अवैध प्रगति विहार : जमीन की रजिस्ट्री कांग्रेस नेता के परिवार ने की

सारी सड़कों की रजिस्ट्री गृह निर्माण संस्था में, न टीएनसी न डायवर्शन , प्रगति विहार ग्रीन भी अवैध कारनामों का दूसरा राज टॉवर

इंदौर। अंतत: बायपास पर बनाई गई प्रगति विहार को प्रशासन ने अवैध घोषित कर दिया। इस कालोनी के अलावा पास ही में एक और साम्राज्य प्रगति विहार भी इसी प्रकार से खड़ी की गई है। इसमें कई आईएएस अधिकारी के अलावा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज ने भी अपने अवैध बंगले बना लिए हैं।
हालांकि कुछ बंगलों को लेकर उच्च स्तरीय स्वीकृति नियमों के विपरित जा गिरी है।

प्रगति विहार में अनियमितताओं का इतना बड़ा पुलंदा सामने आया है जो बता रहा है कि प्रशासन और व्यवस्था का कितना मखौल उड़ाया गया है। प्रगति विहार की भूमि के मालिक रामेश्वर पटेल थे और उन्हीं के परिवार ने यहां रजिस्ट्रियां की थी। इस पूरे घोटाले में सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यहां पर सड़कों की रजिस्ट्री अलग से गृह निर्माण संस्था के नाम कराई गई थी। पहली बार प्रदेश में सड़कों की रजिस्ट्री संस्था के लिए हुई थी।

ग्राम बिचौली मर्दाना स्थित प्रगति विहार को लेकर दस्तावेजी जांच के बाद पाया गया कि पूरी कालोनी ही बड़ी अनियमितताओं के बीच खड़ी की गई है। इसे कल नगर निगम आयुक्त ने अवैध घोषित कर दिया है पर आश्चर्य की बात यह है कि इसी के पास में विद्या सागर स्कूल के सामने प्रगति विहार ग्रीन के नाम पर एक और अवैध निर्माण हो चुका है। जिसे अभी तक देखा नहीं गया। इसका मुख्य कारण यहां पर कई आईएएस अधिकारियों के अलावा पूर्व जजों के बंगले भी खड़े हैं।

 

रहवासियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, दिग्गजों के बने हुए हैं बंगले

 

इसी जगह जमीनों के सबसे बड़े धोखेबाज चम्पू अजमेरा ने भी भूखंड खरीदकर उस पर एक केन्द्रीय मंत्री से दबाव बनवाकर अपना नक्शा पास करवा लिया था। दूसरी ओर प्रगति विहार में 40-40 हजार वर्ग फीट के भूखंडों की रजिस्ट्री की गई है। यह भूमि कांग्रेस के बड़े नेता रामेश्वर पटेल की कृषि भूमि थी। उन्होंने 40 हजार वर्ग फीट के भूखंड की रजिस्ट्री खरीदारों को कृषि भूमि के रूप में की थी। जमीन के जादूगरों ने न तो इस भूमि का टीएनसी करवाया, न किसी प्रकार का डायवर्सन टैक्स भरा और भूखंडों का विभाजन भी सारी नियमों की धज्जियों उड़ाते हुए करने के बाद यहां महल खड़े कर लिए।

इस पूरे प्रगति विहार में सबसे आश्चर्य का मामला यह है कि प्रगति विहार में बनी सड़कों की रजिस्ट्री अलग से गृह निर्माण संस्था के नाम पर कर दी गई है जबकि किसी भी कालोनी में सड़कों की रजिस्ट्री नहीं होती है। सड़कें सार्वजनिक होती हैं। पहली बार सड़कों की रजिस्ट्री प्रदेश में यहीं पर की गई है। हालांकि प्रगति विहार में नगर निगम पहले से ही भूखंडों के खरीदने-बेचने पर रोक लगा चुकी है। यह भूमि अभी भी कृषि के लिए ही दस्तावेजों में है।

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