भू-माफियाओं पर सख्ती के साथ संवेदनायुक्त प्रशासन की पहचान रहेंगे मनीषसिंह

3 हजार करोड़ की जमीनें मुक्त करवाई, सैकड़ों लोगों को भूखण्ड मिले, हड़पे मकान बुर्जुगों को दिलवाए

मनीषसिंह
मनीषसिंह

इंदौर। जिला कलेक्टर मनीषसिंह अब एक बार फिर शहर के विकास की कमान औद्योगिक विकास निगम और मेट्रो रेल कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक के रूप में संभालेंगे। कलेक्टर के रूप में मनीषसिंह का कार्यकाल कई मायनों में याद है। वे संवेदनायुक्त प्रशासन चलाने के लिए भी पहचाने जाएंगे तो सख्त प्रशासनिक अधिकारी के रूप में भू-माफियाओं के खिलाफ चलाए अभियान में उन लोगों के लिए तारणहार के रूप में जाने जाएंगे। जिन्हें यह लगता था कि उन्हें उनकी मेहनत से कमाए से पैसों से खरीदे भूखण्ड मिलना संभव नहीं है।

वहीं 600 एकड़ से ज्यादा जमीन माफियाओं से मुक्त करवाकर उन्होंने नया रिकार्ड रच दिया। कोरोना काल में उन्होंने शहर को अधिक से अधिक सामान्य हालत में लाने के लिए 24 घंटों काम किया। साथ ही मकानों पर किए गए कब्जों को मुक्त करवाकर बुर्जुगों को देने वाला अभियान उन्होंने पूरी ईमानदारी से करवाया।

कलेक्टर के रूप में मनीषसिंह मनोज श्रीवास्तव के बाद अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे। सख्त प्रशासन के साथ उन्होंने इस शहर में व्यवस्था पर कानून का भय कैसा होता है यह बता दिया? शहर में कई दिग्गज जो इस शहर को अपनी जागीर समझते थे और उन्हें लगता था कि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। ऐसे तमाम लोग व्यवस्था के बजाय अब कानून का भय देखने लगे। उनके कार्यकाल में 100 से अधिक ऐसी संस्थाओं में भूखण्ड आम लोगों को मिले है जिनके दरवाजे पर जाने से पहले आदमी 4 बार सोचता था। दूसरी ओर 3 हजार करोड़ से ज्यादा की जमीनें मुक्त कराने का अभियान भी उन्होंने अपने दम पर पूरा किया।

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वहीं सरकारी जमीनों पर हो रहे कब्जों को उन्होंने रोक कर जमीनों का सीमांकन करवाया। इस बीच राजस्व के क्षेत्र में उनके सुधार भविष्य में आने वाले अधिकारियों के लिए एक मॉडल बनेंगे। वृद्धों के मकानों पर कब्जे को भी उन्होंने मानवीय आधार पर खाली करवाकर दिलाया। इंदौर के आर्केस्ट्रा के मशहूर आर्टिस्ट चटर्जी को उन्होंने पुनर्वास करवाया। इस बीच कोरोना महामारी के दौरान उनकी भूमिका सदैव याद रहेगी। वे कोरोना मरीजों के बीच जाने वाले पहले अधिकारी थे तो दूसरी ओर उन्होंने उस महामारी के दौरान कई घंटों लगातार काम करने का भी रिकार्ड बनाया।

इस बीच इंदौर में लागू हुई पुलिस कमिाश्नरी में उन्होंने तालमेल का वातारण बनाकर बिना टकराहट कामों का विभाजन भी किया। मनीषसिंह का कार्यकाल आम लोगों के अलावा भूमाफियाओं के लिए भी यादगार रहेगा। कई माफियाओं को अपनी जमानत के लिए उच्चतम न्यायालय तक दौड़ना पड़ा। साथ ही भूखण्डों का आवंटन उन्हें करना पड़ा। यह बात जरूर रही कि उनके कई राजनेताओं से रिश्ते बेहतर नहीं रहे। इसके पूर्व निगमायुक्त के कार्यकाल में भी वे अपनी पहचान शहर को स्वच्छता का पहला तमगा दिलाने वाले अधिकारी के रुप में याद किए जाते है। उन्हे इस शहर के स्वभाव को बदलने के लिए भी हमेशा याद किया जाएगा। दोपहर परिवार आशा रखता है कि वे नए क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा से पहचान बनाएंगे।

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