गुरुसिंघ सभा : चुनाव में समन्वय के लिए आए जत्थेदार को शिकायत के बाद हटाया
दो ओर समन्वयक किशोरी ढाबे की पार्टी में निपट गए

इंदौर। अगस्त में गुरु सिंघ सभा के होने वाले चुनाव के पहले ही इतनी ज्यादा उठापटक शुरू हो गई है। जिसके कारण चुनाव के समय क्या स्थिति होगी यह देखना। मामला ऐसा है कि देश भर में गुरुद्वारों पर चुने जाने वाले संचालक मंडलों के लिए अकाल तख्त की ओर से 5 जत्थेदार होते है।
इनमें से इंदौर की गुरुसिंघ सभा चुनाव में समन्वय के लिए आए जत्थेदार हरप्रीतसिंह को उनके पद से हटा दिया गया। क्योकि वे यहां समन्वय की बजाय एक गुट के साथ राजनीति करने लगे थे। उनकी जगह नए जत्थेदार भी नियुक्त कर दिए गए है। इसे लेकर व्हाट्सअप पर गुरुमुखी में संदेश भी जारी किया गया है। इधर जत्थेदार हरप्रीतसिंह को प्रभावित करने के मामले में अध्यक्ष के उम्मीदवार मोनू भाटिया पर ऊंगली उठाई जा रही है।
गुरुसिंघ सभा चुनाव अगस्त में किए जाने को लेकर कार्यक्रम भी जारी कर दिया गया है। इस बार अध्यक्ष पद के लिए शराब कारोबारी मोनू भाटिया और कुलवंतसिंह छाबडा और कानचा ने मध्यप्रदेश गुरुसिंघ के नाम से नई कमेटी भी गठित कर ली है। इसका पंजीयन भी हो चुका है। दूसरी ओर लंबे समय गुरुसिंघ सभा के अध्यक्ष पद पर काबिज रहे रिंकू भाटिया भी इस पद के लिए मैदान में है।
लंबे समय बाद गुरुसिंघ सभा के चुनाव हो रहे है। इस बीच बाबी छाबडा के कब्जे वाली खालसा एज्युकेशन सोसायटी को लेकर भी रिंकू भाटिया चुनाव करवाये जाने को लेकर अपनी लड़ाई लड़ते रहे है। चुनाव कार्यक्रम घोषित हो जाने के बाद इस बार मोनू भाटिया चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके हैं। अब तीन पैनल मैदान में हो सकती है।
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