पाकिस्तान की कंपनी ने भी एक करोड़ के चुनावी बांड खरीदे, जुआं खिला रही कंपनी ने चंदा देने का रिकॉर्ड रचा
छापों से घबराई कंपनियों ने धड़ाधड़ खरीदे चुनावी बांड

नई दिल्ली (दोपहर डेस्क)। कल चुनाव आयोग ने जैसे ही चुनावी चंदा इलेक्टोरल बांड से देने वालों की सूची जारी की तो इसे लेकर कोहराम मच गया। देशभर के युवाओं को जुआं खिलाकर बर्बाद करने वाली कंपनी ने सबसे ज्यादा चंदा दिया, तो दूसरी और पाकिस्तान की भी एक कंपनी ने इलेक्टोरल बांड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदा दिया है। देशभर की चंदा देने वाली कंपनियों में से टॉप 20 कंपनियों ने लगभग 48 प्रतिशत चंदा दिया है।
यानी 12156 करोड़ के खरीदे गए चुनावी बांड में से लगभग 6 करोड़ इन्हीं कंपनियों द्वारा खरीदे गए। इनमें से हर कंपनी पर ईडी, सीबीआई के अलावा आयकर सहित कई विभागों की कार्रवाई चंदे से पहले जारी थी। रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी की कंपनी के दो डायरेक्टरों के अलावा उनके समधी ने भी चुनावी बांड खरीदे हैं। दूसरे नंबर पर बड़ी कंपनी जो अभी जोजिला टनल से लेकर कालेश्वर बांध और पोलावर बांध का निर्माण कर रही है। इनके यहां भी आयकर की रेड पड़ने के चंद दिनों बाद ही बांड खरीदी का कार्यक्रम प्रारंभ हो गया था। जेल से जमानत पर छूटे पवन हालुवालिया ने भी छूटने के बाद बांड खरीदे हैं। पूरी सूची देखने के बाद इसकी और भी परतें खुलेगी पर शायद राजनीतिक दलों द्वारा इलेक्टोरल बांड के नाम पर देशभर में की गई लूटापाटी का यह सबसे बड़ा मामला भविष्य में निकलेगा।
चुनाव आयोग द्वारा कल शाम पोर्टल पर चढ़ाई गई जानकारी में बांड खरीदने की तारीख, खरीददार का नाम और इसे भुनाने वाले राजनीतिक दल का नाम और बांड के मूल्य का विवरण दे रखा है। सूची में जो सबसे बड़ा इलेक्टोरल बांड खरीदने वाला व्यक्ति है उसका नाम मार्टिंग सेंटियागो है। इसने 1368 करोड़ के बांड खरीदे हैं। यह कंपनी देशभर में जुआ खिलवा रही है। इस कंपनी पर 2019 में ईडी ने बड़ी कार्रवाई की थी। इस दौरान 250 करोड़ की संपत्ति अटैच करने के बाद 2022 में 409 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली थी।
इस प्रक्रिया का 5 दिन बाद 7 अप्रैल को फ्यूटर गैमिंग ने 100 करोड़ के बांड खरीदे और उसके बाद लगातार बांड खरीदती रही। इसके अलावा इसी कंपनी के मुखिया पर मनीलांड्रिंग एक्ट पीएमएलए के तहत चार्टशिट भी दाखिल कर रखी है जिसमें लाटरी नियमों के हेरफेर के मामले में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है। अब इस कंपनी पर कोई कार्रवाई आगे नहीं चल रही है। चुनावी बांड खरीदने वाली दूसरी बड़ी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग ने 980 करोड़ के बांड खरीदे हैं। इसके मालिक कृष्णा रैड्डी और पीपी रैड्डी हैं। इनके कार्यालय पर अक्टूबर 2019 में आयकर की बड़ी कार्रवाई की गई थी। इसी के साथ इसी कंपनी के चीन की कंपनी इलेक्ट्रिक कार मेकर के साथ 1 करोड़ डॉलर के समझौतों को सरकार ने रोक लगा दी थी। अभी यह कंपनी तेलंगाना में दो बांध के अलावा जोजिला टनल के बाद मुंबई में भी बड़ी टनल बना रही है।
तीसरे नंबर की वेदांता कंपनी के अनिल अग्रवाल के यहां 2018 में ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके रिश्ते कीर्ति चिदंबरम से बताते हुए चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने में बड़ी मदद का मामला होने पर जांच शुरू की थी। ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के बाद 337 करोड़ के बांड अलग अलग हिस्सों में खरीदे गए। इसके बाद कोयला क्षेत्र में काम करने वाली जिंदल स्टील के परिसरों में 7 अक्टूबर 2022 के पहले छापे की कई कार्रवाई होने के बाद उन्होंने इलेक्टोरल बांड खरीदे और सबसे बड़ा मामला तो यह है कि पाकिस्तान की ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाली बड़ी कंपनी हब पॉवर कंपनी ने भी 95 लाख रुपए के बांड खरीदकर राजनीतिक दल को चंदा दिया। सवाल उठ रहा है कि पाकिस्तान की कंपनी को क्या जरूरत पड़ गई है।
21 करोड़ के बांड खरीदकर चुनावी चंदा दिया
इसके अलावा कोयला घोटाले में जेल जा चुके और बाहर आ चुके पवन अहलुवालिया की कंपनी ने भी बांड खरीदे। अंबानी के समधी ने भी 62 करोड़ के बांड खरीदकर चंदा दिया। एक ओर मामला जो जांच में सामने आया है कि दिल्ली के अरविंद फॉर्मा ने भी 28 करोड़ रुपए के बांड खरीदे। अरविंद फॉर्मा केजरीवाल के शराब घोटाले के मामले में भी शामिल बताई जा रही है। नवंबर 2022 में कंपनी के डायरेक्टर को गिरफ्तार भी किया गया था। एक ओर दवा कंपनी सन फॉर्मा पर आयकर और ईडी के छापे के बाद उन्होंने भी 10 करोड़ के बांड खरीदे। इसके बाद 8 मई 2019 को भी 21 करोड़ के बांड खरीदकर चुनावी चंदा दिया है। यह तो चुनावी चंदे के फर्जीवाड़े की बानगी है, अभी इसकी कई परतें और उतरना बाकी है, जो बता रही है कि इलेक्टोरल बांड के नाम पर किस कदर चंदा उगाने का काम देश में चला है। कुल चंदे का 50 प्रतिशत केवल एक ही दल को मिला है। दूसरे नंबर पर चंदा लेने वालों में ममता बेनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस है।