इंदौर को कलंकित करने वालों को देना चाहिए इस्तीफा

मामला भारत-आस्ट्रेलिया मैच में होलकर स्टेडियम के खराब पिच का

उषा राजे स्टेडियम
उषा राजे स्टेडियम

इंदौर। खराब पिच को लेकर इंदौर को कलंकित करने वाले एमपीसीए के पदाधिकारियों को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। स्टेडियम के पिच के कारण भारत और आस्ट्रेलिया के बीच मात्र ढाई दिन में मैच खत्म हो गया। इसके पहले वर्ष 1997 में ही भारत-श्रीलंका मैच के दौरान पिच पर दरारें उभर आई थी। पदाधिकारियों की इस गंभीरत लापरवाही का खामियाजा शहर के खेल प्रेमियों को भुगतना पड़ेगा। बीसीसीए यहां इंटरनेशनल मैचों पर बैन लगा सकता है।
जहां स्वच्छता में लगातार छठी बार देश में सिरमौर बन चुका है। वहीं कर्नल सी.के. नायडू और मुश्ताक अली जैसे क्रिकेटर देने वाले शहर को एमपीसीएम ने कलंकित करवा दिया। यहां भारत 9 विकेट से हार गई थी। पिच को आईसीसी ने 3 डिमैरिट पॉइंट दिए, इसके बाद स्टेडियम पर प्रतिबंध लगने का खतरा मंडरा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान मार्क टेलर ने पिच को लेकर उंगुली उठाई थी। पिच को लेकर कई खेल प्रेमी, एमपीसीए के पदाधिकारी और बीसीसी के सदस्य विरोध जता चुके है।

लाबी पड़ी थी भारी
1997 में भारत-श्रीलंका मैच रद्द करना पड़ा था। तब आईसीसी ने दो से पांच वर्ष के लिए बैन कर दिया था। पश्चात एमपीसीए के तत्कालीन सचिव डा. एम.के. भार्गव और पिच बनाने वाले नरेंद्र मेनन के पीछे लाबी पड़ गई थी और दोनों से इस्तीफा ले लिया था। फिर संजय जगदाले सचिव बने थे। उनके कार्यकाल में स्पॉट फिक्सिंग की खबरें आने से पद छोड़ना पड़ा था।

छोटी बाउंड्री बना कारण
मैच के दौरान बाउंड्री बनाने वालों ने भी नियमों को उल्लंघन किया। इसके चलते जब दो की जगह चार और चार की जगह छक्का चला जाता था। खुद दोनों टीमों ने भी पिच को लेकर अपनी आपत्तियां जताई थी।

एक दूसरे पर थोपने की तैयारी
उसके बाद भी एमपीसीए के पदाधिकारी जिम्मेदारी स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। पिच बनाने की जिम्मेदारी बीसीसीआई के लोगों पर थोंपकर बचना चाहते हैं, जबकि जिन मैचों में पिच अच्छा खेली उसमें खूब शाबाशी लूटी। जगदाले कह सकते थे कि मैंने तो कोई स्पॉट फिक्सिंग करवाई नहीं, ऐसे में इस्तीफे क्यों, लेकिन यह नैतिकता की बात है। जिम्मेदारी उसी की होती है जो पद पर बैठा हो। एमपीसीएम के अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर, सचिव संजीव राव तथा पिच क्यूरेटर को पद छोड़ना चाहिए।

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