गुस्ताखी माफ़ – पुरातन भाजपाई कर रहे है धमाके की तैयारी…ठेलों पर सवार होकर आएंगे नेताजी…

इस बार मामला उलटा हो गया...ऐसी दोस्ती को सलाम...

पुरातन भाजपाई कर रहे है धमाके की तैयारी…

भारतीय जनता पार्टी के उम्रदराज नेता भाजपा की नई व्यवस्था से व्यथित और दु:खी हैं। पिछले दिनों दिग्गज नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद यह निर्णय हुआ कि भाजपा के हित में एक बड़े धमाके की जरूरत है। खासकर जिस प्रकार से बिना किसी रायशुमारी और कार्यकर्ताओं को बिना विश्वास में लिए 39 क्षेत्रों में उम्मीदवार घोषित किए गए, वह किसी के भी गले नहीं उतर रहा है। ऐसे में अब इस मामले में आवाज उठाने का बीड़ा पुरातन नेताओं ने लिया है। यह नेता अब किसी दिन भाजपा के कार्यकर्ताओं के सम्मान और भाजपा के सिद्धांतों की राजनीति को बचाने के लिए मैदान में उतरेंगे। मैदान में उतरने का मतलब यह नहीं कि विरोध करेंगे, पर भाजपा कहां जा रही है, इस पर जरूर एक साथ बयान जारी करेंगे। नेताओं का कहना है कि इस भाजपा को खड़ा करने में भरी बारिश में सड़कों पर घूमकर जिस प्रकार से खड़ा किया गया है, उसमें अब सुविधाभोगी नेता पैदा हो गए हैं। खासकर, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सरकार बनाकर अपने ही कार्यकर्ताओं के भविष्य की हत्या हो गई है। अब इस पर बड़ा हमला सही समय पर सही स्थान पर होने जा रहा है। थोड़ा इंतजार करिए, धमाके की शुरुआत दिखाई देने लगेगी। अब इस अभियान में एक और बड़े नेता भी जुड़ गए है, जिन्होंने पिछले दिनों अपनी हार का ठिकरा भाजपा के बड़े नेताओं पर फोड़ा है।

ठेलों पर सवार होकर आएंगे नेताजी…

विधानसभा में भाजपा की ओर से प्रबल दावेदारी करने वाले एक ताकतवर नेता इन दिनों छप्पन दुकान पर ठेलों और छोटी-छोटी दुकानों को लगवाने में व्यस्त हो गए हैं। सूत्र और दुकानदार बता रहे हैं कि नेताजी के पास इन ठेले और खोमचों से हर महीने बड़ी राशि जा रही है। इनमें से सभी इन्हीं क्षेत्रों के दुकानदार हैं। स्वयं एक ठेले पर दुकान लगाने वाले से पूछा गया कि पूरी गली में ठेले खड़े हो गए हैं। नगर निगम का डर नहीं है क्या? इस पर उसने बताया कि नेताजी के संरक्षण में ही ठेले लगे हुए हैं और वैसे भी इन दिनों नगर निगम ने ठेले हटाने पर रोक लगा रखी है। दो-तीन महीने बाद जब चुनाव हो जाएंगे, उसके बाद नेताजी मैदान में आ गए तो ठीक है, वरना अपने आप ही ठेले हट जाएंगे।

इस बार मामला उलटा हो गया…

इन दिनों भाजपा की गृहदशा ठीक नहीं चल रही है। बड़े ढोल-ढमाके के साथ भाजपा में शामिल कराए गए आईपीएस वेदप्रकाश पर पर लोकायुक्त ने पद का दुरुपयोग करने और अपने करीबी को गन लायसेंस दिलवाने के मामले में शामिल मानते हुए एफआईआर दर्ज कर दी है। इस मामले में भाजपा के नेताओं का कहना है कि सरकार की कार्यप्रणाली से ऐसा लग रहा है कि अब भाजपा कार्यकर्ताओं की नहीं, सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस की पार्टी होगी। पहले भी भाजपा के कार्यकर्ताओं का हक मारकर आठ से अधिक सेवानिवृत्त अधिकारियों को निगम-मंडलों में अध्यक्ष बनाकर उन्हें उपकृत कर दिया गया है। सवाल उठ रहा है कि इनका भाजपा को लेकर क्या समर्पण है। सरकार के संकट में आते ही सबसे पहले ये ही लोग भाजपा को पहचानने से इंकार कर अपने घरों में बैठ जाएंगे पर इस बार सीन में चेंज हो गया है। इधर, भाजपा में आते ही मुकदमा दर्ज हो गया। अभी तक भाजपा से बाहर ही यह होता आ रहा है।

ऐसी दोस्ती को सलाम…

ऐसी दोस्ती के जज्बे को वाकई सलाम है। बिरले होते हैं जिन्हें ऐसे दोस्त मिलते हैं। यह जिक्र उस व्यक्ति का है, जिसकी दोस्ती संभवत: बीसवें सावन से शुरू हुई थी और पचहत्तर सावन के बाद भी बरकरार रही है। एक दोस्त के निधन पर दूसरे दोस्त ने एक समारोह के दौरान याद करते हुए कहा कि मेरे लिए ऊपर यदि अल्लाह है तो नीचे मेरा दोस्त मेरे लिए अल्लाह था। हम जिक्र कर रहे हैं खुरासान पठान का, जो विष्णुप्रसाद शुक्ला यानी बड़े भिया के कवच-कुंडल के साथ निर्णायक दोस्त माने जाते थे। खुरासान पठान उनके साथ यदि घोर संकट में खड़े रहे तो उनके परिवार के साथ भी धर्म-कर्म में खड़े रहे। इस युग में ऐसे दोस्तों की कल्पना कठिन है। उन्होंने कहा कि जब बाऊजी यानी बड़े भिया कहीं गलत होते थे तो मैं ही उनके मुंह पर बोलता था कि आप यहां गलत हो और वे पीछे हट जाते थे। मेरे बोलने पर कभी नाराज नहीं हुए। मैं नाराज हो जाऊं तो वे खुद घर आकर साथ में खाना खाकर हमें वापस जोड़ लेते थे। उनकी कमी मुझे अखरती है, पर मैं हमेशा कहता हूं कि जीवन में एक दोस्त ऐसा बनाइए, जो आपको और आपके परिवार को सही दिशा दे। मां-बाप, भाई-बहन तो ऊपर वाला तय करता है। दोस्त तो आपको ही बनाना है और बड़े भिया के साथ मेरी दोस्ती शायद कुछ ऐसी ही थी।

-9826667063

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