दस साल में साढ़े छह सौ लोगों को लील गया गणपति घाट

इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों पर खरा नहीं, ट्रांसपोर्ट एसो. ने प्रधानमंत्री को लिखा खत ल में साढ़े छह सौ लोगों को लील गया गणपति घाट

Ganpati Ghat took away six hundred and fifty people in ten years
Ganpati Ghat took away six hundred and fifty people in ten years

इंदौर। राऊ-खलघाट फोरलेन का गणपति घाट मौत का घाट बन चुका है। यहां प्रतिदिन हादसे हो रहे हैं और 12 साल में हुए हजारों हादसों में लगभग 600 लोग जान गंवा चुके हैं। बावजूद इसके स्थाई सुधार नहीं हो पाया है। घाट पर हुआ सड़क निर्माण इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों के अनुसार नहीं बनाया गया है। गलत इंजीनियरिंग यहां के हादसों का मुख्य कारण साबित हो रही हैं, बावजूद इसके इस पर न तो सरकार ध्यान दे रही हैं और न ही राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग। इसके चलते अब ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।

इंदौर ट्रक ऑपरेटर्स एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने गणेश घाट पर सोमवार को हुए सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत के अगले दिन देश के प्रधानमंत्री के साथ ही सड़क परिवहन एवं भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, सड़क परिवहन एवं भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के साथ ही परियोजना निर्देशक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, परियोजना कार्यान्वयन इकाई इंदौर को पत्र लिखकर गणपति घाट पर हो रहे हादसों को रोकने के लिए एक प्लान बताया हैं।

पत्र में कहा गया है कि आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर इन्दौर-खलघाट स्थित गणपति घाट पर रोड़ निर्माता कम्पनी एवं गणपतिघाट के रोड़ की डिजाईन फाइनल करने वाले जिम्मेदार इंजीनियर व अधिकारियों की गलती का खामियाजा वाहन चालकों के साथ ही यात्री भी अपनी जान देकर भुगत रहे है। आए दिन होने वाले हादसों के बाद भी टोल वसूलीकर्ता कम्पनी (ओरियन्टल पाथ-वे इन्दौर प्रा.लि.) द्वारा यहां पर सुरक्षा के कोई इंतजाम न करते हुए टोल वसूला जा रहा है।

Ganpati Ghat took away six hundred and fifty people in ten years
Ganpati Ghat took away six hundred and fifty people in ten years

तकनीकी खामियों के चलते हो रहे हादसे

इस मामले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के परियोजना निदेशक सुमेश बांझल का कहना हैं कि अक्सर गणेश घाट पर होने वाले हादसों को देखते हुए वहां पर अब साढ़े आठ किलोमीटर लंबा नया रास्ता बनाया जा रहा है, जिसे एक साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया हैं। घाट क्षेत्र के दुर्घटना संभावित सात किमी हिस्से में सिक्स लेन बनाई जानी है। इसकी एक साल पहले मंजूरी भी मिल चुकी है। इसके लिए जमीन वन विभाग से लेनी पड़ेगी। राहत की बात यह है कि धार व बड़वाह वन विभाग 24 हेक्टेयर जमीन देने के लिए प्रक्रिया शुरू कर चुका है। राऊ-खलघाट फोरलेन का निर्माण 500 करोड़ रुपए की लागत से 2006 में शुरू हुआ था और यह 2008 में बनकर तैयार हो गया। फोरलेन निर्माण के दौरान गणपति घाट वाले हिस्से में तकनीकी खामी छूट गई है। जो अब यहां हादसों का सबब बन रही हैं।

एनएचआई की लापरवाही ले रही है लोगों की जान

एनएचआई के अधिकारियों की लापरवाही और सुरक्षा इंतजाम नहीं किए जाने की वजह से गणपति घाट पर दुर्घटनाओं का दौर जारी है। यहां पर सोमवार को हुए भीषण हादसे के बाद मंगलवार की शाम साढ़े चार बजे फिर एक ट्राले ने डिवाइडर तोड़ते हुए घाट चढ रहे ट्रक को टक्कर मारी जिसमें एक ड्राइवर की मौत हो गई। इसके बाद लगभग पांच बजे एक बड़े ट्राले ने दो कारों को टक्कर मारी। फिर इसके ठीक आधे घंटे बाद एक ओर ट्रक की चपेट में आने से दो गाडिय़ों चकनाचुर हो गई।

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6 फीट ऊंचा और 2 फीट चौड़ा डिवाइडर रोक सकता है हादसे

ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के मुकाती ने बताया कि पहले भी कई पत्रों के माध्यम से मांग की गयी कि फोर लेन के बीच में 6 फिट ऊँची व 2 फिट मोटी सीमेन्ट कांक्रीट की दिवार का डिवाईडर बना दिया जाए, जिससे घाट उतरने वाले वाहन व चडऩे वाले वाहन आपस में नही टकरायेंगे। साथ ही प्रशासन द्वारा घाट के ऊपर कानवाई लगाकर वाहन छोड़े जावे और वाहन की स्पीड कम रखे। वाहन ओवरटेक ना करे, ऐसे संकेतक बोर्ड लगायें जावे। इतना ही नहीं कर्मर्शयल वाहनों को घाट उतरने के लिए अलग लेन बनाई जाए। ऐसे में एक्सीडेन्ट और जनहानि की संभावनाएं लगभग खत्म हो जाएंगी।

क्यों होते हैं हादसे….

गणपतिघाट पर उतरने वाली लेन पर अत्यधिक ढलान हादसों का कारण है। घाट पर जब वाहन उतरता है, तो ढलान के कारण गति तेज हो जाती है। जैसे ही वाहन चालक अपने वाहन के ब्रेक लगाता है, तो तेज गति में वाहन के लाइनर चिपक जाते हैं और ब्रेक फेल हो जाते हैं। इस कारण वाहन तेज गति में होने से नहीं रुकने के कारण आगे चल रहे वाहन में पीछे से जा घुसता है या फिर अनियंत्रित होकर खाई में गिर जाता है और हादसा बड़ा रूप ले लेता है। जब तक घाट की ढलान कम नहीं की जाएगी, तब तक हादसों पर ब्रेक लगाना संभव नहीं हो सकता।

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