी के वक्फ गुनाहगरो का इलाज कौन करेगा। अपनी सियासी जमात को वक्फ सर्जन की तरफ से इतनी राहत कई सवाल पैदा कर रही है…इंदौर, उज्जैन, रतलाम में वक्फ माफियाओं पर शिकंजा कसने वाले पटेल ने सिर्फ इंदौर मे ही दो सौ करोड़ की जमीन बचाई है,आगे बढ़े तो वक्फ माफियाओ में डर का माहौल बना है, इसी के साथ दरगाह और वक्फ कमेटियो से इस्कॉलरशिप बाट कर गरीब तबके को वक्फ के होने का एहसास दिलाया है। पर खुदकी सियासी जमात से जुड़े वक्फ माफियाओ की हज़ारों शिकायतों के बाद भी डॉ सर्जरी से दूर नजऱ आ रहे है, इंदौर मे सबसे ज़्यादा ज़मीन नाहर शाह वली खसरे की खुर्द बुर्द हुई थी जिसकी कई शिकायत वक्फ बोर्ड में अटकी पड़ी है। तुकोगंज दरगाह के पूर्व जिम्मेदारों ने आज तक हिसाब नहीं दिया। कर्बला से कभी किसी गरीब का भला नहीं हुआ है। इन सब पर भी कार्यवाही कर एक नज़ीर पेश होना चाहिए।
फिरके मे फिरका, फिरकनी हुई आवाम…
मुस्लिम समाज मे एक तरफ बयालीस फिरके तय है। लेकिन अब ऐसा महसूस होने लगा कि ये दहाई आसानी से तिहाई पर पहुंच सकती है। जिसके नमूने देखने को मिल रहे है जैसे पिछले दिनों तब्लीगी मसलक में पंजाब से आए मौलाना की हर बात दिल को छू रही थी,जिसमे मसलक और फिरके की कोई जगाह नहीं थी, लेकिन उसमे भी शहर के दो नंबर काजी साहब गायब थे, साथ ही शहर के दूसरे बड़े मुफ़्ती और काजी साहेबान ने दुरी बना रक्खी थी, इसी के साथ अब बरेलवी मसलक वाले बड़े मौलानाओ ने भी अपनी अपनी टीम बना रक्खी है। कोई नागपुर को त्वज्जो दे रह है तो कोई बरेली को, दोनों एक दूसरे को बुरा भला कह रहे, साथ ही सुन्नी दावते इस्लामी भी अपनी पगड़ी पर जोर दे रही है, हम सब सिर्फ असल मे मुसलमान बनने पर ज़ोर क्यों नहीं दे सकते या दूसरे को बुरा कहे बिना इस्लाम की खूबसूरती पूरी दुनिया को नहीं बता सकते, क्या मौलानाओ को अपनी अपनी टीम बनाना जरूरी है, या थोड़ी फि़क्र इस मासूम उम्मत की भी है, शायद थोड़ा सबक हमें सिखाने वोलो को भी पडऩा पड़ेगा की हम जोडऩे वाली उम्मत है ना की तोडऩे वाली,, अगर किसी को मुझे बुरा कहना है तो जी भर कर कह ले,पर इस उम्मत का सही पैगाम आज पूरी दुनिया को देना जरूरी है।
सोशल मिडिया का बुखार
आज कल खजराने के एक छोटे कलाकार बीमार क्या पड़े अयादत को बड़े बड़े आ पहुँचे, हमारी भी दुवा है साहब जल्दी सेहत पाए लेकिन क्या हर अयादत का फोटू शोटू सोशल मिडिया पर डालना जरूरी है? खैर इसी के साथ अब कांग्रेस और बीजेपी की अल्पसंख्यक टीम भी सोशल मिडिया की चपेट मे नजर आ रही है।बीजेपी वाले राजा बाबू तो इस काम के लिए मशहूर है ही लगता है अब ये भूखार सुबूर साहब को भी अपनी और खेंच रहा है, साहब भी बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दीवाना बन खूब वाइरल हो रहे है, दोनों साहब को अल्पसंख्यक समाज के मुद्दों को उठाना चाहिए और उधर मेहनत करनी चाहिए, लेकिन फिलहाल तो अवैसी की पार्टी के असलम, शेहज़ाद समाज के काम पर लगे है इनकी टीम कम से कम आवेदन निवेदन तो कर ही आती है।