शहर के चारों ओर कट रहीं अवैध कॉलोनियां, दर्जनों शिकायतें लंबित

सरकार अब नए नियम के तहत 7 साल की जेल के साथ भू-माफियाओं पर करेगी 10 लाख का जुर्माना

awaidh colony

इन्दौर। सरकार अवैध कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई के लिए नए नियम बना रही है। हालांकि पहले से ही कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को अधिकार है कि वे ऐसे कॉलोनाइजरों पर कार्रवाई करते हुए जेल भेज सकें, मगर शहर में या ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक किसी भी कॉलोनइजर को जेल नहीं हुई है।

नए नियम के तहत अवैध कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजरों या भू माफियाओं पर अब 7 साल की सजा के साथ 10 लाख रूपये जुर्माना किया जाएगा।

मुख्यमंत्री मोहन यादव नए नियम को सख्ती से लागू करने की तैयारी कर चुके हैं। इधर शहर में खजराना, सांवेर रोड, निरंजनपुर, धार रोड, नंदबाग, खंडवा रोड सहित ग्रामीण इलाकों में भी धड़ल्ले से अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं।

निगम की कॉलोनी सेल में दर्जनों शिकायतें लंबित हैं। भवन अधिकारी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। जानकारी के मुताबिक करीब 700 अवैध कॉलोनियां शहर में पिछले कुछ वर्षों में कटी हैं। कलेक्टर कार्यालय में भी शिकायतें लंबित बताई गई हैं।

सीएम मोहन यादव नियम विरुद्ध कालोनी निर्माण पर रोक लगाने के लिए नियम और सख्त करने जा रहे है। इसके तहत अब नियम विरुद्ध कॉलोनी बनाई तो कॉलोनाइजर पर एफआईआर दर्ज कर सीधे जेल भेजा जाएगा। वहीं, उसकी संपत्ति भी जब्त कर बैंक खाते सीज किए जाएंगे। दरअसल, मध्य प्रदेश नगर पालिका कॉलोनी विकास नियम में 1998 से ही प्रावधान है कि कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त कॉलोनाइजर पर कार्रवाई कर उसे जेल तक भेज सकते हैं।

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वहीं इसे संज्ञेय अपराध मानते हुए नियमों में यह भी प्रावधान है कि पुलिस बिना किसी पूछताछ के अनधिकृत कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजर को गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन नियम विरुद्ध कॉलोनी बनाने वाले कॉलोनाइजर पर रन तो अब तक कोई एफआईआर दर्ज की गई और न ही किसी कॉलोनाइजर को जेल हुई। परिणाम स्वरूप नियम विरुद्ध कालोनी बना दी जाती है। इसके चलते अब सीएम मोहन यादव नगर पालिका कॉलोनी विकास नियम में बदलाव कर संशोधन अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है। नए नियम का प्रारूप तैयार किया जा रहा है, जिसे कैबिनेट की स्वीकृति के बाद लागू कर दिया जाएगा। Illegal colonies

निगम ने 134 कॉलोनी वैध कर दीं

इधर निगम ने कुछ वर्ष पहले अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया भी श्ुारू की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के आदेश के बाद पूरे प्रदेश में अभियान चला था, मगर फिर अभियान बंद हो गया। अब मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संकेत दिये हैं कि कोई कॉलोनी वैध नहीं होगी और अवैध कॉलोनी काटने वालेां पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इन्दौर शहर में निगम ने 134 कॉलोनी वैध की थी, हालांकि यहां रजिस्ट्री नहीं हो रही है। लोग परेशान हैं। विकास शुल्क जमा करवाया जा रहा है। वहीं बची हुई कॉलोनियों को वैध करने में तकनीकी दिक्कत आ रही है। ग्रीन बेल्ट, सीलिंग और नजूल की जमीन पर कॉलोनी काटने के कारण वैध होने में परेशानी आ रही है।

अनाधिकृत कालोनियां बनने से होती है बड़ी राजस्व हानि

कॉलोनाइजर द्वारा कृषि भूमि पर बिना अनुमति लिए कॉलोनी काट ली जाती है और क्रेता भी कालोनी में प्लाट खरीदकर बिना अनुमति के मकान बना लेते हैं। इससे निकायों को बड़ी राजस्व हानि होती है। वहीं कंपनी का सुव्यवस्थित विकास भी नहीं हो पाता है और सरकार की सुविधाओं से वंचित रहते हैं।

ऐसे में यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि अनधिकृत कालोनी का पहले सरकार अधिग्रहण करेगी और वहां के खाली प्लाट का विक्रय कर कालोनी का विकास किया जाएगा। ऐसी कालोनियों का राज्य सरकार सर्वे करा रही है और कॉलोनी का सर्वे पूरा होने तक रजिस्ट्री व नामांतरण पर भी रोक रहेगी।

अभी यह है प्रावधान- तत्कालीन शिवराज सरकार ने वर्ष 2022 तक की अनधिकृत कॉलोनियां वैध करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए मध्य प्रदेश नगर पालिका कॉलोनी विकास नियम 2021 को संशोधित किया था। इसके पहले 31 दिसंबर 2016 तक अस्तित्व में आई अनधिकृत कॉलोनियों को ही वैध करने का प्रावधान था। वर्तमान में संशोधित नियम लागू है।

इसमें यह प्रावधान है कि चिन्हित अनाधिकृत कालोनी में एलआईजी एवं ईडब्ल्यूएस वर्ग के रहवासियों से कोई विकास शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन एलआईजी एवं ईडब्ल्यूएस वर्ग को सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण-पत्र देना होगा। अन्य वर्ग के रहवासियों से विकास शुल्क का 50 प्रतिशत लिया जाएगा और शेष 50 प्रतिशत राशि संबंधित नगरीय निकाय वहन करेगा। प्रदेश में अनधिकृत कालोनियों की संख्या तीन हजार से अधिक है। इनमें नगर निगम और निकाय की सीमा लगे ग्रामीण क्षेत्रों में शहर की अपेक्षा अधिक अनधिकृत कॉलोनियां हैं।

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