sayaji hotel indore: सयाजी होटल का मामला फिर हाईकोर्ट पहुंचेगा

जांच कमेटी की रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई, जांच कमेटी के मुखिया पर चल रही है लोकायुक्त की जांच

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sayaji hotel indore इंदौर (शार्दुल राठौर)। सयाजी होटल लीज निरस्ती मामले में इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट चार महीने बाद भी सामने नहीं आई है। इस बीच सयाजी होटल मामले को एक बार फिर से हाईकोर्ट में ले जाने की बात सामने आ रही है। लीज निरस्ती और अवैध निर्माण तोड़ने का मामला इंदौर विकास प्राधिकरण फिर हाईकोर्ट ले जा रहा है। कोर्ट का आदेश मिलते ही अवैध निर्माण तोड़ने की कारवाई की जाएगी। वहीं जानकार प्राधिकरण की जांच कमेटी के मुखिया पर भी सवाल उठा रहे हैं।

विकास प्राधिकरण के अधीक्षण यंत्री ज्ञानेंद्र सिंह जादौन को जांच कमेटी में रखा गया था, जिन पर पहले ही सयाजी होटल को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं और मामला लोकायुक्त में दर्ज है। वर्ष 2021 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लीज कंपाउंडिंग के नए नियम जारी किए गए और इन्हीं नियमों का हवाला देते हुए इंदौर की होटल सयाजी प्रबंधन द्वारा हाईकोर्ट में चल रही अपील में मांग की गई की है।

अब जब नए नियम आ गए हैं तो हमें भी कंपाउंडिंग की इजाजत दी जाए, जिस पर हाईकोर्ट ने प्राधिकरण को कंपाउंडिंग आवेदन पर निर्णय देने हेतु निर्देशित किया था। प्राधिकरण द्वारा नगर तथा ग्राम निवेश विभाग को एक पत्र लिख अभिमत भी मांगा गया, जिसके जवाब में टीएनसीपी द्वारा कहा गया कि अगर सयाजी होटल प्रबंधन भूमि को अपने पूर्व स्वरूप में ला सकता है और वहां बने निर्माण को हटा सकता है तो ही कंपाउंडिंग की जा सकती है।

 

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प्रबंधन ने किया दावा- वहीं सयाजी प्रबंधन द्वारा दावा किया जा रहा है की सभी रजिस्ट्रियां भी वापस प्रबंधन द्वारा अपने पक्ष में की जा चुकी है, लेकिन अभी तक इसके साक्ष्य भी इंदौर विकास प्राधिकरण में नहीं दिए गए हैं। इस मसले को सुलझाने और सयाजी होटल पर कार्रवाई के लिए प्राधिकरण ने मई माह में एक जांच कमेटी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है। हालांकि, प्राधिकरण के अफसर ये जरूर कह रहे हैं की जांच पूरी हो गई है। रिपोर्ट के आधार पर प्राधिकारण ने कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर ली है।

अभी कोई निर्णय नहीं- लिहाजा प्राधिकरण को जब तक कोर्ट आदेश स्पष्ट नहीं होते हैं, तब तक इन विवादित और चर्चित संपत्तियों को संबंध में इंदौर विकास प्राधिकरण उचित निर्णय नहीं ले पाएगा, क्योंकि इनमें कई प्रकरण लोकायुक्त जैसी जांच एजेंसियों में भी विचाराधीन है।
तोड़ी जा सकती हैं दुकानें- हालांकि इस विवाद के बीच सयाजी होटल प्रबंधन ने बेची गई सभी दुकानें वापस खरीद कर सभी दुकानदारों को अपना किरायदार बात दिया है, लेकिन इस बार सयाजी की दुकाने टूटने से बचने के लिए यह सब प्रयास नाकाफी साबित होंगे।

प्रबंधन को लाभ पहुंचाने वाले अधिकारी है मुखिया- जांच कमेटी के प्रमुख के रूप में प्राधिकरण के अधीक्षण यंत्री ज्ञानेंद्र सिंह जादौन को रखा गया था, जिन पर पहले ही सयाजी होटल को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप लगे हैं और मामला लोकायुक्त में दर्ज है। उक्त मामले में लोकायुक्त सर्वोच्च न्यायालय तक जा चुका है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी तल्ख टिप्पणी करते हुए आदेश पारित किया था कि इस मामले में भ्रष्टाचार के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं और मामले में पुन: ट्रायल करने का आदेश भी दिया था। इस मामले में प्राधिकरण के ही कुछ अफसर दबे स्वर में कह रहे हंै, जो अधिकारी पहले ही आरोपों की गिरफ्त में है। उसी को सयाजी होटल की कंपाउंडिंग करने हेतु जांच समिति का मुखिया कैसे बनाया जा सकता है।

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इनका कहना है…

सयाजी होटल लीज निरस्ती मामले में प्राधिकरण ने विशेषज्ञों की एक कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर प्राधिकरण नए सिरे से जांच करने के बाद हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखेगा। यह तय माना जा रहा है की 2018 में प्राधिकरण के संशोधित नए प्रावधान से सयाजी मामले में प्राधिकरण का पक्ष मजबूत है और सयाजी प्रबंधन पर कार्रवाई होगी।

-जयपाल चावड़ा, अध्यक्ष, इंदौर विकास प्राधिकरण।

35 दुकानें हैं विवाद का कारण

सयाजी होटल प्रबंधन ने होटल निर्माण के कुछ दिनों बाद होटल के आगे प्लॉट पर दुकान का निर्माण कर अलग-अलग हिस्सों में इन्हें 35 व्यक्तियों को बेच दिया था। इस संबंध में प्राधिकरण को पहले भी शिकायत मिली थी। लीज डीड शर्तों का खुला उल्लंघन है। बेसमेंट में 10, ग्राउंड फ्लोर पर 11 दुकानें और पहली मंजिल पर हॉल सहित कई दुकानें हैं। कुल कंस्ट्रक्शन अनुमति के विपरीत 615 वर्गमीटर है तथा एमआर-10 की पार्किंग में भी शर्तों का उल्लंघन की बात सामने आई है। मप्र ग्राम निवेश के व्ययन नियम 1975 के सेक्शन 29 का भी उल्लंघन बताया जा रहा है।

फिर खोली थी फाइल

प्राधिकरण बोर्ड ने इस मसले पर मई माह में प्राधिकरण, प्रशासन, नगर निगम, मप्र ग्राम निवेश और पीडब्ल्यूडी के अफसरों की एक कमेटी बनाकर नए सिरे से सयाजी लीज निरस्ती की फाइल खोली थी। शहर में प्राधिकरण द्वारा मनी सेंटर और नगर निगम द्वारा नेहरू स्टेडियम की 50 से ज्यादा दुकानें संशोधित अधिनियम के तहत तोड़ी गई थी, इसलिए इस बार यह तय माना जा रहा है कि सयाजी होटल प्रबंधन भी कार्रवाई से बच नहीं पाएगा। हालांकि इनमें प्रकरण कोर्ट में भी चल रहे हैं।

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