गेहूं की कमी और चावल पर भी मार, आयात ही अब सहारा

11 लाख करोड़ की सब्सिडी सवाल अनाज आयेगा कहां से?

Free food grain scheme announced for 80 crore people is now becoming expensive
Free food grain scheme announced for 80 crore people is now becoming expensive

नई दिल्ली (ब्यूरो)। केंद्र सरकार की 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की योजना अब सरकार के लिए ही बड़ी मुसीबत बनती जा रही है। विपक्षी राज्यों में इस प्रकार की योजनाएँ रेवड़ी मानी जाती है तो केंद्र की यह योजना जनहितैषी बताई जा रही है। अनाज की भारी कमी के आसार बनने के बाद अब सरकार में ही इस योजना को लेकर चर्चा शुरु हो गई है कि इसे कैसे चलाया जाएगा। केंद्र सरकार ने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन पांच साल तक देने के लिए 11 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान तो किया है पर सवाल उठ रहा है कि अनाज कहां से आयेगा। इस साल गेहूं की फसल के मार खाने के बाद चावल की फसल के आंकड़े भी सामने आ गये हैं उसके अनुसार इस साल पचास लाख टन चावल का कम उत्पादन होगा। नीति आयोग और वित्त मंत्रालय इस योजना को पहले ही बंद करने का कह चुका है।

राजनैतिक लाभ के चलते अब जहां देशभर में 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन देने के मामले में सरकार के ही मंत्रालयों में इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं इस योजना को निरंतर जारी रखने के लिए केंद्र सरकार को गेहूं और चावल का आयात करना होगा जबकि अन्य देशों में भी इसकी कमी होने के कारण कीमते बढ़ी हुई हैं। अत इस योजना को कैसे चलाया जाएगा इसके लिए आयात पर ही धीरे धीरे निर्भरता बढ़ रही है। नीति आयोग इस योजना को कोरोना काल के बाद ही बंद करने को लेकर निरंतर केंद्र सरकार को कह चुका है वहीं वित्त मंत्रालय ने भी भारी भरकम सब्सिडी को देखते हुए इसे बंद करने का आग्रह किया था। दूसरी ओर इस साल दिसंबर तक चावल की खरीदी 299 लाख टन ही हो पाई है जो पिछले साल से 14 प्रतिशत कम है।

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दूसरी ओर गेहूं के बफर स्टाक में भी सरकार को मुफ्त अनाज और सेना के लिए 235 लाख टन गेहूं की जरुरत होगी। जबकि अभी नई फसल आने के बाद बफर स्टाक में वृद्धि का अनुमान है पर सरकार के पास अभी 210 लाख टन गेहूं ही है और इसीलिए सरकार खुले बाजार में गेहूं के भाव नियंत्रण को लेकर भी बफर स्टाक से गेहूं जारी नहीं कर रही है। कीमतें बढ़ने के कारणकिसान भी मंडियों में एमएसपी पर गेहूं, चावल देने के बजाए खुले बाजारों में बेंच रहे हैं। इसीलिए मुफ्त अनाज की योजना सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। वहीं लोक सभा चुनाव के पहले केंद्र सरकार 14 लाख टन दाल का आयात खोलने जा रही है। खाद्यान्न महंगाई अभी 12 प्रतिशत के पार बनी हुई है। दूसरी ओर मौसम की मार के चलते 25 लाख हेक्टेयर में फसले नहीं बोई जा सकी है। इसमे 10 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई जानी थी।

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