शिवराज व तोमर की जोड़ी फिर मुख्य भूमिका में…
2008 और 2013 के बाद 2023 के चुनाव में दिखेगा दोनों का असर
इंदौर। विगत 3 विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए संगठन तारणहार के रूप में कार्य कर चुके केंद्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर पर अब फिर से विधानसभा के चुनावी प्रबंधन की कमान हाथ मे आ गई है केंद्र ने जैसे ही धर्मेंद्र यादव व अश्विनी वैष्णवी को नए प्रभारी के रूप में प्रदेश भेजा उसके बाद चुनाव अभियान के प्रभारी के नामों की चर्चा चल पड़ी थी लेकिन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ये कमान अपने खास मित्र व हमेशा शिवराजसिंह चौहान के लिए दिल्ली दरबार मे साथ देने वाले केंद्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर को ये कमान दिलवाना चाहते थे केंद्रीय संगठन ने अंतत: ये चुनावी कमान तोमर को सौप दी। 2008 में और 2013 में इसी जोड़ी ने चुनावी रणनीति को अंजाम दिया था।
पिछले 6 माह से प्रदेश संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट चल रही थी व नए अध्यक्षो को लेकर जहां नेता लॉबिंग कर रहे थे वही केंद्र भी बदलाव के मूड में नज़र अस रहा था लेकिन मुख्यमंत्री चौहान चुनाव के पहले बदलाव नही चाह रहे थे इसलिए अभी तक वे वीडी शर्मा व हितानंद शर्मा के ढाल बने रहे व बदलाव संभव नही हो पाया इसी बीच प्रदेश प्रभारी में जरूर केंद्र ने बड़ा परिवर्तन कर दिया और मोदी व शाह के करीबी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र यादव व अश्विनी वैष्णवी को प्रदेश में प्रभारी बना दिया। इसके बाद चुनाव प्रभारी पर सबकी नजर पढ़ गई व वर्तमान व नए दावेदार इस पर नज़र लगाए रहे कि ये कमान किसके हाथ रहेगी लेकिन मुख्यमंत्री की पसंद नरेन्द्रसिंह तोमर ही रहे और हमेशा की तरह वे ही मैदान में आ गए। अब कयास यही लगाए जा रहे है कि शिवराज व नरेन्द्रसिंह तोमर की जोड़ी की 2023 के चुनावी टिकिट वितरण में मुख्य भूमिका निभायेगी।
गौड़ व गुप्ता रहेंगे फायदे में
स्थानीय राजनीति में विधायक मालिनी गौड़ जहां मुख्यमंत्री की करीबी वही वे नरेन्द्रसिंह तोमर से भी शुरू से नजदीकी बनाये हुए है गौड़ सिंह व तोमर खेमे की ही मानी जाती है वही पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता भी तोमर के नजदीक है इसका फायदा गुप्ता को भविष्य में मिल सकता है राउ विधानसभा में पूर्व इविप्रा उपाध्यक्ष रहे मोहित वर्मा भी अपनी राऊ की दावेदारी में अब मजबूत होंगे केउकी वे तोमर की काफी नजदीक है। जितने वाले को ही देंगे मौका … संशय की स्थति में नही मिलेगा अवसर : तोमर व शिवराज उन्ही नए चेहरों को चुनावी रण में उतारने पर सहमति देंगे जिसके जीतने पर कोई शंशय न हो। केउकी दोनों नेता सभी दावेदारों व वर्तमान विधायको की नब्ज जानते है जो जीतेंगे। हालाकि प्रदेश संगठन व प्रदेश प्रभारी भी महती भूमिका में रहेंगे लेकिन ये दोनों नेता भी अपना प्रभाव दिखायेगे। तोमर का शांत स्वभाव व अनुभव दिखायेगा परिवर्तन : केंद्रीय मंत्री तोमर काफी समय प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका निभा चुके है हालांकि वे काफी शांत स्वभाव से सबकी बात सुनते है लेकिन संगठन के पारखी माने जाते है व सबकी कार्यशैली भी जानते है अपने अनुभव के तीरों से तोमर क्या निशाना लगाएंगे ये समय ही बताएगा।
Also Read – खालिस्तान समर्थकों ने सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में लगाई आग, अमेरिका ने जताई नाराजगी