5 हजार साल पुराना गेहूं नये तरीके से तैयार किया जा रहा है
शुगर फ्री बाजरे जैसा गेहूं अब आएगा बाजार में, भाव 8० रुपए किलो

इंदौर (धर्मेन्द्र सिंह चौहान)। महानगर का रूप धारण करने वाले इंदौर के किसान भी अब बदलाव के मूड में आ गए हैं। जिले के कुछ किसान इस आधुनिक दौर में अपने खेतों में पुरातन बीच बो कर नवाचार की मिशाल पेश कर रहे हैं। इंदौर की नई तहसील खुड़ैल के किसान ने 5 हजार साल पुराने गेहूं के बीच को बो कर सभी को चौंका दिया हैं।
खुड़ैल गांव के उन्नत किसान संतोष सोमतिया पिछले कुछ सालों से नवाचार की खेती करते हुए कई अपनी अलग ही पहचान बना चुके हैं। दो साल पहले इन्होंने अपने खेत में सेब की खेती कर चर्चा में आए थे। इनका जुनून नवाचार के प्रति इतना हैं कि इन्होंने अपने खेत हर साल कोई न कोई चुनौती पूर्ण फसल जरुर बोते हैं। इन दिनों ग्रामीण शहर की ओर तो शहरी ग्रांव की ओर आकर्षित हो रहे हैं। अगर आज हम अपने दादा और नाना से पूछे कि वो अपने समय में खेती कैसे करते थे, तो उनका जवाब सुनकर हम हैरान रह जाएंगे या फिर वो हमारी सोच से एकदम अलग जवाब देंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले कई दशकों से खेती में जबरदस्त बदलाव हुए हैं। मौसम के बदलाव और कृषि क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ते आधुनिकीकरण के कारण हमारे बुज़ुर्गों के समय की खेती और मौजूदा खेती में ज़मीन-आसमान का फर्क इन दिनों देखा जा रहा हैं। संसाधन जरुर आधुनिक हैं मगर तरीका वही पौराणिक। इसी तरह पांच हजार साल पुराना गेहूं जो अब सोना-मोती के नाम से प्रचलित है कि खेती इन्होंने करके एक नया आयाम स्थापित किया हैं। सोना मोती गेहूं की एक प्राचीन किस्म हैं, जिसमें ग्लूटेन की मात्रा बहुत ही कम होती हैं। जबकि इस किस्म में ग्लाइसेमिक और फॉलिक एसिड ज्यादा होता है। इतना ही नहीं एकदम शुगर फ्री भी हैं।
