कैसे बने आदर्श ग्राम,गोद लेने के बाद छोड़ दिया अनाथ

प्रधानमंत्री के नाम का दिया था हवाला, सांसद द्वारा किया गया छलावा

How to become an ideal village, orphan left after adoption
How to become an ideal village, orphan left after adoption

इंदौर। सासंद द्वारा गोद लिए गए तिल्लौर खुर्द के हालात जस के तस ही हैं। सासंद निधि से यहां पर विकास के नाम पर अब तक यहां पर कोई राशि नहीं दी गई। ग्रामीण आज भी मुलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। गांव में सासंद निधि से सिर्फ दो लाख रुपए की मुरम डलवाने के अलावा कोई दुसरा काम नहीं किया गया। लोगों का आरोप हैं कि सासंद ने आदर्शग्राम बनाने के लिए केवल छलावा ही किया हैं।

7 हजार 500 लोगों की आबादी वाले ग्राम तिल्लौर खुर्द में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर 6 बेड का एक अस्पताल हैं। यहां पर रोजाना तीन से चार प्रसुतियां होने के अलावा सिजनेबल बीमारियों की रुटिंग की जांचे व इलाज किया जाता हैं। जबकि ग्रामीण बच्चों की शिक्षा के लिए प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल हैं। माध्यमिक स्कूल में आर्टस एण्ड कॉमर्स की क्लासेस ही लगती हैं। अन्य विषयों को पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को शहर का रुख करना पड़ता हैं। 5 हजार 1 सौ वोटर हैं, वाले इस गांव में ज्यादातर लोगों की आजीविका का साधन किसानी ही हैं। सासंद द्वारा गोद लिए जाने वाले तिल्लौर खुर्द के सरपंच प्रतिनिधि धर्मेन्द्र ठाकुर ने दैनिक दोपहर को बताया कि सासंद जी ने इस गांव को गोद लेने के बाद अनाथ छोड़ दिया, आज भी यहां मुलभूत सुविधाओं की बहुत सारी कमियां हैं।

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सासंद जी ने गोद लेने के नाम पर छलावा के सिवाया कुछ नहीं किया। तिल्लौर को गोद लेने के नाम पर सासंद निधि के नाम पर 1 रुपए की राशि भी ग्राम पंचायत तिल्लौर खुद में विकास के नाम पर नहीं दिए हैं, न तो उनकी निधि न ही उनके किसी भी माध्यम से इस गांव में किसी भी प्रकार के विकास कार्य के नाम पर दिया कोई राशि दी गई हैं। हां इतना जरुर हैं कि उन्होंने 2 लाख रुपए जमनिया रोड से तिल्लौर रोड पर मुरम डालने के नाम पर जरुर दिए हैं। इसके अलावा उन्होंने 1 रुपए की राशि भी नहीं दी हैं।

प्रधानमंत्री वर्तमान में सोलर पैनल लगाने की बात कर रहे हैं हमारे गांव में घर-घर पानी सप्लाई करने वाली टंकी सोलर पैनल से ही संचालित होती हैं। गांव का पंचायत भवन भी सोलर पैनल से ही रोशन होता हैं। जो योजनाएं देश भर के गांवों में चलाई जा रही हैं बस उन्हीं योजनाओं के अलावा इस गांव में कोई भी दूसरा काम नहीं किया गया हैं। ग्रामीण रामचरण पाटिदार का कहना हैं कि ग्रामीण नर्मदा के पानी को अभी भी तरस रहे हैं। हर घर नल अभियान के तहत घर-घर तक बोरिंग का पानी जरुर पहुंच रहा हैं। वहीं ग्रामीण सुरेश यादव का कहना हैं कि सांसद तो सिर्फ चुनाव के समय ही नजर आते हैं, इसके अलावा वह कभी भी गांव नहीं आए हैं। गांव के 60 प्रतिशत हिस्से में स्टार्म वॉटर लाईन डली हैं वह भी पंचायत की तरफ से।

2 लाख की डलवाई मुरम…
सासंद निधि से तिल्लौर खुर्द को जामनीया से जोडऩे वाली 5 किलोमीटर की सड़क पर सासंद निधि से 2 लाख की मुरम डलवाई गई थी।

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