महाराजा शिवजीराव स्कूल-कृषि कॉलेज की भूमि पर प्रोजेक्ट लाई सरकार

शासन-प्रशासन का प्रस्ताव, खेल संगठन और स्टूडेंट विरोध में उतरे, खेल संगठनों के स्थानों को खाली करवाने की तैयारी

इंदौर (शार्दुल ठाकुर)। इंदौर को स्थापित करने वाले होलकर शासकों की दो निशानियों को खत्म करने का प्रस्ताव सरकार ने तैयार कर लिया है, जिनका विरोध शुरू हो गया है। एक प्रोजेक्ट महाराजा शिवाजीराव स्कूल को सीएम राइज स्कूल में बदलने का है तो दूसरा प्रोजेक्ट कृषि कालेज और उससे जुड़े अनुसंधान केंद्र की जमीन का है। दोनों धरोहर को बचाने खेल संगठन और पूर्व छात्रों ने मैदान संभाल रखा है।

शहर में शिक्षा और खेल और शोध से जुड़े ये दोनों संस्थान की नींव रखने में शिवाजीराव होलकर सहित होलकर शासकों का महत्वपूर्ण योगदान था। कहा जा रहा है की स्कूल की इमारतों के स्वरुप को यथावत रखते हुए वहां नए निर्माण किए जाएंगे। जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास के मुताबिक स्कूल के सामने रिक्त जमीन पर स्कूल के नए भवन का निर्माण किया जाएगा। यहां पुरानी इमारत को तोड़कर नए भवन का एल शेप में निर्माण करने का प्रस्ताव तैयार किया है। यहां जापान के वैज्ञानिक जायका प्रोजेक्ट पर और इजराइल के वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र में शोध भी कर रहे हंै। कालेज में 20-25 साल से कुछ अनुसंधान परियोजनाएं चल रही है। यदि जमीन छीन ली गई तो अनुसंधान परिषद और अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग से चल रही अनुसंधान परियोजनाएं ठप हो जाएंगी।

नई पहचान सीएम राइज स्कूल
सीएम राइज योजना के तहत जिले 11 स्कूलों का उन्नयन किया जा रहा है। योजना में माडल स्कूलों को शामिल किया गया है। यहां कक्षा 1 से 12 वीं तक पढ़ाई होगी। इनमें सीबीएसई कोर्स अंग्रेजी माध्यम में छात्रों को पढ़ाया जाएगा। छात्रों को परिवहन की सुविधा दी जाएगी। स्कूल परिसर में खेल गतिविधियों, प्रयोगशाला व पुस्तकालय की सुविधा रहेगी। प्रोजेक्ट में स्कूल की वर्तमान बिल्डिंग के अलावा चिमनबाग खेल के मैदान की जमीन को शामिल कर योजना बनाई गई है। सभी सीएम राइज योजना में 11 प्राचार्य, अतिरिक्त परियोजना समन्वयक, इस योजना के आर्किटेक्ट व कंसल्टेंट की नियुक्ति भी कर दी गई है। यह भी तय माना जा रहा है कि सीएम राइज प्रोजेक्ट के लिए वर्षों पुराने चिमनबाग मैदान के अस्तित्व को खत्म कर दिया जाएगा, जिसे लेकरे खेल संगठनों में रोष है। विरोध में खिलाड़ियों ने हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन मुख्यमंत्री, खेलेमंत्री, शिक्षा मंत्री को भेजे हंै।

नहीं होने देंगे निर्माण
चिमनबाग खेल परिषद के सचिव किशोर शुक्ला व सहसचिव विश्वास खरे ने बताया की चिमनबाग खेल मैदान के विभिन्न खेलों के नियमित हजारों खिलाड़ियों व उनके परिवार द्वारा चिमनबाग खेल मैदान को किसी भी सूरत में मैदान पर किसी भी प्रकार निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। मैदान सिर्फ खेल व खिलाड़ियों के उपयोग के लिए ही रहेगा, चाहे खिलाड़ियों को कोई भी ेकुर्बानी देना पड़े। इस मैदान से कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकले हैंै। स्कूल की जमीन शिक्षा विभाग की है या नहीं यह तो स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन खेल संगठनों का मानना है की शासन व हाईकोर्ट के आदेश हैं कि खेल के मैदान पर खेल हों और उनका सिर्फ खेल गतिविधियों के लिए ही उपयोग किया जाए।
पहले भी हो चुका है प्रयास

स्कूल के पूर्व छात्र बिल्डिंग को इससे पहले एनसीसी को देने का फैसला ले चुके हैं लेकिन स्कूल बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों के विरोध पर यह प्रस्ताव टल गया। जनप्रतिनिधियों ने स्कूल को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल करने का फैसला भी लिया था। सीएम राइज स्कूल तैयार होने से खेल गतिविधियों के लिए बंद हो गया तो हजारों खिलाड़ी नियमित अभ्यास कहां करेंगे।

अनुसंधान के लिए दी थी जमीन
कालेज की स्थापना सन 1959 में हुई, लेकिन यह जमीन होलकर शासकों ने अनुसंधान के लिए आरक्षित कर दी थी। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने यहां लंबे समय तक कृषि संबंधी अनुसंधान किया। वर्ष 1935 में महात्मा गांधी इस संस्थान में बन रहे जैविक खाद निर्माण कार्यक्रम को देखने आए थे और इसकी खूब सराहना की। सरकार इस ऐतिहासिक संस्थान में अनुसंधान और शिक्षण कार्य बंद करके इसकी लगभग 300 एकड़ से ज्यादा की जमीन बेचने की तैयारी में है। महाविद्यालय के पूर्व छात्र और किसान नेता केदार शंकर सिरोही इस जमीन को बचाने के लिए स्टूडेंट्स के साथ आंदोलन का नेतृत्व भी कर रहे हैं, वह बताते हैं कि यह जमीन लगभग 363 एकड़ है। वर्तमान में इसकी अनुमानित कीमत 25 हजार करोड़ है। सिरोही के मुताबिक राज्य सरकार ऑक्सीजोन और फॉरेस्ट जोन के नाम पर इसे हथियाना चाहती है।

विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा
इस कालेज को विश्वविद्यालय में बदलने की योजना थी। कृषि मंत्री कमल पटेल ने एक साल पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी और विश्वविद्यालय का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी करने का ऐलान भी किया था, जिस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। जमीन का लेंड यूज बदलकर नीलाम करने की योजना पर काम शुरू हो गया है। लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव अनिरुद्ध मुखर्जी इस सिलसिले में इंदौर भी आए थे। उन्होंने कलेक्टर मनीष सिंह सहित संभागायुक्त के साथ बैठक भी कर इस मामले में कार्रवाई को आगे बढ़ाया है।

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