गुस्ताखी माफ़: दादा के माल की बात ही निराली…क्या करें शेखावत का…यह जादूगरी किसने करवाई…हट जाओ तैयारी शुरू…

दादा के माल की बात ही निराली…

अंतत: लाड़ली बहना आयोजन में प्रशासन के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी अपनी पूरी ताकत लगाकर कार्यक्रम को किनारे तक पहुंचा दिया। फिर भी इंदौर जिले में लाड़ली बहनाओं के खाते में जा रहे पैसों के अनुपात में बहनाओं की संख्या 6 प्रतिशत से कम रही तो दूसरी ओर सभी के लिए खाने की व्यवस्था नगर निगम के सौजन्य से की जानी थी, परंतु नगर निगम की कार्यप्रणाली और अपना सम्मान देखते हुए नेताओं ने नगर निगम के नेतृत्व में होने वाले भोजन के बजाय खुद ही भोजन बनवाना बेहतर समझा और हर विधानसभा क्षेत्र में नेताओं ने अपनी लाड़ली बहनाओं के लिए भोजन तैयार करवाया। अब भोजन के मामले में क्षेत्र क्रमांक दो का पैकेज सबसे अलग रहा। हिसाब बाद में आएगा, पर खाने के पैकेट के साथ पानी की बोतल और कोल्ड्रिंक भी लाड़ली बहनाओं को दी गई। साल भर में दो लाख लोगों का भोजन करवाने दादा दयालु के नेतृत्व में भोजन-भंडारे का आनंद ही अलग होता है। खाओ भी और ले जाओ। अब इसके अलावा और क्या-क्या दिया गया हो इसकी कोई जानकारी नहीं आई है।

क्या करें शेखावत का…

भाजपा के कद्दावर नेता रहे पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत कांग्रेस और भाजपा की भंवर में इन दिनों घूम रहे हैं। शेखावत पिछले दिनों ऐलान कर चुके हैं कि उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार बनाएगी तो वे चुनाव लड़ेंगे। उनके इस बयान के बाद भाजपा के संगठन के नेताओं ने चुप्पी साध ली है। कई दिग्गज नेताओं का कहना है कि ले-दे कर जैसे-तैसे ब्राह्मण देव सत्तन गुरु को आई सवारी शांत हुई है और उन्हें मनाने में अच्छी-खासी मशक्कत हो चुकी है। बड़ी आबादी ब्राह्मणों की सत्तन गुरु को अपना मुखिया मानती है। भाजपा ने लंबे समय से उन्हें वनवास दे रखा है। इधर शेखावत का कहना है कि जिन्होंने उनकी लुटिया डुबवाई, वे ही अब उनके क्षेत्रों में दूसरों की लुटिया तैराने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में उनके जख्म भरे नहीं हैं। भाजपा के लिए शेखावत पर कार्रवाई करना आसान नहीं है, क्योंकि वह क्षत्रिय समाज से नया पंगा भी नहीं लेना चाहती है, इसलिए अभी जैसा चल रहा है, चलने दो। दूसरी ओर शेखावत ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। उनके समर्थक कामकाज में भी लग गए हैं और फिर भाजपा के कई हरिराम खुद ही उनके पास पहुंच रहे हैं।

यह जादूगरी किसने करवाई…

मुख्यमंत्री के प्रतिष्ठित आयोजन लाड़ली बहना के देपालपुर विधानसभा क्षेत्र में किये जाने को लेकर हुए ऐलान के पीछे कई समीकरण बने है। बताया जा रहा है कि देपालपुर विधानसभा क्षेत्र में इस आयोजन के लिए मनोज पटेल ने ही उनसे आग्रह किया था हालांकि इस आयोजन को लेकर पहले क्षेत्र क्रमांक दो में समीकरण बनाये गये थे और इसके लिए फिनीक्स माल के पास जगह भी चयनित कर ली गई थी परंतु क्या मालूम कैसे क्या रायता फैला कि यह आयोजन दो से निकलकर देपालपुर के लिए चला गया। हालांकि मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दे दिया कि वे मनोज पटेल पर ही इस बार दांव लगायेंगे। यह खबर देपालपुर में दाने डाल रहे उन नेताओं को शायद हजम नहीं हो पायेगी जो यहां लंबे समय से समीकरण बना रहे थे। यहां पर दावा करने वाले 34 हजार क्षत्रिय वोटों का समीकरण भी बताते हैं। जो भी हो अभी तो गंगा में बहुत पानी बहने वाला है और इस बार कानपुर, हरिद्वार में डुबकी लगा रहे लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि निर्णय गंगोत्री पर ही होगा।

हट जाओ तैयारी शुरू…

क्षेत्र क्रमांक 1 में भले ही कई दावेदार भाजपा से अपनी दावेदारी को लेकर समीकरण बना रहे हैं परंतु जिस हिसाब से सुदर्शन बाबू ने तेजी से यहां जमावट करना शुरु की है उससे यह तय दिखाई दे रहा है कि पिछली कांग्रेस सरकार को गिरवाने में ज्योतिबाबू के विधायकों को बैंगलुरु ले जाकर जिस तरीके से एक ही तराजू में सम्हाल कर रखा वह मानना पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर के इस महायज्ञ में उनकी भूमिका बड़ी थी ऐसे में यह माना जा रहा है कि उन्हें इस प्रतिफल मिलना तय है इधर उनका भी दावा है कि इस बार चुनाव में ही लड़ूंगा और चुनावी तैयारियां भी शुरु कर दी है। अब जो दूसरे नेता गली कूचे से निकलकर अपनी तैयारियों को सामने नहीं आते हुए कर रहे हैं उन्हें भी एक बार फिर अपनी पतंग के धागों को अच्छे से चेक कर लेना चाहिए।

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