गुस्ताखी माफ़: आओ तीन-दो पांच खेलें…मरीज से कोई नहीं पूछताछ…पट्ठों के विवाद में…

आओ तीन-दो पांच खेलें…

धीरे-धीरे अब आर.के. स्टूडियो की नई पटकथा लगभग लिखी जा चुकी है। इसके अनुसार जो नई कहानी तैयार हुई है उसमें कलाकार तो वही हैं पर भूमिकाओं में परिवर्तन दिखाई दे रहा है। इसके अंतर्गत जहां क्षेत्र क्रमांक 3 अब नए समीकरण के साथ मैदान में दिखाई देगा वहीं अचानक क्षेत्र क्रमांक 3 के बल्लेबाज विधायक आकाश बाबू ने क्षेत्र क्रमांक 2 में घूमना शुरू कर दिया है। इसके चलते उनके कार्यकर्ता नेहरू नगर के कई निवास पर आम लोगों से मिले और बताया कि वे आकाश बाबू की छत्रछाया में काम कर रहे हैं। आपको कोई तकलीफ तो नहीं है। पानी-वानी आ रहा है या नहीं। अचानक सीन में जरा चेंज आ गया है। दूसरी ओर क्षेत्र क्रमांक 3 में कई क्षेत्रों में अभी हुई बारिश से गलियों में गंगा-यमुना बह निकली है। हां कोई नहीं आ रहा है। सदर बाजार क्षेत्र में तो कई जगह लोग अपने घरों पर बैठकर टापू का आनंद गरमागरम भजियों के साथ ले रहे है। आगे भी लेते रहना पड़ेगा। दूसरी ओर पिछले दिनों दादा दयालू ने 5 नंबर क्षेत्र की अपने जासूसों से बूथ स्तर की जानकारियां भी निकलाना शुरू कर दी है। इस मामले में भाजपा के ही संगठन नेताओं से जब पूछा गया तो उनका कहना था आर.के. की लीला बड़ी निराली है, आखिरी समय तक यह पता नहीं लगता कि पिक्चर कहां लगेगी। दूसरी ओर एक नया समीकरण भी दादा दयालू को लेकर भाजपा के ही संगठन नेताओं ने भाजपा को दिया है। इसमें कहा गया है कि दादा दयालू को क्षेत्र क्रमांक 1 से मैदान में उतारा जाए तो ब्राह्मण के सामने ब्राह्मण दोनों के पास ही एक से एक कथावाचक दोनों ही भोजन भंडारों में सबसे आगे और दोनों ही लोकप्रिय भी हैं। ऐसा मुकाबला ब्राह्मण देवताओं के बीच होगा तो पूरे प्रदेश की नजरें यहीं टिक जाएगी। अबो समय बताएगा किसकी नजरें कहां लगी हुई है…।

मरीज से कोई नहीं पूछताछ…

पिछले दिनों भोपाल में गृह मंत्री और भाजपा के चाणक्य अमित शाह के साथ संगठन के नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक रखी गई थी, जिसमें भाजपा के नेताओं से ही अमित शाह ने यह भी प्रश्न पूछा था कि कार्यकर्ता संगठन और सरकार से क्यों नाराज हैं? इसका जवाब किसी ने नहीं दिया था। इधर भाजपा को पूरे प्रदेश में ताकतवर बनाने वाले जिन संगठन के नेताओं की बड़ी भूमिका रही थी और वे कुशल रणनीतिकार भी माने जाते थे उन्हें इस बैठक में नहीं बुलाया गया था। इसमें कृष्णमुरारी मौघे से लेकर सुमित्रा महाजन यानी ताई तक शामिल हैं। कहने वालों ने कहा कि बुलाया उन्हें जाता है जो या तो मोनी बाबा हों या फिर वाह… वाह… करने वाले हों, या फिर हां में हां मिलाने वाले। किसी ने बैठक में इस बात पर जिक्र नहीं किया कि 5 सर्वे हो चुके हैं और भाजपा 80 सीटों पर झूल रही है। मर्ज क्या है यह जानने का प्रयास किसी ने नहीं किया, पर एक के बाद एक डॉक्टर बदल रहे हैं। अब भूपेन्द्रसिंह यादव और अश्विनी वैष्णव यहां कामकाज देखेंगे। इसके पहले जो देख रहे थे उन्होंने क्या देखा। इस समय प्रदेश में जो तैनात हो रहे हैं उनमें से कई कर्नाटक में लुटिया डुबवाकर आए हैं। नेताओं से सब पूछ रहे हैं, कार्यकर्ताओं से कोई नहीं पूछ रहा…।

पट्ठों के विवाद में…

सूत और कपास के चक्कर में जुलाहों के बीच लट्ठमलट्ठा के हालात बन गए हैं। दादा और भिया कलदार पट्ठों में तलवारें खिंच गई हैं और इसके चलते दादा और भिया को अपने-अपने पट्ठों के लिए आमने-सामने आना पड़ गया। स्थिति यह हो गई कि दादा के कलदार पट्ठे सुशील यादव के खिलाफ भिया के कलदार पट्ठे मुनमुन मिश्रा ने मारपीट का प्रकरण दर्ज करवा दिया। घर के बाहर बोर्ड भी टंगवा दिया। मुनमुन मिश्रा लंबे समय से भिया की अर्दली में रहे हैं। दोनों तरफ से हुई मारपीट को लेकर जो बातें सामने आ रही हैं, वह बता रही है कि इस मामले में दादा भिया ही आमने-सामने खड़े हो गए हैं। थाने में दबाव के चलते क्रास कम्प्लेन दर्ज करना पड़ी। थाना प्रभारी को लगा कि सांडों की लड़ाई में बैठे-बिठाए बागड़ तबाह नहीं हो जाए। समय खराब रहता है तो सब होता रहता है। अंदरखाने की खबर यह आ रही है कि जब मुनमुन मिश्रा के साथ चीकू का झगड़ा हुआ था, उस दौरान दादा के कहने से चीकू मुनमुन के घर माफी मांगने पहुंचा था, पर उस दौरान उसका मोबाइल चालू था। मुनमुन ने दादा के जो भजन गाए तो यह मामला दादा को भी नागवार गुजरा था। ऐसे में अब पुरानी खींचातानी भी इस मामले में आड़े आ रही है। जो भी हो, देखना होगा कौन, किस पर भारी पड़ता है।

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