भोपाल (ब्यूरो)। बागियों को बैठाने में कांग्रेस और भाजपा दोनों दल लाख प्रयासों के बाद भी नाकाम रहे जिसके कारण 50 सीटों का गणित बिगड़ गया है और सरकार बनाने के समीकरण भी बागियों ने बिगाड़ दिए हैं। 5000 से कम पर जीत-हार की सीटें अब उलझ गई हैं तो उधर सट्टा बाजार ने भी अब कांग्रेस और भाजपा को 110-110 सीटें बताई है।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बागियों से अलग-अलग बातचीत की उसके बाद भी कई नेता ऐसे हैं जो मानने को तैयार नहीं हैं और न ही वे कल नाम वापसी कर पाएंगे। इधर दिग्विजयसिंह ने कांग्रेस के कई बागियों के साथ अलग-अलग बातचीत की है, लेकिन वे बागी भी अब टस से मस होने को तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में इनकी बगावत जारी रहने के कारण 50 सीटों का गणित बिगड़ रहा है।
महू में अंतरसिंह दरबार ने कांग्रेस के रामकिशोर शुक्ला के खिलाफ निर्दलीय पर्चा दाखिल कर रखा है, उधर आलोट में भी पूर्व विधायक प्रेमचंद गुड्डू ने भी निर्दलीय मैदान संभाल रखा है। उधर सीधी में सांसद रीती पाठक को टिकट देने के विरोध में विधायक केदार शुक्ला ने भी नामांकन निर्दलीय भर दिया है। मुरैना में उपचुनाव हारने के बाद भी रघुराज कंसाना को टिकट देने के विरोध में पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह ने भाजपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया है और बेटे राकेश को मैदान में उतार दिया है। जबलपुर में अभिलाष पांडे का विरोध थम नहीं रहा है। यहां धीरज पटेरिया नाराज चल रहे हैं वे भी बैठने को तैयार नहीं है।
कल नाम वापसी की अंतिम तारीख है। पिछले चार दिनों से कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेता बागियों को बैठाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर बागी बैठने को तैयार नहीं है, इसके कारण अब कांग्रेस और भाजपा को सरकार बनाने के भी समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे हैं। उधर सट्टा बाजार ने अब कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों की 110-110 सीटें बताई है जिसके कारण सरकार बनाने की स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है, लेकिन यह तय है कि निर्दलीयों की भूमिका सरकार बनाने में अहम रहेगी।