शहर में खुल गए कुत्तों के 30 प्रसूतिगृह

नियम विरुद्ध हो रही कुत्तों के बच्चों की बिक्री

इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)।

शहर में कुत्तों के बच्चे अब गली मोहल्लों की सड़कों या तंग गलियों में नही बल्कि प्रसूतिगृह में जन्म ले रहे है। इनके लिए बाकायदा शहर में 30 लोगो ने लायसेंस ले कर ब्रीडिंग सेंटर (प्रसूतिगृह) खोले है। जहां पर देशी विदेशी कुत्तों की प्रसूति करवाई जा रही है। यहां पैदा हो रहे कुत्तों के बच्चों को हजारों से ले कर लाखो रुपए में बेचा जाता है। इनके खरीददार देश भर के कई शहरों से बड़ी संख्या में इंदौर आकर ले जा रहे है।

शहर की जनता में कुत्ते पालने का शोक अब सर चढ़ कर बोल रहा है। शहर में कुत्ता पालना सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा नही बल्कि व्यापार भी बन चुका है इसे देखते हुए शहर में लायसेंस लेकर 30 ऐसे सेंटर खुल गए जहां पर कुत्तों की प्रसूति कराई जाती है। यहां पैदा होने वाले कुत्तों के बच्चों को प्रदेश के अन्य शहरों से भी लोग खरीदने बड़ी संख्या में आते है। शहर में पशु चिकित्सा विभाग से लाइसेंस लेकर 30 जगहों पर कुत्तों की प्रसूति के लिए केंद्र खुल गए है। दैनिक दोपहर की टीम ने इसकी पड़ताल की तो कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आए। कुछ लोगो ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शहर में वेध से ज्यादा तो अवैध सेंटर चल रहे है।

जहां पर बड़ी संख्या में कुत्तों की प्रसूति कराई जा रही है। इन प्रसूति सेंटरों में प्रसूति से पहले ही पिल्लों की बुकिंग हो जाती है। सूत्रों का कहना है कि शहर में संचालित हो रहे इन (प्रसूतीगृह) ब्रीडिंग सेंटरों में से कुछ में नियम कायदों को ताक में रख कर पिल्लों व्यवसाय किया जा रहा है। नियम अनुसार एक साल में सिर्फ एक ही प्रसूति करवाई जा सकती है। जिससे जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ्य रहे। मगर शहर में संचालित हो रहे इन प्रसूतिगृहो में से कुछ नियम का पालन नही कर रहे है। ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर मे यह एक साल में दो बार ब्रीडिंग (प्रसूति) करवा रहे है। इन्ही में से कुछ प्रसूतिगृह के संचालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शहर में तीन गुना से अधिक लोग गैर कानूनी ढंग से यह कार्य कर रहे हैं। यही नहीं कई डाग ब्रीडर और उनके खरीदार ऐसे हैं जो 30 दिन से भी कम उम्र के ही पपी की खरीद फरोख्त कर देते हैं। जबकि 60 दिन से कम उम्र का पपी बेचना व खरीदना कानूनन अपराध है। इस व्यवसाय में विदेशी नस्ल के कुत्तों के इस अवैध कारोबार और कुत्तों की नस्ल व सेहत पर इस वजह से पड़ने वाले दुष्प्रभाव पर भी ध्यान नही दिया जाता है।

इन पर पशु चिकित्सा विभाग ध्यान देता है और न ही नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी। इस विषय मे पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब विभाग ने नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जाएगा। नियमानुसार पपी के जन्म के 30 से 40 दिन के भीतर उसे पहला टीका लगता है जो कि ब्रीडर को ही लगवाना पड़ता है और उसका प्रमाणपत्र भी लेना होता है। जबकि अभी ऐसा नहीं हो रहा है। अस्पताल में टीका लगवाने के लिए ऐसे कई पपी लाए जाते हैं जो 30 दिन से भी कम उम्र के हैं और ब्रीडर ने उन्हें टीका लगवाए बिना ही बेच दिया।

25 हजार रुपये का हो सकता है जुर्माना

पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम के अनुसार 60 दिन से कम उम्र का पपी बेचना गैर कानूनी है। पशु चिकित्सा विभाग के सूत्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति 60 दिन से कम उम्र का पपी खरीदता या बेचता है तो उसे 25 हजार रुपये का अर्थदंड हो सकता है। विभाग गैर कानूनी ढंग से ब्रीडिंग कराने और पपी की खरीद-फरोख्त करने वालों के लिए योजना बना रहा है। कानून के मुताबिक जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा जारी लाइसेंस कुत्तों का ब्रीडिंग सेंटर (प्रसूतिगृह) शुरू करने के लिए जरूरी है ताकि सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स के अधिकारी समय-समय पर इसका निरीक्षण कर सकें। जिससे इन प्रसूतिगृह (ब्रीडिंग सेंटर) पर अनियमितता पाए जाने पर इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 428, 506 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 के तहत अपंग, क्रूरता और अवैध प्रजनन के कृत्यों के लिए प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है।

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