गुस्ताखी माफ़: सांसद खाली हाथ लौटे…अब दरबार की यात्रा… दीदी चिंतित शहर में राजनैतिक तीरथ महोत्सव शुरू…

सांसद खाली हाथ लौटे…

पिछले दिनों बिजली विभाग में आउटसोर्स पर काम कर रहे कर्मचारियों की हड़ताल को खत्म करने के लिए सांसद शंकर लालवानी भी यहां पहुंचे थे। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह मुख्यमंत्री से इस मामले में चर्चा करेंगे। कर्मचारी बिल्कुल उधार बैठे थे। पिछले दस वर्षों से इन कर्मचारियों की कोई सुध नहीं ली गई। आठ हजार रुपये में कर्मचारियों के प्राण दांव पर लगाये जा रहे हैं। इधर सांसदजी ने जब उन्हें समझाने का प्रयास किया तो वे भड़क गये और सभा के बीच में ही हुटिंग करने लगे परिणाम यह हुआ कि सांसद महोदय को अपनी बीन बांसूरी लेकर खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।

अब दरबार की यात्रा… दीदी चिंतित

पर्यटन मंत्री उषा दीदी के लिए इस बार महू विधानसभा आसान रहने वाली नहीं है। वे भी यहां पर बोल चुकी है कि वह यहां आना नहीं चाहती थी। इधर एक बार फिर कांग्रेस ने अंतरसिंह दरबार को ही चाबी देने का निर्णय ले लिया है और वे यहां पर कलश यात्रा और जनजागरण यात्रा शुरु कर चुके हैं वे दो चुनाव हार चुके हैंपरंतु अब उन्हें लग रहा है कि इस बार वे जीत जायेंगे क्योंकि उनसे नाराज रहने वाले तमाम दूसरे कांग्रेस नेता अब उनके साथ आ गये हैं। इसलिए लड़ाई अब आसान उनके लिए हो जायेगी परंतु उषा दीदी के लिए कठिन होगी। हालांकि वे क्षेत्र क्रमांक 1 जिसका अभी कोई घनी घोरी नहीं है उस पर अपनी नजरें टिकाये हुए हैं। और वे जहां नजरे टिका देती है वहां फिर हां…

शहर में राजनैतिक तीरथ महोत्सव शुरू…

चुनाव में अभी दस महीने का समय बाकी है परंतु लग रहा है शहर के तमाम नेता नौ महीने के पहले ही चुनावी प्रसव पीड़ा शुरु होने का इंतजार करने के बजाए काम पर लग गये हैं। हो यह रहा है कि पिछले दिनों आकाश बाबू ने अपने क्षेत्र की महिलाओं को महाकाल लोक के दर्शन करवा दिये। दूसरा लाट अभी जाने की तैयारी में है तो इधर इन सब मामलों में महागुरु कहलाने वाले दादा दयालु ने भी देवदर्शन का ऐलान कर दिया है। अब दादा के क्षेत्र से पांच हजार महिलाओं को ओंकारेश्वर ले जाने की तैयारी शुरु की जा चुकी है। इसके लिए सौ बसें लगाई जायेगी। बड़े अंतराल से अपनी जीत को बरकरार रखने के लिए और चौथी पारी को साधने के लिए उन्होंने नये सिरे से अपने समीकरण बनाना शुरु कर दिये हैं। अब वे ज्योतिबाबू से भी तालमेल बैठा चुके हैंगणित ऐसा है कि ज्योतिबाबू भी लंबे समय से दादा दयालु के दरवाजे तक दाने डाल डालकर आ रहे है परंतु आधे रास्ते से ही वे वापस लौट जाते हैं। अब दादा दयालु को ज्योतिबाबू का साथ भी मिल गया है। इधर क्षेत्र क्रमांक 1 में भी धार्मिक यात्राएं शुरु हो चुकी है। संजू बाबू अयोध्या के बाद अब कहां ले जाना है इसकी तैयारी में लग गये हैं तो दूसरी ओर न इधर के न उधर के रहने वाले कटी पतंग अब कमलेश खंडेलवाल टिफिन पार्टी के बाद पतंगबाजी कर रहे हैं वे भी एक नंबर में पलीता लगाने के लिए तीरथयात्रा पर ले जने की तैयारी कर रहे है। उन्हें लग रहा है कि इससे सबको सदबुद्धि आ जायेगी और वे उनके कहे अनुसार चलेंगे। इधर पूरे क्षेत्र में जातिवाद का गणित भी चलाया जा रहा है। ब्राह्मण यादवों को साधने में लगे हैं तो यादव ठाकुरों को तो ठाकुर वैश्य को पता नहीं कौन किसको साध रहा है। पर यह तय है कि मुख्यमंत्री के तीर्थदर्शन से पहले मतदाताओं को लोंग मथर मथर कर खिलाने के साथ अपने दर्शन बरकरार रखने की तैयारी जरुर चल रही है, वर्ना सुदर्शन तो है ही…।

एक ही म्यान की तलवारें
भिड़ गई…
भारतीय जनता युवा मोर्चा के लिए दुर्भाग्य कहा जाये या सौभाग्य मोर्चा के नगर अध्यक्ष भी चार नंबर विधानसभा से है और नगर प्रभारी भी चार नंबर से ऐसे में लग रहा था कि चार नंबर में संगठन की ताकत दुगनी हो जायेगी। परंतु अब उल्टा हो गया है। चार नंबर में मोर्चे के दो फाड़ दिखाई देने लगें है मोर्चा अध्यक्ष सौगात मिश्रा जहां अपने स्तर पर टीम बनाने के लिए जोड़ जुगाड़ लगा रहे हैं तो वहीं नगर प्रभारी बने एकलव्य गौड़ अपने समर्थकों को स्थापित करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। म्यान एक ही है और तलवारे दो हो गई है। समझ नहीं आ रहा है म्यान बचेगी या तलवारें। हालांकि एकलव्य गौड़ ने अपने समर्थकों को मंडलों में अध्यक्ष तो बनवा लिया है अब वे महामंत्री और उपाध्यक्ष भी बनवाने के लिए सारी ताकत लगवा रहे हैं। इधर सौगात मिश्रा हर घाट पर जाकर अपना दुखड़ा रो चुके हैंअबयह देखना होगा कि युवा मोर्चा चुनावी मोड में रहेगा या फिर म्यान में घुसने को लेकर लड़ता रहेगा।

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