गरीबों की योजना में सेंध, अमीरों की थाली में जा रहा गरीब का भोजन

अभी भी खुले बाजार में बिक रहा एक रुपए किलो वाला अनाज

इंदौर। शहर में राशन माफिया एक बार फिर सक्रिय हो गया है। गरीबो को मिलने वाला एक रुपए किलो का अनाज पिछले कई महीनों से खुले बाजार में दस से बीस रुपए किलो में राशन माफिया के लोग खुले में खरीद रहे है जिला प्रशासन व खाद्य विभाग अब तक इन पर कोई रोक नही लगा पाया। वहीं कुछ कंट्रोल वालो ने सितंबर में बंद होने वाली मुफ्त राशन स्किम तीन माह पहले ही बंद कर दी। राशन माफियाओं के बे लगाम होने से उपभोक्ता परेशान है। ऐसे में गरीबो की योजना में सेंध लगा कर अमीरों की थाली परोसा जा रहा गरीब का भोजन।

सरकार द्वारा चलाई जा रही मुफ्त राशन वाली स्किम कुछ कंट्रोल वालो ने तीन माह पहले ही बंद कर दी। इससे आम उपभोक्ता की परेशानी बढ़ गई है। वही शहर के कुछ हिस्सों में अभी भी राशन माफिया की सक्रियता देखी जा रही है। दोपहर की टीम ने जब इनसे पूछ कि तुम इस अनाज का उपयोग क्या करोगे, तो इनका कहना था कि हम अनाथ आश्रम में देने व भिखारियों में बांट देंगे। यह लोग सुभाष नगर, फिरोज गांधी नगर, कुलकर्णी का भट्टा, बिजासन नगर, गोमा- पंचम की फेल, नरसिंह की चाल, गौहर नगर, लाल गली, कुम्हार मोहल्ला, गणेश नगर, माली मोहल्ला, मटकी की चाल, डमरू उस्ताद चौराहे के साथ ही विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक, दो में ई रिक्शा, ऑटो रिक्शा के साथ ठेले व मोटरसाइकिल से फेरी लगा कर खरीद रहे है। यह लोग अपने साथ इलेक्ट्रॉनिक तराजू भी रखते है। यह वही अनाज होता है जो कुछ गरीबो को मुफ्त तो कुछ को एक से दो रुपए किलो में मिलता है। इसी राशन को मिलावटखोर ऊंचे दामों में मिलने वाले गेंहू चांवल में मिलावट कर आसानी से बेच देते है। जिससे उन्हें अधिक फायदा होता है। प्रशासन ने जब से राशन माफिया से नजर हटाई तभी से यह शहर में फिर बे लगाम हो गया है। इन पर न तो प्रशासन की नजर है न ही खाद्य विभाग की जिससे यह लोग अब बे लगाम हो कर शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में कंट्रोल की दुकान पर मिलने वाला सस्ता सामान की खरीद फरोख्त कर रहे है। पिछले साल जिला प्रशासन ने कण्ट्रोल पर मिलने वाले अनाज की काला बाजारी करने वाले माफिया पर कार्रवाई करते हुए इनके मकान तक तोड़ दिए थे। मगर कार्रवाई बंद होने के बाद से यह फिर बे लगाम हो गए है। नतीजतन गली मोहल्लों में फिर से कंट्रोल के गेहूं- चांवल दे दो वाली आवाज गूंजने लगी है। शहर में पिछले साल राशन माफिया की कालाबाजारी का खुलासा हुआ था।

इस कालाबाजारी की जांच कर 51 हजार गरीबों को दिया जाने वाला 80 लाख रुपये का राशन हड़पा लिया था। इस मामले में राशन माफिया की संपत्ति को जिला प्रशासन मकान व दुकान तोड़ कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। मगर समय के साथ निकलते ही यह फिर दूसरे रूप में फिर सक्रिय हो चले है। अब इन्होंने नए तरीकों से पुराना काम शुरू कर दिया है। जिला प्रशासन की कार्रवाई से पहले कंट्रोल वाले राशन बाँटते ही नही थे। इन्हें खुले बाजार में सीधे बेच देते थे। मगर सख्ती के बाद नया तरीका निकाला गया, जिसके तहत अब गरीबों से गली मोहल्लों में फेरी लगा कर खरीदा जा रहा है। कुछ लोग फटे पुराने कपड़े पहने गरीब बस्तियों में घर घर जा कर कंट्रोल पर मिलने वाले एक रुपए किलो वाला अनाज फेरी लगा कर खरीद रहे है। जब इनसे पूछा गया कि इस अनाज का तुम क्या करोगे तो यह बताते है किसी न किसी अनाथ आश्रम का नाम बता रहे है।

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