गुस्ताखी माफ़-बड़ी क्या छोटी भी नहीं हो पाईं…फोटोजीवी अधिकारी…

बड़ी क्या छोटी भी नहीं हो पाईं…
भाजपा के इंतजार कर रहे तमाम नेता अब यह समझ गए हैं कि भाजपा की रीति-नीति में रेवड़ी अब और उलझती जा रही है। नए-नए इंदौर के प्रभारी बने मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अपने पहली बार इंदौर अवतरित होने के चंद घंटे बाद ही तेवर और कलेवर दिखाते हुए दावा किया था कि सात दिन में छोटी-छोटी समितियों पर कार्यकर्ता नियुक्त हो जाएंगे। कार्यकर्ता ये पता लगा रहे हैं कि उनका एक दिन कितने महीने के बराबर होता है तो दूसरी ओर सरकार बनाने की कवायद में मामाजी ने ऐसी रेवड़ी इंदौर में भाजपा नेताओं को बांटी कि न तो वे खा पा रहे हैं और ना ही निकाल पा रहे हैं। करीब-करीब छह से अधिक नेता जो सांवेर में पेलवान को चुनाव जिताने के लिए उतारे गए थे, वे अभी तक उतर नहीं पाए हैं। एक लाल लाइट की तमन्ना में हर दिन शहर में दस से पंद्रह लाल लाइट देख रहे हैं। जो भी हो, अब तो आस निराश भई। लगता है नियुक्तियों का इतिश्री रेवाखंडे अध्याय समाप्त।
आ गया गुस्सा…
गौरव बाबू को भी गुस्सा आता है। आना भी चाहिए। पार्टी ऐसों-ऐसों को दे रही है, कैसों-कैसों को दे रही है और उन्हें बस केवल अध्यक्ष पद दे रखा है। वह भी समय पूरा होने पर अब जाता दिखाई दे रहा है। ऐसे में गुस्सा आना जायज भी है। पिछले दिनों युवा मोर्चा द्वारा गंगवाल बस स्टैंड पर मैराथन दौड़ का आयोजन रखा गया था। कार्यक्रम में महापौर और कविता पाटीदार पहुंच गई थीं तो युवा मोर्चा नेताओं ने कार्यक्रम शुरू करवा दिया, पर नगर अध्यक्ष रास्ते में थे। जब वे आए तो कार्यक्रम शुरू हो चुका था। गौरव बाबू नाराज हो गए और फिर उन्होंने कार्यक्रम में पैर भी नहीं रखा। वहीं से कार से वापस लौट गए।
कथनी और करनी…
कांग्रेस में कहने और करने में बड़ा फर्क है। पिछले दिनों कमलनाथ इंदौर के वरिष्ठ अभिभाषक अजय बागड़िया को नियुक्त कर गए कि वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के प्रकरणों को देखेंगे, साथ ही पार्टी के विधि मामले में भी सहयोग देंगे। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस के सचिव राकेशसिंह ने इन दिनों एमपीसीए की टिकटों की कालाबाजारी को लेकर उच्च न्यायालय में प्रकरण दर्ज कर रखा है। इस प्रकरण में अजय बागड़िया, सिंधिया की ओर से पैरवी कर रहे हैं, यानी कहने और करने में क्या फर्क है, उन्होंने बता दिया है।
क्या कारण है…
सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोल रहे डॉ. आनंद राय इन दिनों जेल में बंद हैं, परंतु उनका रुतबा अभी भी बरकरार है। जेल में बंद रहने के बाद भी उन्हें उनके पद से निलंबित नहीं किया गया है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने भी मौन धारण कर रखा है।
फोटोजीवी अधिकारी…
पिछले दिनों प्रवासी सम्मेलन में आने वाले अतिथियों की आवभगत पर जिला प्रशासन ने एक एसडीएम और तहसीलदार को यहां का जिम्मा सौंपा था। जिम्मा मिलते ही वे इस विमानतल पर कुलांचे भरने लगे। हालत यह थी कि कुमारमंगलम से लेकर अडाणी तक के साथ वे धड़ाधड़ फोटो खिंचवा कर इस्टाग्राम पर ठोकते रहे। फोटोजीवी होने के कारण इसके पूर्व भी पूर्व निजाम ने उनकी एक बार आरती भी उतार दी थी, परंतु मौका मिलने पर वे फिर मैदान में उतर गए। वह तो बस नहीं चला, नहीं तो प्रधानमंत्री के साथ भी चर्चा करते हुए चार फोटो डाल देते।
-9826667063

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