सुलेमानी चाय-मेरी इफ्तारी आप का रोजा, मतलब बिना खर्चे की दावत….खजराने तालाब का पानी पी गए पटेल, बा……खुद को महफूज़ नहीं रख पा रहे पठान

मेरी इफ्तारी आप का रोजा, मतलब बिना खर्चे की दावत


इंदौर शहर के खजराने की बात ही कुछ निराली है, बुरे दौर में यहां कई अच्छे काम भी होते है, तेरवे रोजे पर यहाँ एक बहुत अच्छी पहल की गई, मेरी इफ्तारी आपका रोजा, बिना खर्चे की इस दावत में पूरे शहर को खुली दावत थी, नफरतो के वक्त मोहब्बतो की यह कोशिश कामयाब रही, मसरूफियत की वजह से जो लोग पास रह कर भी नही मिल पाते थे उन्हें गले लगाने का अच्छा वक्त मिला, शहर के हर धर्म, ओर हर तबके ने इसमें शिरकत की,मतलब के समय ऐसी बेमतलब ओर बेलोच मोहब्बत के लिए हिदायत की जितनी हिमायत की जाए कम है, ऐसे कामयाब आयोजन पर निनाद, ओर सिलसिला यारी को एक सलाम तो बनता है।
खजराने तालाब का पानी पी गए पटेल, बा


खजराना रिंग रोड से लगे तालाब जो कि आठ दस साल पहले लगभग 9 एकड़ में फैला हुआ था उसे खजराने के सदाबहार हीरो, देव आनंद, और पटीदार समाज की मेहरबानी ने अब 5, 6 एकड़ तक सीमित कर दिया है, पटेल बा तो बकायदा एस्ट्रा लगा कर पानी पी पी कर डकारे ले रहे है और करोड़ों की मिल्कियत होने के बाद भी एक छोटा सा गॉर्डन अपनी जद में लेना चाह रहे है, कहते है ना जर, जोरू, ओर जमीन से कभी दिल नही भरता।
खुद को महफूज़ नहीं रख पा रहे पठान


बीजेपी की सियासत में अल्पसंख्याक बिरादरी में महफूज पठान बड़ा नाम है, लंबे अरसे से बीजेपी का झंडा थामे चल रहे पठान मैं सियासी सलाहियत तो बहुत है, लेकिन कहीं ना कहीं माली सलाहियत की कमी की वजह से उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है, पठान की एक ओर कमजोरी रही है, वह हमेशा एक नेता के तंबू में ज्यादा देर नहीं टिक पाते जिससे की हर बार उनके नाम के आगे कैंची चला दी जाती है, पठान के पास अच्छी टीम तो है ही, इसी के साथ शहर के अल्पसंख्यक नेताओं की जन्त्रीयो का भी अच्छा कलेक्शन है, कब किसे कहा ठिकाने लगाना है पठान अच्छे से जानते हैं लेकिन ठिकाने लगाते लगाते कभी कभी पठान भी ठिकाने पहुँच जाते है। जिसका सबूत अल्पसंख्यक नगर अध्यक्ष पद की दौड़ से एक मजबूत घोड़े को बाहर कर देना है।
दुमछल्ला
चंदन नगर थाने के नूरे नजर बन रहे पूर्व पार्षद
चंदन नगर के पूर्व पार्षद फिलहाल राजनीति से दूर और थाने के करीब नजर आ रहे हैं, एनआरसी के दौर में इन्होंने थाने में कई नाम लिखवा कर अपनी कुर्सी थाने में लगवा ली थी, जो आज भी कायम है, चुगल खोरी की आदत से जहां हाल ही में इन्हें एक पार्षद ने दूर बैठा दिया है, वही ये आदत इन्हें पुलिस कर्मियों का नूरे नजर बनाए बैठी है, इनकी इस कलाकारी से किसे फायदा और किसे नुकसान होगा यह तो यही बेहतर जाने, नाम जानने के लिए हमें फोन ना लगाएं खुद ही पता करें, अब हम सारे नाम रमजान बाद ही बताएंगे।
-9977862299

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