गद्दार नहीं पूजे जाते चाहे कहीं भी जाएं – सत्तन

सिंधिया अपने स्वार्थ के लिए बने दल-बदलू

इंदौर। मुगलों और अंग्रेजों से जिन राजाओं ने समझौता नहीं किया वे आज देश दुनिया में पुजा रहे है और जिन्होंने गद्दारी की उन्हें कोई नहीं पूछता है, वे कलंकित कहला रहे है। महाराणा प्रताप ने मुगलों से दोस्ती नहीं की और देश के लिए वे लड़े थे। जबकि दूसरे राजा गद्दार कहलाए। यही हाल आज देश की राजनीति में भी देखने को मिल रहा है। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए भाजपा में आए है। जबकि उनकी दादी राजमाता सिंधिया ने पार्टी के सिद्धांतों पर काम किया और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी वे टकरा गई थी।


राष्ट्रकवि और भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन ने उक्त बातें एक इंटरव्यू के दौरान अपने बेबाक अंदाज में कही। वे आए दिन राजनीति व समाज हित को लेकर कविताओं के माध्यम से भी अपनी बात कहते रहते है। सत्तनजी ने कहा कि देश में दलबदल कानून होने के बाद भी कोई नेता यदि पार्टी बदलता है तो यह उसका स्वार्थ होता है। समय आने पर अपने लाभ के लिए फिर पार्टी बदल लेगा। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में जब पूछा गया तो सत्तनजी बोले कि दूसरे संगठन से वे आए है जहां कोई विचारधारा नहीं है। भाजपा में स्वार्थ सिद्ध होने के बाद वे फिर पुराने दल में जा सकते है।

मुगलों और अंग्रेजों के शासनकाल में भी इसी तरह से देश के साथ कई राजा, महाराजाओं ने गद्दारी की जिन्हें आज कोई नहीं पूछता है वे कलंकित कहलाते है। महाराणा प्रताप ने राष्ट्रहित के लिए मुगलों से हाथ नहीं मिलाया और वे आज पूजे जा रहे है। भाजपा विचाराधारा की पार्टी है। यहां संघ के मार्गदर्शन में गतिविधियां चलती हैं। जनता समय-समय पर चुनाव में पार्टी को आइना भी दिखाती रहती है। अटलजी, लालकृष्ण आडवाणी से लेकर भाजपा के पितृ पुरुषों ने पार्टी को अपने रक्त से सींचा है। स्वार्थी और लोभी लोग इस पार्टी में ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकते।

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