400 करोड़ की सड़कें अधूरी, न हॉकर झोन बने न संजीवनी क्लीनिक खुलें

महापौर के पदभार ग्रहण के 90 दिन, सभी घोषणाएं फेल

इन्दौर (pushyamitra bhargav)। शहर सरकार को बने हुए 4 माह का समय होने को है और महापौर पुष्यमित्र भार्गव के शपथ व पदभार के भी 3 माह बीतने वाले हंै मगर जो घोषणा महापौर ने की थी उस पर अधिकारी अमल नहीं कर रहे हैं। हर दिन पौधे लगाने, पर्यावरण की रक्षा जैसे वादे वे भूल गए है। 6 अगस्त को पदभार संभालने के बाद अगले 3 माह में वे शहर में जनता के हित में कई काम कर देंगे, यह बात उन्होंने कही थी।

मगर इस बीच 400 करोड़ रूपये की कई सड़कों को पूरा करने के साथ पार्किंग, यातायात, पेयजल, हाकर्स झोन, संजीवनी क्लीनिक, गरीबों के लिए मकान, वायु गुणवत्ता, पुल पुलिया जैसे काम गिनाऐ थे, मगर इनमें से अधिकांश काम जहंा अधूरे हैं वहीं खुदी सड़कों के कारण लोग परेशान हैं। हॉकर्स झोन न के बराबर बने हैं जबकि संजीवनी क्लीनिक की शुरूआत भी नहीं हुई है। एमजी रोड को पूरा करने के लिए और समय बढ़ा दिया गया है।

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कोर्ट के आदेश पर ढाई साल देर से नगर निगम चुनाव संपन्न कराए गये और जोरशोर के साथ भाजपा ने पांचवी बार शहर में सरकार बनाई। चुनाव के दौरान नेताओं ने जनता को खूब सपने दिखाए। इसके बाद जब महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने शपथ तो उन्होनें हर पौधा लगाने, निगम में जनता से मिलने, वायु प्रदूषण रोकने, सुरक्षा जैसे बिंदुओं पर शपथ ली और सभी को दिलाई थी,मगर अब स्वयं महापौर ही इलेक्ट्रिक गाड़ी से नहीं घूम रहे हैं, न ही पौधा लगा रहे हैं।

शहर विकास के जो दावे किये गये थे उनकी भी हवाइयां उड़ रही है। भ्रष्ट और कामचोर अधिकारी एक तरह से महापौर को झूठे दिलासे ही दे रहे हैं। सड़क, पानी, हरियाली, सफाई, पांिर्कग, यातायात जैसे मुद्दों पर शहर की सरकार एक तरह से फेल हो गई है।

ठेलेवालों का सड़क, फुटपाथ पर कब्जा

हर झोन में हॉकर झोन बनाने के लिए भी महापौर ने घोषणा की थी, मगर एक दो झोन में ही यह काम हुआ है जबकि पूरे शहर में सब्जी, फल के ठेलेवाले सड़कों पर ही अपनी रोजी रोटी के लिए काम कर रहे हैं। निगम के कर्मचारी इन्हे परेशान भी करते रहते हैं। चुनाव के पहले फुटकर दुकानदारों को कई सुविधाएं देने के वादे किये गये थे मगर सारे वादे अब भुला दिये गये हैं। पूरे शहर में 1 लाख से अधिक ठेलेवाले अलग अलग व्यवसाय कर रहे हैं। सरकार की नीति अनुसार लोगों को सस्ता इलाज देने के लिए हर वार्ड में संजीवनी क्लीनिक खोलने के दावे भी हुए थे मगर किसी भी वार्ड में अब तक एक भी क्लीनिक नहीं खुला है। अधिकारी अभी भी जगह ही तलाश रहे हैं। गरीब मरीज सरकारी अस्पतालों में कई कई दिनों तक इलाज के लिए परेशान होते रहते हैं। निजी में इलाज करवाने की उनकी हैसियत नहीं होती है। वैसे भी निजी अस्पताल लूटते ज्यादा हैं।

सबसे बड़ी समस्या यातायात की

शहर में पार्किंग व यातायात की समस्या सबसे बड़ी है। लोग हर दिन सुबह से शाम तक सड़कों चौराहों पर जाम में परेशान होते रहते हैं। जाम में फंसकर समय और इंधन की बर्बादी होती रहती है। चौराहों सड़कों पर अतिक्रमण कब्जे के कारण वाहनचालकों को परेशानी होती है। फुटपाथ से कब्जे नहीं हटाए जाते हैं। सड़कों पर वाहन खड़े रहते हैं। निगम की मोबाइल कोर्ट भी लंबे समय से बंद पड़ी है। बाजारों में मल्टीलेवल पार्किंग बनाने की बात कहीं गई थी मगर अब तक कोई काम नहीं हुआ। पुरानों को संचालन भी ठीक से नहीं हो रहा है। हर दिन वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है और सड़कों पर जाम भी बढ़ रहा है। निगम के साथ पुलिस विभाग की भी लापरवाही इसमें होती है ( pushyamitra bhargav)

एमजी रोड अभी भी खुदा पड़ा

स्मार्ट सिटी योजना के तहत करीब 40 करोड़ रूपये की लागत से एक साल से बनाई जा रही सड़क की समय सीमा तीसरी बार बढ़ा दी गई। जून में इस सड़क को पूरा हो जाना था मगर अधिकारियों व ठेकेदार कंपनी की लापरवाही से दीपावली जैसा बड़ा त्यौहार भी बीत गया और राजबाड़ा व आसपास के व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा। इसी तरह 400 करोड़ की अन्य सड़कें जिनमें आरई 2, खंडवा रोड, एमआर 3, एमआर 5, जैसी सड़कों को पूरा होने में अभी महीनों का समय लगेगा। महापौर को अधिकारी हर बैठक में कोई न कोई बहाना बताकर बच जाते हैं। इसके अलावा कई पुल पुलिया का काम भी धीमी गति से चल रहा है।

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