जनआशीर्वाद लेने निकले जन आक्रोश लेकर गए

पूरा शहर पुलिस की लापरवाही की भेट चढ़ा, हर क्षेत्र की सड़कों पर निकलने के लिए तीन घंटे तक संघर्ष करना पड़ा

People who came out to seek blessings took away people's anger
People who came out to seek blessings took away people’s anger

इंदौर – मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की आशीर्वादयात्रा ने कल 5 घंटों तक पूरे यातायात को तहस नहस कर दिया। अधिकारी अपने कमरों से बैठकर संचालन करवाते रहे। लगभग हर विधानसभा के मुख्य मार्गों को बेरिकेट्स लगाकर बंद करने से सारा यातायात गलियों और छोटी सडकों में उलझ गया। स्कूल से छुटी बसे घंटों सड़कों पर रेंगती रही। कोशिश के बाद भी मार्ग नहीं मिल रहे थे। स्थिति यह थी कि जब यात्रा क्षेत्र क्रमांक 2 में पहुंची भी नहीं थी उसके पहले ही मार्ग बंद होने से मालवा मिल, परदेशीपुरा, भागीरथपुरा, सुखलिया में यातायात गलियों में उलझ गया था। यही स्थिति क्षेत्र क्रमांक 3 में रही। सवाल उठता है कि जब मुख्यमंत्री के आने का कार्यक्रम और मार्ग दोनों तय थे तो फिर पुलिस अधिकारियों ने मार्ग से संबंधित रोडों पर दौरा कर मार्गों को खाली क्यों नहीं करवाया। प्रशासनिक अधिकारियों की स्थिति शहर में बाबूओं की तरह हो गई है। परिणाम यह रहा कि हर विधानसभा में लोग सडकों पर ही जन आर्शीवाद यात्रा से हाथ जोड़ते रहे।

कल की जन आर्शीवाद यात्रा ने आमजनों का मानो दम ही निकाल दिया इसमें दोष यात्रा जनों का नही व्यवस्था का पालन ( अधिकारियों ) कराने वालों का है शहर की नब्ज से अंजान अफसरों की नाकामी कल उस वक्त नजर आई जब जन आशीर्वाद यात्रा शुरु हुई। जब पूरा शहर भयंकर यातायात के जाम में फस गया था पूरा अमला सिर्फ मुख्यमंत्री की जन आर्शीवाद यात्रा के मार्ग को संवारने में लगा रहा। इस दौरान इन मार्गों से निकलने वाले लोग गलियों में अपने वाहनों के साथ उलझ गए। शहर को संभालते कोई अफसर मैदान में नज़र में नज़र नही आया । इसके पहले भी इस प्रकार के आयोजनों में पुलिस अधिकारी एक दिन पहले उन मार्गों को खाली करवा लेते थे। सड़कों पर खडे वाहनों को भी हटवा देते थे, ताकि मुख्य मार्ग का दबाव गलियों में भी आसानी से निकल जाए।

बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शहर में थे वे 6 विधानसभा में जनआशीर्वाद यात्रा लेकर निकले । जहाँ जहाँ से यात्रा गुजरी वो रास्ते तो बंद ही थे वही उसके आसपास के 1 किलोमीटर क्षेत्र में जनता यातायात के जाल ह्यह्यमें बंद सी हो गई थी राऊ से शुरू हुई यात्रा चाणक्य पूरी पहुँची तब तक सब सामान्य था लेकिन उसके बाद अन्नपूर्णा मंदिर यात्रा पहुँची उसके बाद मानो जाम यातायात का भूचाल आ गया । हर क्षेत्र में स्कूल बसें फंसी पड़ी थी।

छोटे बच्चे वाहनों में ही रो रहे थे। घंटों बसे सड़कों पर ही उलझी रही। मुख्यमंत्री के आने के 2 घंटे पहले ही इन मार्गों को बंद कर दिया गया था। इसके बाद जहां यात्रा पहुँची हर चौराहे को पैक कर दिया जिसके कारण बच्चे, वृद्ध और महिलाएं सड़कों पर ही परेशान हो गए । वही शहर के मुख्य मार्ग बड़ा गणपति , गोराकुण्ड , राजवाड़ा , किशनपुरा , पूरा एम जी रोड , हर क्षेत्र मानो ठप्प हो गया । इस जाम यातायात को लेकर कोई भी जिम्मेदार अफसर मैदान में नज़र नही आया । पूरे शहर को अपने हाल पर छोड़ दिया गया । मिल एरिये में लोग जहाँ घरों में कैद हो गए वही गली मोहल्ले में सिर्फ गाड़ियों ही फसी नज़र आई । भागीरथपुरा मार्ग पर ऐतिहासिक जाम लग गया, जो देर रात तक बना रहा। सुखलिया में भी यही स्थिति रही। हालत यह हो गई कि रिंग रोड पर भी कारों की कतारें लग गई। पूरा यातायात का अमला सिर्फ यात्रा को रास्ता दिखा रहा था जबकि पूर्व में ये होता आया है कि जहाँ से यात्रा निकलती है उस रूट के टैफिक को लेकर पहले ही अफसर अपनी यातायात डाइवर्ट को लेकर योजना बना लेते है भाजपा की इस जनआशीर्वाद यात्रा का रूट पहले ही तैयार होकर अफसरों के पास पहुँच चुका है सवाल ये उठता है कि आखिर ये नए नवेले अफसर क्या कर रहे थे क्या ये सिर्फ बंद कमरों में बैठक ही करते रहेंगे या मुख्यमंत्री की यात्रा की चौकसी ?

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कल जनता की जो ट्राफिक के मामले में दुर्दशा हुई आखिर उसका जिम्मेदार कौन ? भाजपा को भी सोचना पड़ेगा । जनता अफसरों के साथ उनको भी कोस रही थी ? भाजपा के तमाम नेताओं को जो इस व्यवस्था में लगे थे कायदे से उन्हें पुलिस प्रशासन की इस अव्यवस्था पर शहर के लोगों को हुई परेशानी के लिए माफी मांगना चाहिए, क्योंकि पुलिस कमिश्नरी में अधिकारी माफी नही मांगेगे। शहर की नब्ज को समझने वाले अधिकारी अब नहीं नियुक्त हो रहे है। जो हो रहे वे अपना थाना खुद ही भोपाल से लेकर पहुंच रहे है।

महिला बच्चे के साथ चिल्लाने लगी

मिल क्षेत्र के आईटीआई चौराहे पर फंसे वाहनों में स्कूटी पर चार साल के बच्चे को लेकर अपने घर जाने के लिए संघर्ष कर रही महिला आखरी में चिल्लाने लगी कि एक घंटे से घर जाने के लिए रास्ता तलाश रही हूं। यही स्थिति ओर कई लोगों के भी बनी हुई थी।

बसों में ही घंटों में बच्चे उलझे रहे

स्कूल की बसों में जो बच्चे घर जाने थे वे से 2 घंटे से ज्यादा सडकों पर ही वाहनों के बीच रास्ता मिलने के इंतजार में बसों में ही उलझे रहे। हर व्यक्ति को कम से कम 6 से 8 किलोमीटर सड़कों पर संघर्ष करना पडा।

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