पुराने आधार पर दी अनुमति से बिल्डर करोड़ों से नहा गये

45 रियल स्टेट प्रोजेक्ट को राहत देने में बड़ा खेल

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इंदौर। शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में नये और पुराने नियमों के बीच रियल स्टेट के ४५ प्रोजेक्ट को भोपाल से वापस इंदौर के लिए भेज दिया गया है। अब इन सभी प्रोजेक्ट में पुरानी अनुमति के आधार पर ही कार्य किया जा सकेगा। इन सभी प्रोजेक्ट को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी। इन सभी प्रकरणों को शासन ने धारा १६ के प्रावधान के तहत भोपाल भेजा था। इनमे कई प्रोजेक्ट दस एकड़ से कम के भी थे। वहीं मास्टर प्लान के तहत शामिल किए गए ७९ गांव के भी प्रोजेक्ट इसी दायरे में आ गये थे। सवाल उठ रहा है कि आखिर दो साल बाद इन्हें जब अनुमति देना ही थी तो रोका क्यों गया? इन सभी प्रोजेक्ट में जो ग्रामीण क्षेत्र में है उसमे टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से जब नक्शे पास किये गये थे तब ग्रामीण क्षेत्र की योजनाओं में सड़क की चौड़ाई सात मीटर मान्य थी जबकि प्लानिंग एरिये के कारण नई योजना में ९ मीटर की सड़क के अनुसार नक्शे पास होते। इससे बिल्डरों को करोड़ों का नुकसान होता। पिछले छह माह से इन उलझे हुए प्रोजेक्टों को लेकर बड़े लेनदेन किए जाने को लेकर बिल्डरों ने इंदौर भोपाल एक कर रखा था। इन सभी प्रोजेक्ट में अभी चार हजार रुपए स्के.फीट के भाव और इस हिसाब से पुराने नियमों में हर प्रोजेक्ट पर पांच करोड़ अस्सी लाख के प्लाट बिल्डर को वापस सुरक्षित मिल गये है। indore real estate latest news in hindi

उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्र में पूर्व से प्रावधान था कि वहां पर बनने वाले प्रोजेक्ट में ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के प्लाट बिल्डर को देना ही पड़ेंगे। इसके बदले में पैसा जमा नहीं कर सकते। दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में गरीबों के लिए बनने वाले ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के बदले में पैसा जमा किए जाने का प्रावधान था, लेकिन इंदौर जिले में ग्रामीण क्षेत्र में नियमों के विपरित जाकर ईडब्ल्यएस और एलआईजी के लिए शहरी क्षेत्र की तरह ही बिल्डरों से पैसा जमा करवाकर उनकी जमीन मुक्त की जा रही थी। जबकि एक्ट में प्रावधान नहीं था।

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तात्कालिन कलेक्टर मनीष सिंह के कार्यकाल में लगभग ३० से ३५ प्रकरणों में पैसे जमा हो गये और विकास अनुमति जारी हो गई। इस बीच तात्कालिन कलेक्टर मनीष सिंह के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने सभी को दी गई विकास अनुमति स्थगित कर दी। इस मामले में मुख्य रुप से गलती टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों की ही रही उन्होंने नक्शा लगाते समय दिये गये आप्शन को दरकिनार कर बिना एनओसी के ही नक्शे पास कर दिये जबकि विधान अनुसार नक्शे पास नहीं हो सकते थे। इस मामले में मनीष सिंह ने चि_ी लिखकर कड़ा एतराज जताते हुए नक्शे स्थगित कर संशोधित नक्शे पास करने के लिए नगर नियोजन विभाग को पत्र लिखा। इसके बाद यह सभी ४५ प्रोजेक्ट के बिल्डरों ने पुराने आधार पर ही अपने नक्शेनिकालने का प्रयास शुरु कर दिया। land mafia indore

इसके बाद यह मामला भोपाल पहुंच गया इस बीच चार बिल्डरों ने अपने नक्शे निरस्त करवाकर नये नक्शे पास करवा लिये। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्र में ईडब्ल्यूएस, एलआईजी के प्लाट बायपास पर पांच सौ रुपए में ही बेचे जा सकते थे। इधर जमीन के पैसे देकर यहां पर चार से पांच हजार रुपए के भाव से हर दस एकड़ में १४५०० स्के.फीट जमीन बिल्डरों ने बचा ली। इसके अलावा धारा १६ के नये नियम में सड़क की चौड़ाई प्लानिंग एरिये के हिसाब से ९ मीटर होकर ही नक्शे पास होना थे जबकि पुराने नक्शे ग्रामीण क्षेत्र की सड़क की चौड़ाई सात मीटर के हिसाब से पास हो चुकी थी। यानि दो मीटर जमीन जो पूरे प्रोजेक्ट में सड़क की चौड़ाई में जा रही थी वह भी बच गई। यानी हर बिल्डर को एक सामान्य आकलन के अनुसार भी दस एकड़ की टाउनशिप में ५५ प्रतिशत प्लाट एरिया निकालने के बाद पुराने आधार पर दो से तीन करोड़ रुपए अतिरिक्त मिल रहे हैं और इसीलिए भोपाल में इन बिल्डरों ने सरकार और प्रशासन में बैठे नये पदस्थ हुए राजा हरिशचंद्रों से संपर्क के लिए पिछले छह माह में पूरा जोर लगा दिया। शर्त यही थी कि पुराने आधार पर ही नक्शे यथावत रखे जाए। अंतत सभी ४५ प्रोजेक्ट जिनमे दस एकड़ से कम के भी तीस के लगभग प्रोजेक्ट थे उन सभी को हरी झंडी मिल गई।

25 करोड़ की रेवड़ी भोपाल में बंटी

बिल्डर इंदौर से जुड़े मंत्रियों के साथ इस मामले में दो और मंत्रियों से लगातार संपर्क बनाते रहे और उन्हें बताया कि दोनों मनीष सिंह के कार्यकाल मेंअकारण ही इन्हें उलझाया गया है। इंदौर के तात्कालिन कलेक्टर मनीष सिंह और भोपाल में बैठे प्रमुख सचिव मनीष सिंह ने इन सभी नक्शों पर नये प्रावधान में ही कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया था। परंतु निजाम बदलते ही पुराने आधार पर ही इन सभी को स्वीकृति जारी की है। सवाल उठ रहा है कि जब पुराने आधार पर ही इन्हें अनुमति देना थी तो दो साल से इन प्रोजेक्टों को क्यों उलझाया गया। indore real estate latest news in hindi

अब धारा 16 में होंगे नये नक्शे पास

ग्रामीण क्षेत्र में टाउनशिप के नये प्रोजेक्ट के लिए कम से कम दस एकड़ जमीन पर ही कॉलोनी बसाई जा सकेगीऔर यह सभी प्रोजेक्ट दस एकड़ से कुछ कम के ही है। नये नियमों में छोटी कॉलोनियां अब नहीं बस पायेगी। इन सभी को धारा १६ के आने से पहले के आधार पर ही मंजूरी देते हुए इंदौर नगर नियोजन विभाग को सभी ४५ प्रकरण वापस सौंप दिये गये हैं। प्लानिंग एरिया में आये ७९ गांवों में अब दस एकड़ से कम के प्रकरण नये सिरे से अनुमति के लिए लगाने होंगे। वहीं अब ईडब्ल्यूएस एलआईजी के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में नक्शे पास हो सकेंगे।

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