विकास अपार्टमेंट गृहनिर्माण संस्था: माफियाओं ने अभी भी दबा रखी है 20 एकड़ जमीन

नियमों के विपरित एक ही जगह के दो अविन्यास पास कर स्कूल को औने-पौने बेचना बताया

विकास अपार्टमेंट गृहनिर्माण संस्था
विकास अपार्टमेंट गृहनिर्माण संस्था

इंदौर (विशाल शर्मा)।

(विकास अपार्टमेंट गृहनिर्माण संस्था) एक ओर जहां जिला प्रशासन गृहनिर्माण संस्थओं की गलत तरीके से भूमाफियाओं को बेची गई जमीनों को लेकर सख्त कार्रवाई शुरु कर रही है।

श्रीराम गृहनिर्माण और हीना पैलेस की बीस एकड़ जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई को लेकर एसडीएम ने सहकारिता विभाग को पत्र जारी कर दिया है तो दूसरी ओर अभी भी कई पुरानी संस्थाओं में इसी प्रकार से नियमों के विपरित जाकर जमीने बेचने का कारोबार गृहनिर्माण संस्थाओं द्वारा किया गया है।

इसमे विकास अपार्टमेंट गृहनिर्माण सहकारी संस्था भी शामिल है। जिन्होंने लगभग दस एकड़ जमीन माफियाओं को बेच रखी है। यह जमीन अभी भी खाली पड़ी हुई है।

 

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यह जमीन विवादों में आ गई है। इसकी कीमत लगभग तीन सौ करोड़ से ऊपर बताई जा रही है। अभी इस जमीन पर धर्मेन्द्र पिता कन्हैयालाल और राजेश पिता लक्ष्मणभाई बखतरिया का कब्जा बना हुआ है। धर्मेन्द्र जैन इंदौर के जमीन कारोबारी योगेंद्र जैन के छोटे भाई है।

सहकारिता विभाग के सूत्रों का कहना है कि विकास अपार्टमेंट गृहनिर्माण सहकारी संस्था में घपलों की बड़ी श्रेणी उजागर हो चुकी है। इस मामले में पूर्व संचालक जेल भी भेजे जा चुके हैं।

इसमे प्रमुख रुप से विकास पिता हेमंत जैन और बापूराव पांडूरंग मेहेसे, दीपक शेषराव मेहेसे, कृष्णकांत पिता टीकमदास नागर जिन्हें गोटिया नागर भी कहा जाता है।

इन्हीं के द्वारा इसी संस्था की एक बड़ी जमीन नियमों के विपरित जाकर एसएम मीर पिता फौलाद हुसैन मीर को भवंस प्रोमिनेंट एजुकेशन इंस्टीट्यूट को भी मात्र दस हजार रुपए में साढ़े नौ एकड़ जमीन वर्ष २००३ में बेची थी। जबकि उस वक्त भी जमीन २० करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत रखती थी।

सदस्यों की बिना अनुमति इस जमीन को बेचा गया है। इस जमीन पर संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा इसी जमीन का दूसरी बार अविन्यास पास कर दिया था। जबकि इसके पूर्व में सदस्यों के भूखंडों को लेकर अविन्यास स्वीकृत हो चुका था।

सहकारिता विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार विकास अपार्टमेंट गृहनिर्माण संस्था की ग्राम पिपल्याकुमार स्थित हल्का नंबर १७ राजस्व निरिक्षण नंबर १ विकासखंड की भूमि भूपुस्तिका क्रमाक ३७७९६ के माध्यम से रजिस्टर्ड नंबर १बी/१३३९/९० खसरा नं ७१,७१/१/१, ८७/३/८८/३ रकबा १.२००, ०-००१, ०-३३६ की भूमि को संस्था के कृष्णकांत नागर द्वारा बेच दी गई। जबकि इसका भूमि परिवर्तन भी हो चुका था।

सर्वे क्रमांक की भूमियां अर्बन लैंड सिलिंग एंड रेग्युलेशन एक्ट १९७६ की धारा (११) १ एवं ११(६) के प्रावधान के तहत सहकारी संस्थाओं को मुक्ति दी गई थी। संस्था द्वारा इस धारा का दुरुपयोग किया गया। आज भी यह जमीन भूमाफियाओं के कब्जे में है और पूरी तरह खाली पड़ी हुई है।

(विकास अपार्टमेंट गृहनिर्माण संस्था)

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