sulemani chai – सनवर की चाशनी…मोहब्बतों का दौर जारी है…शाह की जमावट के आगे पठान फिसड्डी…

sulemani chai
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सनवर की चाशनी…

सनवर को चाशनी में भिगोने के चक्कर में गरीबों को मीठा खाने को मिलेगा। मतलब तीन दिसम्बर को करीब दो सौ गरीब बच्चो को दस हजार से तीस हजार की स्कॉलरशिप देने का काम प्रदेश वक्फ बोर्ड कर रही है, जो की पूरे प्रदेश में अलग अलग तारिखों में चलेगा। देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर बोर्ड कुछ अच्छा करने जा रहा है। इसके अलावा जिला अध्यक्ष रेहान संनवर पटेल के 1 दिसंबर के प्रोग्राम को भी सेवा सप्ताह के रुप मे मना रहे है और गरीबों की मदद कर एक मिसाल कायम करने जा रहे है। अब साहब इसमें कितनी राजनीति है वो तो नही पता लेकिन इसे हेल्थी पॉलिटिक्स कह सकते हैं।

मोहब्बतों का दौर जारी है…

देश का सबसे बढ़ा अलमी इज्तेमा भोपाल में शुरू हो चुूका है। जिसमे देश विदेश से करीब दस से बीस लाख लोग आते है, इस बार जहाँ एक तरफ हिन्दू मेले और कर्यक्रमों में मुस्लिम को दुकानों की मनादी होने लगी है, वही मुस्लिमो का देश ही नही एशिया का दूसरे नंबर का सबसे बढ़ा तब्लीगी इज्तेमे में धर्म के नाम पर किसी को भी दुकाने लगाने से नही रोका गया है। इसी के साथ वहां कई हिन्दू भाई अपनी दुकानों के स्टाल लगा रहे है, इससे एक बात तो साफ है कि अगर रस्सी के एक सिरे से नफरतेें गर्म होती है तो दूसरे सिरे से मोहब्बतों की ठंडी हवा बहते रहना चाहिए यही हमारे मुल्क की पहचान है।

शाह की जमावट के आगे पठान फिसड्डी…

कोतवाली पर बरसों से मेहनत कर शाह ने जमावट की है जिसे तोडऩा पठान के लिए ना मुमकिन है,शाह को मात तो क्षेत्रीय पार्षद भी नहीं दे पाए उल्टा शाह ने ही एफ आई आर का हार उन्हें पहना कर उलटे पांव लौटा दिया था। शाह के शिजरे के झाड़ भी साहब तक पहुंचते हैं। जिसमें छोटे भाई से लेकर भतीजा और डकारू शाह भी शामिल है। अब थाने को छाव देने वाले पेड़ को भला कोई काटता है। हां पठान के सामाजिक हमलों से ज़रूर शाह और डकारू दोनों परेशान हैं पर महफूज़ नहीं हो पा रहे हैं।

दुमछल्ला… सुबूर की महफि़ल मेें भवरें और फूल…

अदब की महफि़लो को जिन्दा रखने का बीड़ा जिन लोगों ने उठा रक्खा है उनमे कांग्रेस शहर अल्पसंख्यक अध्यक्ष सुबूर गोरी का नाम भी शामिल है, वक्त बा वक्त दोस्तों की महफि़ल मे शायरी की नशीस्त रखते रहते है। पिछले दिनों उनकी इस नशीस्त मे अगले महीने शहर मे होने वाले बड़े मुशयरे के मेजबान भी तशरीफ़ लायें। बहुत से शायर वहां अपना कलाम पढऩे के बाद साहब से सलाम दुआ करते नजर आए, और भवरें की तरह साहब के इर्द गिर्द नजर आए, अब साहब फूल कौन है और भवरें कौन ये आप समझिए।

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